हैदराबाद: कोरोना वायरस के बाद कई लोगों ने स्वास्थ्य बीमा (Health insurance) के महत्व को पहचाना है. लेकिन फिर भी कुछ मिथक हैं. बीमार पड़ने के बाद हेल्थ कवर लेने का कोई फायदा नहीं है. आपको पहले से ही सावधानी बरतनी होगी. जान लें कि बीमा न केवल बीमारियों के दौरान बल्कि अप्रत्याशित दुर्घटनाओं के समय भी आपके बचाव में काम आता है.
कई लोगों का मानना है कि जब तक किसी को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं है, तब तक प्रीमियम का भुगतान करना बेकार है. लेकिन ऐसा गलत है. हर किसी का स्वास्थ्य बीमा होना चाहिए और इसकी शुरुआत कम उम्र से ही होनी चाहिए. हालांकि कोई भी नहीं चाहेगा कि वह बीमार पड़े और उसे बीमा राशि क्लेम करने की जरूरत पड़े. लेकिन जब परिस्थितियों की मांग हो, तो व्यक्ति को बीमा का दावा करने की स्थिति में होना चाहिए. ताकि बेवजह के आर्थिक संकट में फंसने से आप बच सकें.
हां हेल्थ बीमा लेते समय इसका जरूर ध्यान रखना चाहिए कि अस्पताल में भर्ती होने के दौरान स्वास्थ्य बीमा कंपनी कितना लाभ देगी. कम भुगतान वाले प्रीमियम कवर में कुछ शर्तें, सीमाएं होती हैं, नतीजतन, बीमाधारक को अस्पताल के खर्च का कुछ हिस्सा देना होता है. यही कारण है कि हेल्थ पॉलिसी ऐसी लेनी चाहिए ताकि मुसीबत के समय पॉलिसी धारक पर अतिरिक्त बोझ न पड़े.
ध्यान रखिए कि स्वास्थ्य बीमा, जीवन बीमा की तरह नहीं है. सावधि जीवन कवर (Term life covers) कम प्रीमियम (lower premium) के साथ उच्च सुरक्षा (higher security) प्रदान करेगा. स्वास्थ्य कवर पर एक ही नीति लागू नहीं हो सकती है. यदि उपयुक्त स्वास्थ्य बीमा नहीं लिया तो अतिरिक्त खर्चे उठाने होंगे. तब वह एक अतिरिक्त बोझ बन जाएगा. इसके अलावा, केवल प्रीमियम के आधार पर किन्हीं दो कंपनियों की नीतियों की तुलना नहीं की जा सकती है.
आज की अनिश्चितताओं में करियर बनाने वाले बार-बार नौकरी बदल रहे हैं. कुछ ऐसे हैं जो अपने वर्तमान करियर को छोड़ रहे हैं और अपनी रुचि और पसंदीदा जीवन शैली के अनुरूप काम करना पसंद कर रहे हैं. ऐसे व्यक्तियों को अपनी कंपनियों द्वारा प्रदान की जाने वाली समूह बीमा पॉलिसी के अतिरिक्त अनिवार्य रूप से अलग स्वास्थ्य कवर लेना चाहिए.
वर्तमान में कंपनियां 60 से अधिक प्रकार की गंभीर बीमारियों को कवर करने वाली पॉलिसी की पेशकश कर रही हैं. जिनमें कैंसर, दिल का दौरा, किडनी फेल होना, अंग प्रत्यारोपण, पैरालिसिस आदि भी आते हैं. कुछ पॉलिसियां एक करोड़ रुपये तक मुआवजा दे रही हैं. आमतौर पर हेल्थ पॉलिसी सिर्फ 8 से 20 बीमारियों को कवर करती है. पॉलिसी राशि का भुगतान अस्पताल में भर्ती होने और इलाज के खर्च के लिए किया जाता है.
पॉलिसी लेने से पहले नियमों और शर्तों, छूट और उप-सीमाओं की पूरी तरह से जांच करनी चाहिए. इस पर कोई भ्रम होने पर विशेषज्ञों से सलाह लेना बेहतर है. फैमिली डॉक्टर को भी विश्वास में लेना चाहिए. रोगी के बीमार होने के बाद 30 से 90 दिनों तक जीवित रहने पर ही मुआवजे का भुगतान करने जैसी स्थितियों के संबंध में हमेशा सावधानी बरतनी चाहिए.
पढ़ें- ऐसा हेल्थ इंश्योरेंस प्लान चुनें जो कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के इलाज में भी बने सहारा