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IMF निदेशक ने बताया- कहां अटकी है अर्थव्यवस्था की रफ्तार, जानें क्या है इकोनॉमी का 'ग्रे एरिया'

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 14, 2023, 1:57 PM IST

एशिया और प्रशांत विभाग (Asia and Pacific Department) के निदेशक कृष्णा श्रीनिवासन ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि भारत ने डिजिटलीकरण और बुनियादी ढांचे में बहुत प्रभावशाली प्रगति की है. हालांकि, उन्होंने कुछ क्षेत्रों में चिंता भी व्यक्त की है. उन्होंने कारोबारी माहौल में के साथ-साथ श्रम कानुनों में सुधार की वकालत की है. उन्होंने कहा है कि सरकार को व्यापार प्रतिबंधों को हटाने के उद्देश्य से काम करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इससे निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा और भारतीय अर्थव्यवस्था को अधिक समर्थन मिलेगा. पढ़ें पूरी खबर...

International Monetary Fund
आईएमएफ

माराकेच (मोरक्को): अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund 'IMF') ने कहा कि भारत में समग्र व्यापक आर्थिक माहौल 'बहुत अच्छा' है. यह फिसकल रूप से अनुशासित है. केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति को नियंत्रण में लाने के लिए तेजी से आगे बढ़ा है. आगे कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इस साल वित्तीय वर्ष 5.9 फीसदी रहेगा. केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति (inflation) को नियंत्रण में लाने के लिए तेजी से आगे बढ़ा है. हाल ही में मुद्रास्फीति 5 फीसदी (सितंबर के लिए) थी.

आईएमएफ के एशिया और प्रशांत विभाग (Asia and Pacific Department) के निदेशक कृष्णा श्रीनिवासन ने 'एशिया और प्रशांत क्षेत्र के आर्थिक आउटलुक' (World Economic Outlook Report) पर एक प्रेस वार्ता में कहा कि भारत में व्यापक आर्थिक माहौल काफी अच्छा है. उनसे पूछा गया कि इस समय भारत में विकास को गति देने के लिए किस तरह के नीतिगत हस्तक्षेप की आवश्यकता है, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि भारत की महत्वपूर्ण क्षमता को देखते हुए, देश को संरचनात्मक (structural) सुधारों के बारे में सोचना चाहिए.

International Monetary Fund
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष

उन्होंने कहा कि भारत में संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता है. फिर, वहां भारत ने डिजिटलीकरण क्षेत्र में प्रभावशाली प्रगति की है. लेकिन फिलहाल व्यापारिक माहौल में सुधार, श्रम सुधार, व्यापार प्रतिबंधों को हटाने के उद्देश्य से सुधार हो सकते हैं. ये सभी एक ऐसे वातावरण का निर्माण करते हैं जो निवेशकों की क्षमता को और अधिक समर्थन देगा, खासकर भारत जैसे देश में और भी अधिक बल मिलेगा. उन्होंने कहा कि संरचनात्मक सुधार समर्थन में महत्वपूर्ण होंगे.

आईएमएफ निदेशक का कहना- उधार लेने पर सावधानी बरते
इसके अलावा, उनसे पूछा गया कि बॉन्ड पैदावार और कच्चे तेल में तेज वृद्धि का उभरते बाजार भारत पर किस तरह का प्रभाव हो सकता है और वित्तीय प्रणालियों को बचाने के लिए क्या किया जा सकता है, तो उन्होने सुझाव दिया कि सावधानीपूर्वक उधार लेने पर ध्यान दें.

बढ़ती पैदावार के संदर्भ में कहा कि मुझे लगता है कि यह हर देश के लिए सच है, जब ब्याज दरें बढ़ने लगती हैं, तो यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जो क्षेत्र अत्यधिक उत्तोलन (leverage) वाले हैं. उन्होंने कहा कि अधिक नुकसान होने की संभावना केवल सिर्फ भारत के लिए ही नहीं है, बल्कि अन्य देशों के लिए भी है. और यही कारण है कि सावधानी से उधार लेना महत्वपूर्ण है. यह निजी क्षेत्र और सार्वजनिक क्षेत्र दोनों पर लागू होता है.

आईएमएफ ने भारत के जीडीपी ग्रोथ रेट बढ़ा कर 6.3 फीसदी किया
इस बीच, आईएमएफ ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि का अनुमान बढ़ाकर 6.3 फीसदी कर दिया है, जो अप्रैल की रिपोर्ट के बाद इसका दूसरा संशोधन है. मंगलवार को जारी बहुपक्षीय एजेंसी की लेटेस्ट विश्व आर्थिक आउटलुक रिपोर्ट के अनुसार, अपनी पिछली रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया था कि इस वित्तीय वर्ष में विकास दर (Growth Rate) 6.3 फीसदी बढ़ने की उम्मीद है, जो कि 20 आधार अंक (100 आधार अंक 1 फीसदी अंक के बराबर है) से अधिक है.

IMF ने विकास अनुमान में बढ़ोतरी के लिए अप्रैल-जून के दौरान उम्मीद से अधिक मजबूत खपत को जिम्मेदार ठहराया है. वृद्धि का अनुमान अप्रैल में 5.9 फीसदी , जुलाई में 6.1 फीसदी से बढ़ाकर अब 6.3 फीसदी कर दिया गया है, जो इसे भारतीय अधिकारियों द्वारा अनुमानित 6.5 फीसदी के करीब ले जाता है. 2024-25 के लिए, आईएमएफ (IMF) ने भारत की जीडीपी वृद्धि 6.3 फीसदी आंकी है, हालांकि इसके पहले दो अनुमानों में कोई बदलाव नहीं किया गया है. आईएमएफ ने चालू वित्त वर्ष में भारत की उपभोक्ता मुद्रास्फीति 5.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है, जबकि आरबीआई का अनुमान 5.4 फीसदी है. आरबीआई को उम्मीद है कि दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में मुद्रास्फीति (inflation) 6.4 फीसदी , तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में 5.6 फीसदी और चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में 5.2 फीसदी रहेगी. Q1 (2024-25 वित्तीय वर्ष) के लिए, यह 5.2 फीसदी अनुमानित है.

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आईएमएफ के एशिया और प्रशांत विभाग (Asia and Pacific Department) के निदेशक कृष्णा श्रीनिवासन ने 'एशिया और प्रशांत क्षेत्र के आर्थिक आउटलुक' (World Economic Outlook Report) पर एक प्रेस वार्ता में कहा कि भारत में व्यापक आर्थिक माहौल काफी अच्छा है. उनसे पूछा गया कि इस समय भारत में विकास को गति देने के लिए किस तरह के नीतिगत हस्तक्षेप की आवश्यकता है, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि भारत की महत्वपूर्ण क्षमता को देखते हुए, देश को संरचनात्मक (structural) सुधारों के बारे में सोचना चाहिए.

International Monetary Fund
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष

उन्होंने कहा कि भारत में संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता है. फिर, वहां भारत ने डिजिटलीकरण क्षेत्र में प्रभावशाली प्रगति की है. लेकिन फिलहाल व्यापारिक माहौल में सुधार, श्रम सुधार, व्यापार प्रतिबंधों को हटाने के उद्देश्य से सुधार हो सकते हैं. ये सभी एक ऐसे वातावरण का निर्माण करते हैं जो निवेशकों की क्षमता को और अधिक समर्थन देगा, खासकर भारत जैसे देश में और भी अधिक बल मिलेगा. उन्होंने कहा कि संरचनात्मक सुधार समर्थन में महत्वपूर्ण होंगे.

आईएमएफ निदेशक का कहना- उधार लेने पर सावधानी बरते
इसके अलावा, उनसे पूछा गया कि बॉन्ड पैदावार और कच्चे तेल में तेज वृद्धि का उभरते बाजार भारत पर किस तरह का प्रभाव हो सकता है और वित्तीय प्रणालियों को बचाने के लिए क्या किया जा सकता है, तो उन्होने सुझाव दिया कि सावधानीपूर्वक उधार लेने पर ध्यान दें.

बढ़ती पैदावार के संदर्भ में कहा कि मुझे लगता है कि यह हर देश के लिए सच है, जब ब्याज दरें बढ़ने लगती हैं, तो यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जो क्षेत्र अत्यधिक उत्तोलन (leverage) वाले हैं. उन्होंने कहा कि अधिक नुकसान होने की संभावना केवल सिर्फ भारत के लिए ही नहीं है, बल्कि अन्य देशों के लिए भी है. और यही कारण है कि सावधानी से उधार लेना महत्वपूर्ण है. यह निजी क्षेत्र और सार्वजनिक क्षेत्र दोनों पर लागू होता है.

आईएमएफ ने भारत के जीडीपी ग्रोथ रेट बढ़ा कर 6.3 फीसदी किया
इस बीच, आईएमएफ ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि का अनुमान बढ़ाकर 6.3 फीसदी कर दिया है, जो अप्रैल की रिपोर्ट के बाद इसका दूसरा संशोधन है. मंगलवार को जारी बहुपक्षीय एजेंसी की लेटेस्ट विश्व आर्थिक आउटलुक रिपोर्ट के अनुसार, अपनी पिछली रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया था कि इस वित्तीय वर्ष में विकास दर (Growth Rate) 6.3 फीसदी बढ़ने की उम्मीद है, जो कि 20 आधार अंक (100 आधार अंक 1 फीसदी अंक के बराबर है) से अधिक है.

IMF ने विकास अनुमान में बढ़ोतरी के लिए अप्रैल-जून के दौरान उम्मीद से अधिक मजबूत खपत को जिम्मेदार ठहराया है. वृद्धि का अनुमान अप्रैल में 5.9 फीसदी , जुलाई में 6.1 फीसदी से बढ़ाकर अब 6.3 फीसदी कर दिया गया है, जो इसे भारतीय अधिकारियों द्वारा अनुमानित 6.5 फीसदी के करीब ले जाता है. 2024-25 के लिए, आईएमएफ (IMF) ने भारत की जीडीपी वृद्धि 6.3 फीसदी आंकी है, हालांकि इसके पहले दो अनुमानों में कोई बदलाव नहीं किया गया है. आईएमएफ ने चालू वित्त वर्ष में भारत की उपभोक्ता मुद्रास्फीति 5.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है, जबकि आरबीआई का अनुमान 5.4 फीसदी है. आरबीआई को उम्मीद है कि दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में मुद्रास्फीति (inflation) 6.4 फीसदी , तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में 5.6 फीसदी और चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में 5.2 फीसदी रहेगी. Q1 (2024-25 वित्तीय वर्ष) के लिए, यह 5.2 फीसदी अनुमानित है.

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