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FPI Sales: एफपीआई की बिक्री जारी, अक्टूबर में इक्विटी से निकाले 8,000 करोड़ रुपये

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा, आगे बढ़ते हुए, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के ऊंचे डॉलर और अमेरिकी बांड पैदावार के संदर्भ में जल्द ही बाजार में खरीदार बनने की संभावना नहीं है.

FPI sales continue
एफपीआई की बिक्री जारी
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 8, 2023, 9:15 PM IST

नई दिल्ली: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने डॉलर की बढ़त और अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में लगातार वृद्धि के कारण अक्टूबर के पहले सप्ताह में 8,000 करोड़ रुपये की इक्विटी बाजार में बेच दी. इससे पहले सितंबर में भी एफपीआई शुद्ध विक्रेता बने रहे और उन्होंने 14,767 करोड़ रुपये निकाले थे. एफपीआई मार्च से अगस्त तक पिछले छह महीनों में लगातार लिवाली कर रहे थे और इस अवधि के दौरान 1.74 लाख करोड़ रुपये भारतीय शेयर बाजार में आए.

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा कि आने वाले वक्त में डॉलर की मजबूती और अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल के संदर्भ में एफपीआई के जल्द बाजार में खरीदार बनने की संभावना नहीं है. आंकड़ों के मुताबिक एफपीआई ने इस महीने छह अक्टूबर तक 8,000 करोड़ रुपये के शेयर बेचे. भारत इस साल एफपीआई को आकर्षित करने में उभरती अर्थव्यवस्थाओं में शीर्ष पर बना हुआ है, लेकिन सितंबर में बिकवाली देखी गई और अक्टूबर की शुरुआत भी इसी रुझान के साथ हुई है.

मॉर्निंगस्टार इंडिया में सहायक निदेशक हिमांशु श्रीवास्तव ने इस बिकवाली के लिए अमेरिका और यूरोजोन में आर्थिक अनिश्चितताओं के साथ-साथ वैश्विक आर्थिक वृद्धि के बारे में बढ़ती चिंताओं को जिम्मेदार ठहराया. इस परिदृश्य ने विदेशी निवेशकों को जोखिम से बचने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने कहा कि इसके अलावा कच्चे तेल की ऊंची कीमतों, महंगाई के स्थिर आंकड़ों और उम्मीद से अधिक समय तक ब्याज दर ऊंचे स्तर पर बने रहने की आशंका से विदेशी निवेशकों ने 'इंतजार करो और देखो' का रुख अपनाया.

श्रीवास्तव ने कहा कि भारत में सामान्य से कम मानसून और मुद्रास्फीति पर इसका असर घरेलू अर्थव्यवस्था के लिए भी चिंता का विषय है, जिसे विदेशी निवेशक भी जानते होंगे. एफपीआई की बिकवाली की भरपाई घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) की खरीदारी से हुई. समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ने देश के बॉन्ड बाजार में 2,081 करोड़ रुपये का निवेश किया. इसके साथ ही इस साल अब तक इक्विटी में एफपीआई का कुल निवेश 1.12 लाख करोड़ रुपये और बॉन्ड बाजार में 31,200 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है.

नई दिल्ली: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने डॉलर की बढ़त और अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में लगातार वृद्धि के कारण अक्टूबर के पहले सप्ताह में 8,000 करोड़ रुपये की इक्विटी बाजार में बेच दी. इससे पहले सितंबर में भी एफपीआई शुद्ध विक्रेता बने रहे और उन्होंने 14,767 करोड़ रुपये निकाले थे. एफपीआई मार्च से अगस्त तक पिछले छह महीनों में लगातार लिवाली कर रहे थे और इस अवधि के दौरान 1.74 लाख करोड़ रुपये भारतीय शेयर बाजार में आए.

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा कि आने वाले वक्त में डॉलर की मजबूती और अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल के संदर्भ में एफपीआई के जल्द बाजार में खरीदार बनने की संभावना नहीं है. आंकड़ों के मुताबिक एफपीआई ने इस महीने छह अक्टूबर तक 8,000 करोड़ रुपये के शेयर बेचे. भारत इस साल एफपीआई को आकर्षित करने में उभरती अर्थव्यवस्थाओं में शीर्ष पर बना हुआ है, लेकिन सितंबर में बिकवाली देखी गई और अक्टूबर की शुरुआत भी इसी रुझान के साथ हुई है.

मॉर्निंगस्टार इंडिया में सहायक निदेशक हिमांशु श्रीवास्तव ने इस बिकवाली के लिए अमेरिका और यूरोजोन में आर्थिक अनिश्चितताओं के साथ-साथ वैश्विक आर्थिक वृद्धि के बारे में बढ़ती चिंताओं को जिम्मेदार ठहराया. इस परिदृश्य ने विदेशी निवेशकों को जोखिम से बचने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने कहा कि इसके अलावा कच्चे तेल की ऊंची कीमतों, महंगाई के स्थिर आंकड़ों और उम्मीद से अधिक समय तक ब्याज दर ऊंचे स्तर पर बने रहने की आशंका से विदेशी निवेशकों ने 'इंतजार करो और देखो' का रुख अपनाया.

श्रीवास्तव ने कहा कि भारत में सामान्य से कम मानसून और मुद्रास्फीति पर इसका असर घरेलू अर्थव्यवस्था के लिए भी चिंता का विषय है, जिसे विदेशी निवेशक भी जानते होंगे. एफपीआई की बिकवाली की भरपाई घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) की खरीदारी से हुई. समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ने देश के बॉन्ड बाजार में 2,081 करोड़ रुपये का निवेश किया. इसके साथ ही इस साल अब तक इक्विटी में एफपीआई का कुल निवेश 1.12 लाख करोड़ रुपये और बॉन्ड बाजार में 31,200 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है.

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