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Medical Insurance Claim: कंज्यूमर फोरम का बड़ा फैसला- मेडिकल क्लेम के लिए हॉस्पिटल में भर्ती होना जरूरी नहीं - वडोदरा उपभोक्ता फोरम

कंज्यूमर फोरम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए मेडिकल क्लेम करने वालों के लिए राहत भरी खबर सुनाई है. फोरम ने कहा कि अगर मरीज हॉस्पिटल में भर्ती न रहा हो तो इससे मेडिकल बीमा का दावा कमजोर नहीं हो जाता है. फोरम ने और क्या कुछ कहा जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर.

Medical Insurance Claim
मेडिकल क्लेम
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Published : Mar 15, 2023, 11:07 AM IST

वडोदरा: उपभोक्ता फोरम ने मेडिकल क्लेम से जुड़ा एक बड़ा आदेश पारित किया है. जिसमें कहा गया है कि 24 घंटे से कम समय तक भी अस्पताल में भर्ती रहने पर व्यक्ति मेडिकल क्लेम कर सकता है. वड़ोदरा के कंज्यूमर फोरम ने वहां के निवासी रमेश चंद्र की याचिका पर अपना यह फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा कि नई तकनीक आने के बाद से कभी-कभी रोगियों का इलाज कम समय में या अस्पताल में भर्ती हुए बिना भी किया जाता है. यह जरुरी नहीं कि मरीज 24 घंटा अस्पताल में भर्ती रहे, इसलिए बीमा कंपनी को बीमा की राशि भुगतान करने का आदेश दिया.

क्या है पूरा मामला
वड़ोदरा निवासी रमेश चंद्र जोशी ने साल 2017 में नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के खिलाफ कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई थी क्योंकि कंपनी ने उनका बीमा क्लेम देने से इनकार कर दिया था. दरअसल जोशी की पत्नी को बीमार अवस्था में वडोदरा के एक हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. हॉस्पिटल ने इलाज के बाद अगले ही दिन उन्हें डिस्चार्ज कर दिया. इसके बाद जोशी ने बीमा कंपनी पर 44,468 रुपये का मेडिकल क्लेम दायर किया. जिसे बीमा कंपनी ने इसे खारिज कर दिया. यह कहते हुए कि मरीज को नियम के तहत 24 घंटे तक हॉस्पिटल में भर्ती नहीं कराया गया था.

इसके बाद जोशी ने उपभोक्ता फोरम में एक शिकायत दर्ज की. जिसमें उन्होंने दस्तावेज के माध्यम से बताया कि उनकी पत्नी 24 नवंबर, 2016 को शाम 5.38 बजे अस्पताल में भर्ती हुईं और 25 नवंबर को अगले दिन शाम 6.30 बजे डिस्चार्ज हुई. इस तरह वह 24 घंटे से ज्यादा समय तक हॉस्पिटल में थी.

उपभोक्ता फोरम का फैसला
उपभोक्ता फोरम ने रमेश चंद्र जोशी के हक में अपना फैसला सुनाया. फोरम ने कहा कि 'पहले के समय में लोग इलाज के लिए लंबे समय तक हॉस्पिटल में भर्ती होते थे. लेकिन नई टेकनोलॉजी आने से मरीजों को भर्ती किए बिना ही या फिर कम समय में ही इलाज किया जा सकता है. इसलिए बीमा कंपनी यह कहकर दावे को खारिज नहीं कर सकती कि मरीज को हॉस्पिटल में भर्ती नहीं किया गया था.' फोरम ने बीमा कंपनी को यह आदेश दिया कि वह दावा खारिज होने की तारीख से 9 फीसदी इंटरेस्ट के साथ जोशी को 44,468 रुपये का भुगतान करे.

पढ़ें : छोटी-छोटी गलतियों की वजह से आपके हाथ से जा सकता है मेडिकल इंश्योरेंस क्लेम, जानें कैसे

वडोदरा: उपभोक्ता फोरम ने मेडिकल क्लेम से जुड़ा एक बड़ा आदेश पारित किया है. जिसमें कहा गया है कि 24 घंटे से कम समय तक भी अस्पताल में भर्ती रहने पर व्यक्ति मेडिकल क्लेम कर सकता है. वड़ोदरा के कंज्यूमर फोरम ने वहां के निवासी रमेश चंद्र की याचिका पर अपना यह फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा कि नई तकनीक आने के बाद से कभी-कभी रोगियों का इलाज कम समय में या अस्पताल में भर्ती हुए बिना भी किया जाता है. यह जरुरी नहीं कि मरीज 24 घंटा अस्पताल में भर्ती रहे, इसलिए बीमा कंपनी को बीमा की राशि भुगतान करने का आदेश दिया.

क्या है पूरा मामला
वड़ोदरा निवासी रमेश चंद्र जोशी ने साल 2017 में नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के खिलाफ कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई थी क्योंकि कंपनी ने उनका बीमा क्लेम देने से इनकार कर दिया था. दरअसल जोशी की पत्नी को बीमार अवस्था में वडोदरा के एक हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. हॉस्पिटल ने इलाज के बाद अगले ही दिन उन्हें डिस्चार्ज कर दिया. इसके बाद जोशी ने बीमा कंपनी पर 44,468 रुपये का मेडिकल क्लेम दायर किया. जिसे बीमा कंपनी ने इसे खारिज कर दिया. यह कहते हुए कि मरीज को नियम के तहत 24 घंटे तक हॉस्पिटल में भर्ती नहीं कराया गया था.

इसके बाद जोशी ने उपभोक्ता फोरम में एक शिकायत दर्ज की. जिसमें उन्होंने दस्तावेज के माध्यम से बताया कि उनकी पत्नी 24 नवंबर, 2016 को शाम 5.38 बजे अस्पताल में भर्ती हुईं और 25 नवंबर को अगले दिन शाम 6.30 बजे डिस्चार्ज हुई. इस तरह वह 24 घंटे से ज्यादा समय तक हॉस्पिटल में थी.

उपभोक्ता फोरम का फैसला
उपभोक्ता फोरम ने रमेश चंद्र जोशी के हक में अपना फैसला सुनाया. फोरम ने कहा कि 'पहले के समय में लोग इलाज के लिए लंबे समय तक हॉस्पिटल में भर्ती होते थे. लेकिन नई टेकनोलॉजी आने से मरीजों को भर्ती किए बिना ही या फिर कम समय में ही इलाज किया जा सकता है. इसलिए बीमा कंपनी यह कहकर दावे को खारिज नहीं कर सकती कि मरीज को हॉस्पिटल में भर्ती नहीं किया गया था.' फोरम ने बीमा कंपनी को यह आदेश दिया कि वह दावा खारिज होने की तारीख से 9 फीसदी इंटरेस्ट के साथ जोशी को 44,468 रुपये का भुगतान करे.

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