नई दिल्ली: पर्सनल लोन हमारे कई वित्तीय जरूरतों को पूरा करता है. जिसमें शादी खर्च, वेकेशन प्लान, कर्ज का भुगतान जैसे कई काम शामिल हैं. इस लोन की खास बात ये होती है कि यह अन्य लोन की तुलना में आसानी से मिल जाता है. पेपर वर्क कम करना होता है. हालांकि वेंडर्स आपके जॉब प्रोफाइल, क्रेडिट स्कोर, मंथली इनकम जैसे कई फैक्टर्स देख कर आपको लोन देते हैं. पर्सनल लोन रिस्की भी होता है, ऐसे में सही लोन के ऑप्शन को चुनना एक चैलेंजिंग काम है. इस रिपोर्ट में 6 ऐसी बातें बताई जा रही है, जिसका ध्यान आपको पर्सनल लोन लेते वक्त रखना चाहिए. तो आइए जानते हैं इन टिप्स के बारे में विस्तार से....
1. अकाउंट होल्डर बैंक के पास से लोन लें
लोन लेने के लिए हमारे पास मार्केट में लेंडर के बहुत ऑप्शन हैं। लेकिन हमें ऐसे लेंडर से लोन लेना चाहिए जिनके पास हमारा पहले से ही डिपॉजिट, लोन या क्रेडिट कार्ड अकाउंट हो. इसका फायदा ये होगा कि वह हमें कम इंटरेस्ट रेट पर पर्सनल लोन देंगे. साथ ही दूसरे लोन फैसिलिटीज भी ऑफर करेंगे.
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2. ईएमआई पैमेंट की समयावधि पर ध्यान दें
आप अपना लोन कितने साल में चुकाना चाहते हैं, इसीसे EMI की राशि निर्धारित होती है. कम समय में लोन चुकाने पर EMI ज्यादा भरना होगा. लेकिन इससे आपका लोन कॉस्ट कम होगा. वहीं, लॉन्ग टर्म रिपेमेंट के तरीके से लोन चुकाने पर EMI का बोझ कम पड़ेगा. लेकिन ओवरऑल लोन कॉस्ट ज्यादा हो सकता है. इसलिए अपनी क्षमता के हिसाब से लोन पैमेंट समयावधि चुनें. हालांकि अपने अन्य वित्तीय लक्ष्यों या जरूरतों को EMI पेमेंट के लिए नजरअंदाज न करें.
3. पर्सनल लोन इंटरेस्ट रेट की तुलना करें
पर्सनल लोन लेने से पहले सभी लेंडर्स के जरिये दिए जाने वाले इंटरेस्ट रेट की तुलना जरूर करें. हालांकि बैंक/NBFC आवेदक के क्रेडिट स्कोर, प्रोफाइल, पेशा और मंथली इनकम के आधार पर इंटरेस्ट रेट तय करती है. जिन आवेदकों का क्रेडिट स्कोर 750 या उससे अधिक रहता है उन्हें आसानी से लोन मिल जाता है. वो भी कम इंटरेस्ट रेट पर. वहीं, खराब क्रेडिट स्कोर वाले आवेदक को पर्सनल लोन मिलने का चांस कम होता है, अगर मिलता भी है तो हाई इंटरेस्ट रेट पर. इसलिए अपने क्रेडिट स्कोर को अच्छा रखें.
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4. प्रोसेसिंग फी की तुलना विभिन्न लेंडर से करें
ये जरूरी नहीं की कम इंटरेस्ट रेट पर मिलने वाला पर्सनल लोन आपके लिए सही ही हो. लेंडर्स आवेदक से प्रोसेसिंग फी भी वसूल करते हैं. जो लोन अमाउंट का 0.5 -4 फीसदी तक हो सकता है यानी यह लोन का एक अहम हिस्सा है. इसलिए लोन लेने से पहले विभिन्न लेंडर से प्रोसेसिंग फी की तुलना करें. साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि कुछ लेंडर्स स्पेशल फेस्टिवल ऑफर के दौरान प्रोसेसिंग फी नहीं लेते या बहुत कम चार्ज लेते हैं.
5. फॉर क्लोजर चार्ज के बारे में पता कर लें
किसी लेंडर से पर्सनल लोन लेने से पहले फॉर क्लोजर/ प्रीपेमेंट चार्ज जरूर जांच लें. RBI नियमानुसार, बैंक फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट वाले लोन पर फॉर क्लोजर चार्ज नहीं लगा सकता है. हालांकि फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट वाले लोन पर फॉर क्लोजर चार्ज लगाना पूरी तरह से लेंडर पर निर्भर करता है. इसमें ध्यान रखने वाली बात ये है कि लेंडर EMI का पेमेंट किया बिना लोन अकाउंट बंद नहीं करने देता.
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6. लोन मिलने के समय का ध्यान रखें
अधिकांश वेंडर्स पर्सनल लोन देने में आमतौर पर 4-7 दिन का समय लेते है. जबकि डिजिटल ऑनबोर्डिंग प्रोसेस के जरिए लेंडर बहुत कम समय में डिजिटल पर्सनल लोन मुहैया करवा रहे है. जिनके क्रेडिट स्कोर अच्छे होते हैं, लेंडर उन्हें तत्काल या तय समय से पहले ही डिजिटल पर्सनल लोन दे देते हैं. ऐसे में लोन लेने के लिए आवेदन करने से लेकर मिलने तक के समय पर ध्यान दें और कम समय में लोन देने वाले लेंडर से पर्सनल लोन लें. जिससे आपके वित्तीय लक्ष्य पूरे हो सके.