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Gross Domestic Product: भारत की सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर घटकर 4.4 प्रतिशत पर आई - केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा

वित्त वर्ष 2022-23 की तीसरी तिमाही में देश की सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर घट गई है और 4.4 प्रतिशत रह गई है. इन आंकड़ों को राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्लायल ने मंगलवार को जारी किए हैं.

India's GDP growth rate
भारत की सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर
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Published : Feb 28, 2023, 6:33 PM IST

Updated : Feb 28, 2023, 6:51 PM IST

नई दिल्ली: देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर वित्त वर्ष 2022-23 की तीसरी तिमाही में घटकर 4.4 प्रतिशत रह गई है. मुख्य रूप से विनिर्माण क्षेत्र के खराब प्रदर्शन की वजह से जीडीपी में गिरावट आई है. राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) के मंगलवार को जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली. इससे पिछले वित्त वर्ष 2021-22 की समान तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था 11.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी.

वहीं, चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत रही थी. एनएसओ ने अपने दूसरे अग्रिम अनुमान में चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है. इसके अलावा एनएसओ ने बीते वित्त वर्ष 2021-22 की वृद्धि दर को 8.7 प्रतिशत से संशोधित कर 9.1 प्रतिशत कर दिया है. बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा जनवरी के अंत तक पूरे वित्त वर्ष के लक्ष्य के 67.8 प्रतिशत पर पहुंच गया है.

इस मामले में मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़े जारी किए गए हैं, जिनसे यह जानकारी मिली है. लेखा महानियंत्रक (सीजीए) के आंकड़ों के अनुसार, वास्तविक मूल्य में चालू वित्त वर्ष की अप्रैल से जनवरी की अवधि में राजकोषीय घाटा 11.9 लाख करोड़ रुपये रहा है. खर्च और राजस्व के अंतर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है. इससे पिछले वित्त वर्ष 2021-22 की समान अवधि में राजकोषीय घाटा उस साल के बजट के संशोधित अनुमान का 58.9 प्रतिशत रहा था.

पढ़ें: Amrit Kaal Startups : धन-रोजगार पैदा करने के लिए सरकार इस क्षेत्र में करेगी निवेश, अमृतकाल में अर्थव्यवस्था भी होगी मजबूत

पूरे वित्त वर्ष 2022-23 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 17.55 लाख करोड़ रुपये या सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 6.4 प्रतिशत है. सीजीए के आंकड़ों से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष के पहले 10 माह में शुद्ध कर संग्रह 16,88,710 करोड़ रुपये रहा है. यह 2022-23 के संशोधित बजट अनुमान का 80.9 प्रतिशत है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर वित्त वर्ष 2022-23 की तीसरी तिमाही में घटकर 4.4 प्रतिशत रह गई है. मुख्य रूप से विनिर्माण क्षेत्र के खराब प्रदर्शन की वजह से जीडीपी में गिरावट आई है. राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) के मंगलवार को जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली. इससे पिछले वित्त वर्ष 2021-22 की समान तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था 11.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी.

वहीं, चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत रही थी. एनएसओ ने अपने दूसरे अग्रिम अनुमान में चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है. इसके अलावा एनएसओ ने बीते वित्त वर्ष 2021-22 की वृद्धि दर को 8.7 प्रतिशत से संशोधित कर 9.1 प्रतिशत कर दिया है. बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा जनवरी के अंत तक पूरे वित्त वर्ष के लक्ष्य के 67.8 प्रतिशत पर पहुंच गया है.

इस मामले में मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़े जारी किए गए हैं, जिनसे यह जानकारी मिली है. लेखा महानियंत्रक (सीजीए) के आंकड़ों के अनुसार, वास्तविक मूल्य में चालू वित्त वर्ष की अप्रैल से जनवरी की अवधि में राजकोषीय घाटा 11.9 लाख करोड़ रुपये रहा है. खर्च और राजस्व के अंतर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है. इससे पिछले वित्त वर्ष 2021-22 की समान अवधि में राजकोषीय घाटा उस साल के बजट के संशोधित अनुमान का 58.9 प्रतिशत रहा था.

पढ़ें: Amrit Kaal Startups : धन-रोजगार पैदा करने के लिए सरकार इस क्षेत्र में करेगी निवेश, अमृतकाल में अर्थव्यवस्था भी होगी मजबूत

पूरे वित्त वर्ष 2022-23 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 17.55 लाख करोड़ रुपये या सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 6.4 प्रतिशत है. सीजीए के आंकड़ों से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष के पहले 10 माह में शुद्ध कर संग्रह 16,88,710 करोड़ रुपये रहा है. यह 2022-23 के संशोधित बजट अनुमान का 80.9 प्रतिशत है.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Feb 28, 2023, 6:51 PM IST
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