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इंटरनेट तक पहुंच को इस तरह लोकतांत्रिक बनाया जाए कि लोगों पर न पड़े सेवा का भार: जयजीत भट्टाचार्य

Foreign apps generating data : भारत में मासिक वायरलेस डेटा उपयोग दिसंबर 2014 में 9.24 करोड़ जीबी से करीब 156 गुना बढ़कर दिसंबर 2022 में 14400 अरब जीबी हो गया है पढ़ें खबर...

Foreign apps generating data
भारत में मासिक वायरलेस डेटा
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By PTI

Published : Nov 23, 2023, 1:44 PM IST

नई दिल्ली : शोध संस्थान सी-डीईपी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बड़ी मात्रा में डेटा जेनरेट करने वाले विदेशी ऐप को दूरसंचार नेटवर्क के निर्माण में योगदान देना चाहिए जिससे बाजार में सही संरचना तैयार की जा सकेगी. प्रौद्योगिकी उद्योग के दिग्गज और सेंटर फॉर डिजिटल इकोनॉमी पॉलिसी रिसर्च के अध्यक्ष जयजीत भट्टाचार्य ने पीटीआई-भाषा को बताया कि वह नेट तटस्थता सिद्धांतों के पक्षधर हैं और वर्तमान में स्थिति यह है कि इंटरनेट तक पहुंच को इस तरह से लोकतांत्रिक बनाया जाए कि जो लोग इसका कम इस्तेमाल करते हैं उन पर अन्य लोगों के द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली सेवा का भार ना पड़े.

Foreign apps generating data
भारत में मासिक वायरलेस डेटा

डेटा जेनरेट करने वाले प्रमुख एप विदेशी
उन्होंने कहा कि अधिक डेटा जेनरेट करने वाले प्रमुख एप विदेशी हैं. ये या तो अमेरिकी हैं या चीनी है. मुझे लगता है नीतिगत दृष्टिकोण से यह सुनिश्चित करना बहुत मायने रखता है कि वे उस नेटवर्क में योगदान करें जिसका वे इस्तेमाल कर रहे हैं. वे खुद तो अरबों डॉलर का राजस्व उत्पन्न करते हैं, जबकि नेटवर्क को ऐसी स्थिति में धकेलते हैं जहां पूंजी निवेश के कुछ और दौर के बाद भी वे वित्तीय रूप से व्यवहार्य नहीं रह पाएंगे.राजस्व बंटवारे के मुद्दे पर दूरसंचार ऑपरेटर और इंटरनेट-आधारित एप के बीच विवाद चल रहा है.

गूगल, फेसबुक, नेटफ्लिक्स जैसे एप शामिल
दूरसंचार ऑपरेटर मांग कर रहे हैं कि ओवर-द-टॉप (ओटीटी) मंच जो बड़ी मात्रा में डेटा जनरेट करते हैं, उन्हें नेटवर्क तैयार करने के लिए शुल्क का भुगतान करना चाहिए ताकि सेवाएं सुचारू और सुगम हो पाएं. हालांकि, उद्योग निकाय ने प्रस्ताव का विरोध किया है और इसे नेट तटस्थता सिद्धांतों का उल्लंघन बताया है. इस निकाय में गूगल, फेसबुक, नेटफ्लिक्स जैसे एप शामिल हैं.भट्टाचार्य ने कहा कि दूरसंचार कंपनियां नेटवर्क तैयार करने के लिए पूंजी की व्यवस्था करने में संघर्ष करती रहती हैं लेकिन पूंजी पर उनका रिटर्न एकल अंक में होता है जो निवेशकों को खुश करने के लिए पर्याप्त नहीं है

दूरसंचार और डिजिटल देश की धड़कन
उन्होंने कहा कि दूरसंचार खिलाड़ियों को निजी क्षेत्र की संस्थाओं के रूप में नहीं बल्कि एक राष्ट्रीय संसाधन के रूप में मानें. यदि हम अपनी दूरसंचार कंपनियों पर नियंत्रण खो देते हैं और वे भारतीय नहीं हैं तो इसका बहुत गहरा प्रभाव पड़ेगा. दूरसंचार और डिजिटल देश की धड़कन हैं. यदि हमारे पास दूरसंचार तथा डिजिटल बुनियादी ढांचा नहीं है, जो हमारे नियंत्रण में है तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी ठीक नहीं है.

5.6 गुना ही बढ़ा वायरलेस ग्राहक
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, भारत में मासिक वायरलेस डेटा उपयोग दिसंबर 2014 में 9.24 करोड़ जीबी से करीब 156 गुना बढ़कर दिसंबर 2022 में 14400 अरब जीबी हो गया. हालांकि, इसी अवधि में डेटा से औसत राजस्व देश में प्रति माह प्रति वायरलेस ग्राहक उपयोग करीब 5.6 गुना ही बढ़ा.

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Foreign apps generating data
भारत में मासिक वायरलेस डेटा

डेटा जेनरेट करने वाले प्रमुख एप विदेशी
उन्होंने कहा कि अधिक डेटा जेनरेट करने वाले प्रमुख एप विदेशी हैं. ये या तो अमेरिकी हैं या चीनी है. मुझे लगता है नीतिगत दृष्टिकोण से यह सुनिश्चित करना बहुत मायने रखता है कि वे उस नेटवर्क में योगदान करें जिसका वे इस्तेमाल कर रहे हैं. वे खुद तो अरबों डॉलर का राजस्व उत्पन्न करते हैं, जबकि नेटवर्क को ऐसी स्थिति में धकेलते हैं जहां पूंजी निवेश के कुछ और दौर के बाद भी वे वित्तीय रूप से व्यवहार्य नहीं रह पाएंगे.राजस्व बंटवारे के मुद्दे पर दूरसंचार ऑपरेटर और इंटरनेट-आधारित एप के बीच विवाद चल रहा है.

गूगल, फेसबुक, नेटफ्लिक्स जैसे एप शामिल
दूरसंचार ऑपरेटर मांग कर रहे हैं कि ओवर-द-टॉप (ओटीटी) मंच जो बड़ी मात्रा में डेटा जनरेट करते हैं, उन्हें नेटवर्क तैयार करने के लिए शुल्क का भुगतान करना चाहिए ताकि सेवाएं सुचारू और सुगम हो पाएं. हालांकि, उद्योग निकाय ने प्रस्ताव का विरोध किया है और इसे नेट तटस्थता सिद्धांतों का उल्लंघन बताया है. इस निकाय में गूगल, फेसबुक, नेटफ्लिक्स जैसे एप शामिल हैं.भट्टाचार्य ने कहा कि दूरसंचार कंपनियां नेटवर्क तैयार करने के लिए पूंजी की व्यवस्था करने में संघर्ष करती रहती हैं लेकिन पूंजी पर उनका रिटर्न एकल अंक में होता है जो निवेशकों को खुश करने के लिए पर्याप्त नहीं है

दूरसंचार और डिजिटल देश की धड़कन
उन्होंने कहा कि दूरसंचार खिलाड़ियों को निजी क्षेत्र की संस्थाओं के रूप में नहीं बल्कि एक राष्ट्रीय संसाधन के रूप में मानें. यदि हम अपनी दूरसंचार कंपनियों पर नियंत्रण खो देते हैं और वे भारतीय नहीं हैं तो इसका बहुत गहरा प्रभाव पड़ेगा. दूरसंचार और डिजिटल देश की धड़कन हैं. यदि हमारे पास दूरसंचार तथा डिजिटल बुनियादी ढांचा नहीं है, जो हमारे नियंत्रण में है तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी ठीक नहीं है.

5.6 गुना ही बढ़ा वायरलेस ग्राहक
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, भारत में मासिक वायरलेस डेटा उपयोग दिसंबर 2014 में 9.24 करोड़ जीबी से करीब 156 गुना बढ़कर दिसंबर 2022 में 14400 अरब जीबी हो गया. हालांकि, इसी अवधि में डेटा से औसत राजस्व देश में प्रति माह प्रति वायरलेस ग्राहक उपयोग करीब 5.6 गुना ही बढ़ा.

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