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FPI Investment : विदेशी निवेशकों का भारत से भरोसा डगमगाया, सितंबर में अबतक ₹4200 करोड़ निकाले - भारतीय शेयर बाजार

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI Investment) सितंबर माह में भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली हो गए हैं. इससे पहले एफपीआई का भारतीय शेयरों में निवेश अगस्त में चार माह के निचले स्तर 12,262 करोड़ रुपये पर आ गया था.

FPI Investment
विदेशी निवेशक
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 10, 2023, 1:57 PM IST

नई दिल्ली : भारतीय शेयर बाजारों में लगातार छह माह तक शुद्ध लिवाल रहने के बाद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) अब बिकवाल बन गए हैं. उन्होंने सितंबर में अबतक शेयर बाजारों से 4,200 करोड़ रुपये निकाले हैं. यस सिक्योरिटीज (इंडिया) लिमिटेड की मुख्य निवेश सलाहकार निताशा शंकर ने कहा कि आने वाले एक या दो सप्ताह में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की निकासी का सिलसिला जारी रह सकता है.

निवेश अगस्त में 4 माह के निचले स्तर पर था
उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा हमें रुपये के तेज उतार-चढ़ाव पर भी नजर रखने की जरूरत है, जो आगे चलकर FPI प्रवाह को प्रभावित कर सकता है.’ डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने इस महीने में आठ सितंबर तक शेयरों से शुद्ध रूप से 4,203 करोड़ रुपये निकाले हैं. इससे पहले एफपीआई का भारतीय शेयरों में निवेश अगस्त में चार माह के निचले स्तर 12,262 करोड़ रुपये पर आ गया था.

मार्च से अगस्त तक FPI लिवाल रहे
इससे पहले एफपीआई पिछले छह माह मार्च से अगस्त तक लगातार भारतीय शेयरों में लिवाल रहे थे. इस दौरान उन्होंने 1.74 लाख करोड़ रुपये के शेयर खरीदे थे. जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने सितंबर में रुझान में बदलाव के लिए अमेरिका में बॉन्ड प्रतिफल बढ़ने को प्रमुख वजह बताया. उन्होंने कहा कि इसके अलावा डॉलर सूचकांक की मजबूती की वजह से भी FPI के रुख में बदलाव आया है.

निकासी की ये है वजह
मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की निकासी की मुख्य वजह वैश्विक ब्याज दर परिदृश्य, विशेष रूप से अमेरिका में अनिश्चितता और वैश्विक आर्थिक वृद्धि को लेकर चिंता रही है.’ उन्होंने कहा कि ये चिंताएं व्यापक वैश्विक आर्थिक कारकों से उपजी हैं. इनमें कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें और मुद्रास्फीति जोखिमों का फिर उभरना शामिल है.

समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ने शेयरों के अलावा ऋण या बॉन्ड बाजार में 643 करोड़ रुपये का निवेश किया है. इसके साथ ही इस साल अबतक शेयरों में FPI का कुल निवेश 1.31 लाख करोड़ रुपये और बॉन्ड बाजार में 28,825 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है.

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(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : भारतीय शेयर बाजारों में लगातार छह माह तक शुद्ध लिवाल रहने के बाद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) अब बिकवाल बन गए हैं. उन्होंने सितंबर में अबतक शेयर बाजारों से 4,200 करोड़ रुपये निकाले हैं. यस सिक्योरिटीज (इंडिया) लिमिटेड की मुख्य निवेश सलाहकार निताशा शंकर ने कहा कि आने वाले एक या दो सप्ताह में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की निकासी का सिलसिला जारी रह सकता है.

निवेश अगस्त में 4 माह के निचले स्तर पर था
उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा हमें रुपये के तेज उतार-चढ़ाव पर भी नजर रखने की जरूरत है, जो आगे चलकर FPI प्रवाह को प्रभावित कर सकता है.’ डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने इस महीने में आठ सितंबर तक शेयरों से शुद्ध रूप से 4,203 करोड़ रुपये निकाले हैं. इससे पहले एफपीआई का भारतीय शेयरों में निवेश अगस्त में चार माह के निचले स्तर 12,262 करोड़ रुपये पर आ गया था.

मार्च से अगस्त तक FPI लिवाल रहे
इससे पहले एफपीआई पिछले छह माह मार्च से अगस्त तक लगातार भारतीय शेयरों में लिवाल रहे थे. इस दौरान उन्होंने 1.74 लाख करोड़ रुपये के शेयर खरीदे थे. जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने सितंबर में रुझान में बदलाव के लिए अमेरिका में बॉन्ड प्रतिफल बढ़ने को प्रमुख वजह बताया. उन्होंने कहा कि इसके अलावा डॉलर सूचकांक की मजबूती की वजह से भी FPI के रुख में बदलाव आया है.

निकासी की ये है वजह
मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की निकासी की मुख्य वजह वैश्विक ब्याज दर परिदृश्य, विशेष रूप से अमेरिका में अनिश्चितता और वैश्विक आर्थिक वृद्धि को लेकर चिंता रही है.’ उन्होंने कहा कि ये चिंताएं व्यापक वैश्विक आर्थिक कारकों से उपजी हैं. इनमें कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें और मुद्रास्फीति जोखिमों का फिर उभरना शामिल है.

समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ने शेयरों के अलावा ऋण या बॉन्ड बाजार में 643 करोड़ रुपये का निवेश किया है. इसके साथ ही इस साल अबतक शेयरों में FPI का कुल निवेश 1.31 लाख करोड़ रुपये और बॉन्ड बाजार में 28,825 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है.

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(पीटीआई-भाषा)

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