मुंबई : दिसंबर महीने में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी), बीपीओ, शिक्षा, खुदरा एवं स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्रों में भर्तियों को लेकर सतर्कता का रुख रहने से साल भर पहले की तुलना में पेशेवरों की नियुक्ति में 16 प्रतिशत की गिरावट देखी गई. मंगलवार को एक रिपोर्ट में यह आकलन पेश किया गया. नौकरियों से संबंधित सूचनाएं देने वाली वेबसाइट नौकरी डॉट कॉम ने नौकरी जॉबस्पीक सूचकांक के विश्लेषण पर आधारित यह रिपोर्ट जारी की है. इसके मुताबिक, दिसंबर के महीने में कुछ क्षेत्रों मे भर्तियों को लेकर सतर्कता का रुख देखा गया.
गैर-आईटी क्षेत्रों की अहम भूमिका रही
नौकरी डॉट कॉम के मुख्य कारोबार अधिकारी पवन गोयल ने कहा कि हमने नवंबर की तुलना में दिसंबर में नियुक्ति गतिविधियों में दो प्रतिशत की मामूली वृद्धि देखी जिसमें गैर-आईटी क्षेत्रों की अहम भूमिका रही है. हालांकि, लगातार प्रभावित हो रहे आईटी क्षेत्र की वजह से पिछले साल के मुकाबले कुल भर्तियों में 16 प्रतिशत की गिरावट आई है. यह आईटी क्षेत्र में भर्ती गतिविधियों के पूरी तरह सामान्य होने में लगने वाले लंबे समय को दर्शाता है.
नियुक्तियों में पिछले साल की तुलना में 21 प्रतिशत की गिरावट
रिपोर्ट कहती है कि आईटी क्षेत्र में दिसंबर, 2023 के दौरान नियुक्तियों में पिछले साल के इसी महीने की तुलना में 21 प्रतिशत की गिरावट देखी गई जबकि नवंबर, 2023 के पिछले महीने की तुलना में चार प्रतिशत की गिरावट रही. नौकरी जॉबस्पीक सूचकांक के मुताबिक, बीपीओ, शिक्षा, खुदरा और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में बीते माह सतर्क नियुक्ति धारणा देखी गई। इन क्षेत्रों में सालाना आधार पर क्रमशः 17 प्रतिशत, 11 प्रतिशत, 11 प्रतिशत और 10 प्रतिशत की गिरावट देखी गई.
नौकरी की वृद्धि मुंबई और दिल्ली-एनसीआर में सबसे ज्यादा है
नौकरी जॉबस्पीक एक मासिक सूचकांक है जो भारतीय नौकरी बाजार की स्थिति को दर्शाता है. यह नौकरी डॉट कॉम के बायोडाटा डेटाबेस पर भर्तीकर्ताओं द्वारा नई नौकरी की सूचना और नौकरी से संबंधित खोजों पर भर्ती गतिविधियों का प्रतिनिधित्व करता है. रिपोर्ट के मुताबिक, आतिथ्य क्षेत्र ने नई नौकरियों की पेशकश में अपनी वृद्धि की रफ्तार कायम रखी है और पिछले साल दिसंबर की तुलना में नियुक्तियां चार प्रतिशत बढ़ी हैं. इस क्षेत्र में नौकरी की वृद्धि मुंबई और दिल्ली-एनसीआर में सबसे ज्यादा है.
रिपोर्ट कहती है कि गैर-महानगरों ने नियुक्ति के मामले में महानगरों को पीछे छोड़ दिया. वडोदरा में तीन प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई जबकि चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे एवं कोलकाता में क्रमशः 24 प्रतिशत, 23 प्रतिशत, 23 प्रतिशत, 17 प्रतिशत एवं 16 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई.