नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर साझा किए गए एक सरकारी डॉक्यूमेंट ने यूनियन बैंक और यूको बैंक, और बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ महाराष्ट्र के बीच संभावित पीएसयू बैंक विलय के बारे में अटकलें तेज कर दी हैं. डॉक्यूमेंट, जिसके स्रोत का पता नहीं किया जा सका, में कहा गया है कि एक संसदीय समिति बैंकिंग कानूनों के तहत जनवरी के पहले सप्ताह में चार पीएसयू बैंकों के साथ चर्चा करेगी, जो अन्य चीजों के अलावा विलय और अधिग्रहण को नियंत्रित करते हैं. हालांकि, सरकार ने अभी तक विलय को लेकर आधिकारिक जानकारी नहीं दी है. चार पीएसयू बैंकों में से किसी ने भी इस संबंध में कोई स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग नहीं की है.
एक्स पर वायरल हुआ पोस्ट
एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया जा रहा डॉक्यूमेंट भारत सरकार के अवर सचिव रमेश यादव के नाम से जारी एक सरकारी पीडीएफ है. यह पत्र भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, एलआईसी, आईआरडीएआई और नाबार्ड के अध्यक्ष के साथ-साथ यूको बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, बैंक ऑफ इंडिया और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के एमडी और सीईओ को जारी किया गया है. पीडीएफ न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी, यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी, ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी, नेशनल इंश्योरेंस कंपनी के सीएमडी और एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के एमडी और सीईओ को भी संबोधित है.
कथित सरकारी पीडीएफ के विषय में कहा गया है, 'लोकसभा की अधीनस्थ विधान समिति का 2 से 6 जनवरी 2024 तक मुंबई और गोवा का अध्ययन दौरा कार्यक्रम' का है. 2 दिवसीय कार्यक्रम में 2 जनवरी को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और यूको बैंक के प्रतिनिधियों के साथ और 4 जनवरी 2024 को बैंक ऑफ महाराष्ट्र और बैंक ऑफ इंडिया के प्रतिनिधियों के साथ बैंकिंग विनियमन अधिनियम के तहत बनाए गए नियमों/विनियमों पर अनौपचारिक चर्चा शामिल है.
सरकार की ओर से स्पष्टीकरण
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त मंत्रालय ने कथित तौर पर स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा है कि यह अधीनस्थ कानून पर एक संसदीय समिति है और इसका बैंक विलय की नीतियों से कोई संबंध नहीं है. विलय की चर्चा के बीच, मंत्रालय ने कथित तौर पर अपनी बैठक का एजेंडा बदल दिया. नए एजेंडे के मुताबिक, विलय शब्द का कोई जिक्र नहीं है, जिसका सीधा मतलब है कि यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और यूको बैंक, बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ महाराष्ट्र के बीच विलय का कोई प्रस्ताव नहीं है.