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भारत ने चीनी सामानों पर लगाया 5 सालों के लिए एंटी-डंपिंग शुल्क

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 11, 2024, 10:17 AM IST

Anti-Dumping Duties On Chinese Goods- भारत ने 3 चीनी सामानों पर 5 साल के लिए एंटी-डंपिंग शुल्क लगाया है. इनमें व्हील लोडर, जिप्सम टाइल्स और औद्योगिक लेजर मशीनरी शामिल है. डीजीटीआर के सिफारिशों के बाद एंटी-डंपिंग शुल्क लगाया है. पढ़ें पूरी खबर...

Export (File Photo)
एक्सपोर्ट (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: भारत ने स्थानीय निर्माताओं को पड़ोसी देश से सस्ते आयात से बचाने के लिए तीन चीनी उत्पादों पर एंटी-डंपिंग शुल्क लगाया है. इनमें व्हील लोडर, जिप्सम टाइल्स और औद्योगिक लेजर मशीनरी शामिल हैं. इस शुल्क को पांच सालों के लिए लगाया गया है. ये शुल्क कॉमर्स मंत्रालय की जांच ब्रांच डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ ट्रेड रेमेडीज (डीजीटीआर) की सिफारिशों के बाद लगाए गए है.

डंपिंग से हो रहा था घरेलू बाजार को नुकसान
बता दें कि जांच में डीजीटीआर ने पाया है कि इन प्रोडक्टों को भारतीय बाजारों में सामान्य प्राइस से कम कीमत पर निर्यात किया गया है. जिसका रिज्लट डंपिंग है. इन प्रोडक्ट की डंपिंग के कारण घरेलू बाजार को काफी नुकसान हुआ है. इन अधिसूचनाओं के तहत एंटी-डंपिंग शुल्क पांच साल के लिए लगाए जाएंगे, जब तक कि इन्हें रद्द, प्रतिस्थापित या संशोधित नहीं किया जाता है. ओमान में कुछ कंपनियों द्वारा निर्मित जिप्सम टाइल्स पर भी ऐसे शुल्क लगाए गए हैं.

कब लगाया जाता है एंटी-डंपिंग शुल्क?
पहले, इसे घरेलू उपकरणों के लिए कड़े ग्लास और चीन से कुछ प्रकार के सन यार्न पर लगाया जाता था. जबकि डीजीटीआर शुल्क लगाने की सिफारिश करता है, वित्त मंत्रालय इसे लगाता है. देश यह निर्धारित करने के लिए एंटी-डंपिंग जांच शुरू करते हैं कि क्या लागत से कम आयात में वृद्धि से घरेलू उद्योग को नुकसान हुआ है. प्रति-उपाय के रूप में, वे बहुपक्षीय डब्ल्यूटीओ शासन के तहत शुल्क लगाते हैं.

न्यूट्रल बिजनेस सुनिश्चित करने और घरेलू बाजार को समान अवसर प्रदान करने के लिए डंपिंग रोधी उपाय किए जाते हैं. भारत और चीन दोनों जिनेवा स्थित विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के सदस्य हैं. 2022-23 के दौरान चीन को भारत का निर्यात 15.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जबकि आयात 98.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जिससे व्यापार घाटा 83.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा है.

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नई दिल्ली: भारत ने स्थानीय निर्माताओं को पड़ोसी देश से सस्ते आयात से बचाने के लिए तीन चीनी उत्पादों पर एंटी-डंपिंग शुल्क लगाया है. इनमें व्हील लोडर, जिप्सम टाइल्स और औद्योगिक लेजर मशीनरी शामिल हैं. इस शुल्क को पांच सालों के लिए लगाया गया है. ये शुल्क कॉमर्स मंत्रालय की जांच ब्रांच डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ ट्रेड रेमेडीज (डीजीटीआर) की सिफारिशों के बाद लगाए गए है.

डंपिंग से हो रहा था घरेलू बाजार को नुकसान
बता दें कि जांच में डीजीटीआर ने पाया है कि इन प्रोडक्टों को भारतीय बाजारों में सामान्य प्राइस से कम कीमत पर निर्यात किया गया है. जिसका रिज्लट डंपिंग है. इन प्रोडक्ट की डंपिंग के कारण घरेलू बाजार को काफी नुकसान हुआ है. इन अधिसूचनाओं के तहत एंटी-डंपिंग शुल्क पांच साल के लिए लगाए जाएंगे, जब तक कि इन्हें रद्द, प्रतिस्थापित या संशोधित नहीं किया जाता है. ओमान में कुछ कंपनियों द्वारा निर्मित जिप्सम टाइल्स पर भी ऐसे शुल्क लगाए गए हैं.

कब लगाया जाता है एंटी-डंपिंग शुल्क?
पहले, इसे घरेलू उपकरणों के लिए कड़े ग्लास और चीन से कुछ प्रकार के सन यार्न पर लगाया जाता था. जबकि डीजीटीआर शुल्क लगाने की सिफारिश करता है, वित्त मंत्रालय इसे लगाता है. देश यह निर्धारित करने के लिए एंटी-डंपिंग जांच शुरू करते हैं कि क्या लागत से कम आयात में वृद्धि से घरेलू उद्योग को नुकसान हुआ है. प्रति-उपाय के रूप में, वे बहुपक्षीय डब्ल्यूटीओ शासन के तहत शुल्क लगाते हैं.

न्यूट्रल बिजनेस सुनिश्चित करने और घरेलू बाजार को समान अवसर प्रदान करने के लिए डंपिंग रोधी उपाय किए जाते हैं. भारत और चीन दोनों जिनेवा स्थित विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के सदस्य हैं. 2022-23 के दौरान चीन को भारत का निर्यात 15.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जबकि आयात 98.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जिससे व्यापार घाटा 83.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा है.

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