बेंगलुरु : हाल ही में कर्नाटक सरकार ने लेबर लॉ को लेकर संशोधन किए हैं. इनके कुछ हिस्सों पर आपत्ति भी जताई गई है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कुछ कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए ये संशोधन किए गए हैं. इस कानून के तहत मजदूरों से 12 घंटे तक काम लिया जा सकता है.
फाइनेंशियल टाइम्स ने सूत्रों के हवाले से एक खबर प्रकाशित की है. इसके अनुसार एपल और फॉक्सकॉन जैसी निजी कंपनियों ने कर्नाटक सरकार पर दबाव बनाया, ताकि उन्हें दो शिफ्टों में काम कराने की इजाजत दी जा सके. जाहिर है, दो शिफ्ट का मतलब है कि 12-12 घंटे तक काम करना होगा. फॉक्सकॉन ताइवान की कंपनी है. यह ऐपल के लिए आईफोन बनाती है. कंपनी ने कर्नाटक में निवेश करने की घोषणा कर रखी है.
यहां यह बता दें कि अभी फॉक्सकॉन चीन के झेंगझोउ से आईफोन का निर्माण कर रही है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक फॉक्सकॉन की इस फैक्ट्री में वहां पर करीब दो लाख लोग काम करते हैं. लेकिन कंपनी ने अब भारत में प्लांट शिफ्ट करने का फैसला किया है. इसके पीछे कोविड को एक वजह के तौर पर बताया गया है. दरअसल, कोविड की वजह से फॉक्सकॉन को चीन में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. साथ ही, चीन और अमेरिका के रिश्तों में लगातार तनाव की खबरें भी आती रहीं हैं. संभवतः इन्हीं कारणों ने फॉक्सकॉन को अपना यूनिट बदलना पड़ा है.
फाइनेंशियल टाइम्स के अनुसार फॉक्सकॉन ने बेंगलुरु में 300 एकड़ जमीन को चिन्हित कर लिया है. इस पर होन हाई प्रीसिजन इंडस्ट्री कंपनी अपनी इकाई लगाएगी. होन हाई फॉक्सकॉन की फ्लैगशिप यूनिट है. सूत्रों की माने तो कंपनी करीब 700 मिलियन डॉलर का निवेश करेगी. विशेषज्ञों का कहना है कि इतने निवेश से एक लाख लोगों को रोजगार मिल सकता है.
अखबार में दावा किया गया है कि इन कंपनियों के दबाव में कर्नाटक सरकार ने लेबर लॉ में बदलाव किए हैं. कुछ लोगों ने इन बदलावों का स्वागत किया है. उनका तर्क है कि इससे कर्नाटक को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने में मदद मिलेगी, जबकि विरोधियों का दावा है कि कंपनियां लेबर का शोषण कर सकती हैं. कंपनी चीन में 12-12 घंटे की शिफ्ट में काम कराती रही है. कर्नाटक में अभी तक नौ घंटे की शिफ्ट की इजाजत थी, जिसे सरकार ने अब बदल दिया है.
आपको बता दें कि भारत ने दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियों को निवेश करने का निमंत्रण दिया है. खुद पीएम मोदी जिस भी देश में जाते हैं, वहां की कंपनियों के अधिकारियों से मिलकर भारत में निवेश करने लेकर उन्हें प्रोत्साहित करते रहे हैं. सरकार ने ऐसी कंपनियों को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई (प्रोडक्शन लिंक्ड इनसेंटिव) स्कीम भी लाई है.
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