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घरेलू कच्चे तेल पर अप्रत्याशित लाभ कर शून्य हुआ, डीजल निर्यात पर 50 प्रतिशत की कटौती - डीजल निर्यात

देश में कच्चे तेल पर शुल्क को घटाकर शून्य कर दिया गया है. वहीं, डीजल के निर्यात कर पर भी एक रुपये से घटाकर 50 पैसे प्रति लीटर कर दिया गया है.

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Published : Apr 4, 2023, 6:40 PM IST

नई दिल्ली : सरकार ने देश में उत्पादित कच्चे तेल पर अप्रत्याशित लाभ कर घटाकर शून्य कर दिया है. साथ ही डीजल निर्यात पर शुल्क आधा कर 50 पैसे प्रति लीटर कर दिया गया है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में नरमी के साथ यह कदम उठाया गया है. तीन अप्रैल को जारी आधिकारिक आदेश के अनुसार, ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) जैसी कंपनियों द्वारा उत्पादित कच्चे तेल पर शुल्क को 3,500 रुपये प्रति टन से घटाकर शून्य कर दिया गया है. साथ ही, सरकार ने डीजल के निर्यात पर कर एक रुपये लीटर से घटाकर 50 पैसे प्रति लीटर कर दिया है. इसी तरह, विमान ईंधन (एटीएफ) निर्यात पर कर शून्य होगा. कर की नई दरें चार अप्रैल से प्रभाव में आ गयी हैं.

मार्च के दूसरे पखवाड़े में अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम में नरमी को देखते हुए शुल्क में कटौती की गयी है. हालांकि, तेल निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) और उसके सहयोगी देशों के अचानक से कच्चे तेल उत्पादन में कटौती की घोषणा से इस महीने कच्चे तेल के दाम चढ़े हैं. इस बारे में रेटिंग एजेंसी इक्रा लि. के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और समूह प्रमुख (कॉरपोरेट रेटिंग) सब्यसाची मजूमदार ने कहा कि 21 मार्च, 2023 को विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (एसएईडी) की समीक्षा के बाद कच्चे तेल के दाम में नरमी आई है. उसको देखते हुए शुल्क में कटौती की गयी है. उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, ओपेक और उसके सहयोगी देशों के प्रतिदिन 11.6 लाख बैरल अतिरिक्त उत्पादन कटौती की घोषणा के बाद से कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आई है. ऐसे में कच्चे तेल की कीमतें अगर आगे भी चढ़ती हैं तो शुल्क दरें फिर बढ़ सकती है.’’ पिछले दो सप्ताह में तेल की औसत कीमतों के आधार पर कर दरों की समीक्षा हर पखवाड़े की जाती है.

सरकार की कच्चे तेल के उत्पादन और पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात पर लगाये गये विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क से प्राप्ति एक जुलाई, 2022 से मार्च, 2023 तक 40,000 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है. भारत ने सबसे पहले अप्रत्याशित लाभ कर पिछले साल एक जुलाई को लगाया गया था. इसके साथ भारत उन देशों में शामिल हुआ जिन्होंने ऊर्जा कंपनियों को हो रहे बेतहाशा लाभ पर कर लगाया है. उस समय, पेट्रोल और विमान ईंधन पर छह रुपये प्रति लीटर का निर्यात शुल्क लगाया गया था. वहीं डीजल पर 13 रुपये लीटर का शुल्क लगाया गया था. साथ ही घरेलू कच्चे तेल के उत्पादन पर 23,250 रुपये प्रति टन अप्रत्याशित लाभ कर भी लगाया गया था. हालांकि, पहली समीक्षा में पेट्रोल पर निर्यात शुल्क हटा दिया गया. वहीं एटीएफ पर शुल्क चार मार्च की समीक्षा में समाप्त कर दिया गया.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : सरकार ने देश में उत्पादित कच्चे तेल पर अप्रत्याशित लाभ कर घटाकर शून्य कर दिया है. साथ ही डीजल निर्यात पर शुल्क आधा कर 50 पैसे प्रति लीटर कर दिया गया है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में नरमी के साथ यह कदम उठाया गया है. तीन अप्रैल को जारी आधिकारिक आदेश के अनुसार, ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) जैसी कंपनियों द्वारा उत्पादित कच्चे तेल पर शुल्क को 3,500 रुपये प्रति टन से घटाकर शून्य कर दिया गया है. साथ ही, सरकार ने डीजल के निर्यात पर कर एक रुपये लीटर से घटाकर 50 पैसे प्रति लीटर कर दिया है. इसी तरह, विमान ईंधन (एटीएफ) निर्यात पर कर शून्य होगा. कर की नई दरें चार अप्रैल से प्रभाव में आ गयी हैं.

मार्च के दूसरे पखवाड़े में अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम में नरमी को देखते हुए शुल्क में कटौती की गयी है. हालांकि, तेल निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) और उसके सहयोगी देशों के अचानक से कच्चे तेल उत्पादन में कटौती की घोषणा से इस महीने कच्चे तेल के दाम चढ़े हैं. इस बारे में रेटिंग एजेंसी इक्रा लि. के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और समूह प्रमुख (कॉरपोरेट रेटिंग) सब्यसाची मजूमदार ने कहा कि 21 मार्च, 2023 को विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (एसएईडी) की समीक्षा के बाद कच्चे तेल के दाम में नरमी आई है. उसको देखते हुए शुल्क में कटौती की गयी है. उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, ओपेक और उसके सहयोगी देशों के प्रतिदिन 11.6 लाख बैरल अतिरिक्त उत्पादन कटौती की घोषणा के बाद से कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आई है. ऐसे में कच्चे तेल की कीमतें अगर आगे भी चढ़ती हैं तो शुल्क दरें फिर बढ़ सकती है.’’ पिछले दो सप्ताह में तेल की औसत कीमतों के आधार पर कर दरों की समीक्षा हर पखवाड़े की जाती है.

सरकार की कच्चे तेल के उत्पादन और पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात पर लगाये गये विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क से प्राप्ति एक जुलाई, 2022 से मार्च, 2023 तक 40,000 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है. भारत ने सबसे पहले अप्रत्याशित लाभ कर पिछले साल एक जुलाई को लगाया गया था. इसके साथ भारत उन देशों में शामिल हुआ जिन्होंने ऊर्जा कंपनियों को हो रहे बेतहाशा लाभ पर कर लगाया है. उस समय, पेट्रोल और विमान ईंधन पर छह रुपये प्रति लीटर का निर्यात शुल्क लगाया गया था. वहीं डीजल पर 13 रुपये लीटर का शुल्क लगाया गया था. साथ ही घरेलू कच्चे तेल के उत्पादन पर 23,250 रुपये प्रति टन अप्रत्याशित लाभ कर भी लगाया गया था. हालांकि, पहली समीक्षा में पेट्रोल पर निर्यात शुल्क हटा दिया गया. वहीं एटीएफ पर शुल्क चार मार्च की समीक्षा में समाप्त कर दिया गया.

(पीटीआई-भाषा)

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