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भारत में स्टार्टअप वित्तपोषण दो साल के निचले स्तर पर : पीडब्ल्यूसी इंडिया

स्टार्टअप डील ट्रैकर - कैलेंडर वर्ष 2022 की तीसरी तिमाही शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया कि 2022 की जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान भारत में केवल दो स्टार्टअप ने यूनिकॉर्न का दर्जा हासिल किया. यूनिकॉर्न से आशय एक अरब डॉलर के मूल्यांकन से है.

nirmala sitharaman
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
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Published : Oct 14, 2022, 12:56 PM IST

नई दिल्ली : वैश्विक आर्थिक मंदी के बीच भारत में स्टार्टअप वित्तपोषण नकारात्मक रूप से प्रभावित हुआ है. पीडब्ल्यूसी इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार 2022 की तीसरी तिमाही में यह आंकड़ा घटकर दो साल के निचले स्तर 2.7 अरब डॉलर पर आ गया. स्टार्टअप डील ट्रैकर - कैलेंडर वर्ष 2022 की तीसरी तिमाही शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया कि 2022 की जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान भारत में केवल दो स्टार्टअप ने यूनिकॉर्न का दर्जा हासिल किया. यूनिकॉर्न से आशय एक अरब डॉलर के मूल्यांकन से है.

इस दौरान वैश्विक स्तर पर भी नए यूनिकॉर्न की संख्या में गिरावट हुई. वैश्विक स्तर पर समीक्षाधीन तिमाही के दौरान 20 नए यूनिकॉर्न बने. रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक मंदी के कारण कैलेंडर वर्ष 2022 की तीसरी तिमाही के दौरान देश में स्टार्टअप वित्तपोषण दो साल के निचले स्तर 2.7 अरब डॉलर पर रहा. इसमें 205 सौदे शामिल हैं. इस दौरान शुरुआती चरण वाले स्टार्टअप का वित्तपोषण सबसे अधिक प्रभावित हुआ.

नई दिल्ली : वैश्विक आर्थिक मंदी के बीच भारत में स्टार्टअप वित्तपोषण नकारात्मक रूप से प्रभावित हुआ है. पीडब्ल्यूसी इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार 2022 की तीसरी तिमाही में यह आंकड़ा घटकर दो साल के निचले स्तर 2.7 अरब डॉलर पर आ गया. स्टार्टअप डील ट्रैकर - कैलेंडर वर्ष 2022 की तीसरी तिमाही शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया कि 2022 की जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान भारत में केवल दो स्टार्टअप ने यूनिकॉर्न का दर्जा हासिल किया. यूनिकॉर्न से आशय एक अरब डॉलर के मूल्यांकन से है.

इस दौरान वैश्विक स्तर पर भी नए यूनिकॉर्न की संख्या में गिरावट हुई. वैश्विक स्तर पर समीक्षाधीन तिमाही के दौरान 20 नए यूनिकॉर्न बने. रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक मंदी के कारण कैलेंडर वर्ष 2022 की तीसरी तिमाही के दौरान देश में स्टार्टअप वित्तपोषण दो साल के निचले स्तर 2.7 अरब डॉलर पर रहा. इसमें 205 सौदे शामिल हैं. इस दौरान शुरुआती चरण वाले स्टार्टअप का वित्तपोषण सबसे अधिक प्रभावित हुआ.

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