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Global Economic Slowdown: राणे बोले, आर्थिक मंदी का लोगों पर न हो असर, सरकार की जिम्मेदारी

भारत में मंदी की आहट आने लगी है. इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि दुनिया की बड़ी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों की छंटनी शुरू कर दी है. वहीं, मएसएमई मंत्री नारायण मंत्री ने आश्वासन दिया है कि पीएम मोदी की सरकार यह सुनिश्चित करेंगे कि आम नागरिक इससे प्रभावित न हों.

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Published : Jan 16, 2023, 4:35 PM IST

पुणे : केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्री नारायण राणे ने सोमवार को कहा कि केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि वैश्विक आर्थिक मंदी से नागरिक प्रभावित न हों. वह महाराष्ट्र के पुणे शहर में जी20 के पहले अवसंरचना कार्य समूह (आईडब्ल्यूजी) की बैठक का उद्घाटन करने के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे. उन्होंने आर्थिक मंदी की स्थिति का सामना करने के लिए भारत की तैयारियों के बारे में पूछने पर कहा, "चूंकि हम मंत्रिमंडल में हैं, हमें जानकारी मिलती है (आर्थिक मंदी के बारे में) या प्रधानमंत्री मोदीजी हमें इस बारे में सुझाव देते हैं."

उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में बड़े विकसित देश आर्थिक मंदी का सामना कर रहे हैं. उन्होंने आगे कहा, "भारत सरकार और मोदीजी यह सुनिश्चित करने के लिए प्रयास कर रहे हैं कि नागरिक इससे प्रभावित न हों." राणे ने यह भी कहा कि रोजगार पैदा करने वाले उद्योगों को बढ़ावा दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि दीर्घकालिक और सतत आर्थिक वृद्धि के लिए जी20 बैठक महत्वपूर्ण है. भारत एक दिसंबर 2022 से 30 नवंबर 2023 तक जी20 की अध्यक्षता करेगा.

गौरतलब है कि भारत में एक बार फिर से मंदी की आहट होने लगी है. भारत के सामने इस संभावित संकट से निपटने की गंभीर चुनौतियां हैं. विश्व बैंक ने पहले ही चेतावनी दे दी है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी के कगार पर है. अगर विकसित देशों ने अपनी अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए अभी से ठोस कदम नहीं उठाए तो मंदी का आना तय है. विश्व बैंक के मुताबिक, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, चीन, जापान के साथ-साथ पूरे यूरोपीय देशों में आर्थिक विकास की रफ्तार बेहद सुस्त है. इसका असर दुनिया भर में दिखाई देने लगा है. विश्व बैंक ने वैश्विक आर्थिक विकास की दर को तीन प्रतिशत से घटाकर 1.7 प्रतिशत कर दिया है.

पुणे : केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्री नारायण राणे ने सोमवार को कहा कि केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि वैश्विक आर्थिक मंदी से नागरिक प्रभावित न हों. वह महाराष्ट्र के पुणे शहर में जी20 के पहले अवसंरचना कार्य समूह (आईडब्ल्यूजी) की बैठक का उद्घाटन करने के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे. उन्होंने आर्थिक मंदी की स्थिति का सामना करने के लिए भारत की तैयारियों के बारे में पूछने पर कहा, "चूंकि हम मंत्रिमंडल में हैं, हमें जानकारी मिलती है (आर्थिक मंदी के बारे में) या प्रधानमंत्री मोदीजी हमें इस बारे में सुझाव देते हैं."

उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में बड़े विकसित देश आर्थिक मंदी का सामना कर रहे हैं. उन्होंने आगे कहा, "भारत सरकार और मोदीजी यह सुनिश्चित करने के लिए प्रयास कर रहे हैं कि नागरिक इससे प्रभावित न हों." राणे ने यह भी कहा कि रोजगार पैदा करने वाले उद्योगों को बढ़ावा दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि दीर्घकालिक और सतत आर्थिक वृद्धि के लिए जी20 बैठक महत्वपूर्ण है. भारत एक दिसंबर 2022 से 30 नवंबर 2023 तक जी20 की अध्यक्षता करेगा.

गौरतलब है कि भारत में एक बार फिर से मंदी की आहट होने लगी है. भारत के सामने इस संभावित संकट से निपटने की गंभीर चुनौतियां हैं. विश्व बैंक ने पहले ही चेतावनी दे दी है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी के कगार पर है. अगर विकसित देशों ने अपनी अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए अभी से ठोस कदम नहीं उठाए तो मंदी का आना तय है. विश्व बैंक के मुताबिक, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, चीन, जापान के साथ-साथ पूरे यूरोपीय देशों में आर्थिक विकास की रफ्तार बेहद सुस्त है. इसका असर दुनिया भर में दिखाई देने लगा है. विश्व बैंक ने वैश्विक आर्थिक विकास की दर को तीन प्रतिशत से घटाकर 1.7 प्रतिशत कर दिया है.

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