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Government Projects : 821 परियोजनाओं में देरी, सड़क परिवहन में सबसे ज्यादा 402 प्रोजेक्ट्स समय से पीछे

सरकार द्वारा चलाई जा रही परियोजनाओं को लेकर एक रिपोर्ट जारी हुई है. जिसके अनुसार 821 परियोजनाएं अपने मूल समय से पीछे चल रही है. देरी से चलने वाली परियोजनाओं में सबसे अधिक राजमार्ग क्षेत्र में 402 परियोजनाएं लंबित हैं. वहीं, कुछ परियोजनाओं में देरी के कारण उसकी लागत बढ़ गई है.

Government Projects
सड़क परिवहन में सबसे ज्यादा 402 प्रोजेक्ट्स समय से पीछे
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Published : Apr 30, 2023, 3:09 PM IST

नई दिल्ली : सड़क परिवहन और राजमार्ग क्षेत्र में सबसे अधिक 402 परियोजनाएं लंबित हैं. इसके बाद रेलवे की 115 और पेट्रोलियम क्षेत्र की 86 परियोजनाएं देरी से चल रही हैं. सरकार की एक रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है. अवसंरचना क्षेत्र की परियोजनाओं पर मार्च, 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, सड़क परिवहन और राजमार्ग क्षेत्र में 749 में से 402 परियोजनाओं में देरी हो रही है. रेलवे की 173 में से 115 परियोजनाएं अपने समय से पीछे चल रही हैं. वहीं पेट्रोलियम क्षेत्र की 145 में से 86 परियोजनाएं अपने निर्धारित समय से पीछे चल रही हैं.

अवसंरचना एवं परियोजना निगरानी प्रभाग (आईपीएमडी) 150 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली केंद्रीय क्षेत्र की परियोजनाओं की निगरानी करता है. आईपीएमडी, सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के अंतर्गत आता है. रिपोर्ट से पता चलता है कि मुनीराबाद-महबूबनगर रेल परियोजना सबसे अधिक देरी वाली परियोजना हैं. यह अपने निर्धारित समय से 276 महीने पीछे है.

दूसरी सबसे देरी वाली परियोजना उधमपुर-श्रीनगर-बारापूला रेल परियोजना है. इसमें 247 माह का विलंब है. इसके अलावा बेलापुर-सीवुड शहरी विद्युतीकरण दोहरी लाइन परियोजना अपने निर्धारित समय से 228 महीने पीछे है. मार्च, 2023 की रिपोर्ट में 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक की लागत वाली केंद्रीय क्षेत्र की 1,449 परियोजनाओं का ब्योरा है.

पढ़ें : Urban Extension Road: तीसरी रिंग रोड से लोगों को मिलेगी प्रदूषण-जाम से राहत, नितिन गडकरी ने बताई वजह

354 परियोजनाओं की लागत बढ़ी : रिपोर्ट के अनुसार, 821 परियोजनाएं अपने मूल समय से पीछे हैं. वहीं 354 परियोजनाएं ऐसी हैं जिनकी लागत बढ़ चुकी है. 247 परियोजनाएं देरी से भी चल रही हैं और इनकी लागत भी बढ़ी है. कुल 821 परियोजनाएं अपनी मूल निर्धारित समयसीमा से पीछे हैं और 165 परियोजनाएं ऐसी हैं जिनमें पिछले माह की तुलना में विलंब और बढ़ा है. इन 165 परियोजनाओं में से 52 बड़ी यानी 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाएं हैं.

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग क्षेत्र के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि 749 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल लागत 4,32,893.85 करोड़ रुपये थी, जिसके अब बढ़कर 4,51,168.46 करोड़ रुपये होने का अनुमान है. इस तरह इन परियोजनाओं की लागत 4.2 प्रतिशत बढ़ी है. मार्च, 2023 तक इन परियोजनाओं पर 2,31,620.94 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं, जो मूल लागत का 51.3 प्रतिशत है.

इसी तरह रेलवे क्षेत्र में 173 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल लागत 3,72,761.45 करोड़ रुपये थी, जिसे बाद में संशोधित कर 6,27,160.59 करोड़ रुपये कर दिया गया. इस तरह इनकी लागत में 68.2 फीसदी की वृद्धि हुई है. इन परियोजनाओं पर मार्च, 2023 तक 3,84,947.64 करोड़ रुपये या परियोजनाओं की अनुमानित लागत का 61.4 फीसदी खर्च किया जा चुका है.

पेट्रोलियम क्षेत्र की 145 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल लागत 3,63,608.84 करोड़ रुपये थी, लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 3,84,082.25 करोड़ रुपये कर दिया गया. इन परियोजनाओं की लागत में 5.6 फीसदी की वृद्धि हुई है. इन परियोजनाओं पर मार्च, 2023 तक 1,52,566.01 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं, जो कुल लागत का 39.7 प्रतिशत बैठता है.

(पीटीआई-भाषा)

पढ़ें : Infrastructure Projects : इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की 354 परियोजनाओं की लागत ₹4.55 लाख करोड़ बढ़ी, 821 प्रोजेक्ट में देरी

नई दिल्ली : सड़क परिवहन और राजमार्ग क्षेत्र में सबसे अधिक 402 परियोजनाएं लंबित हैं. इसके बाद रेलवे की 115 और पेट्रोलियम क्षेत्र की 86 परियोजनाएं देरी से चल रही हैं. सरकार की एक रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है. अवसंरचना क्षेत्र की परियोजनाओं पर मार्च, 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, सड़क परिवहन और राजमार्ग क्षेत्र में 749 में से 402 परियोजनाओं में देरी हो रही है. रेलवे की 173 में से 115 परियोजनाएं अपने समय से पीछे चल रही हैं. वहीं पेट्रोलियम क्षेत्र की 145 में से 86 परियोजनाएं अपने निर्धारित समय से पीछे चल रही हैं.

अवसंरचना एवं परियोजना निगरानी प्रभाग (आईपीएमडी) 150 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली केंद्रीय क्षेत्र की परियोजनाओं की निगरानी करता है. आईपीएमडी, सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के अंतर्गत आता है. रिपोर्ट से पता चलता है कि मुनीराबाद-महबूबनगर रेल परियोजना सबसे अधिक देरी वाली परियोजना हैं. यह अपने निर्धारित समय से 276 महीने पीछे है.

दूसरी सबसे देरी वाली परियोजना उधमपुर-श्रीनगर-बारापूला रेल परियोजना है. इसमें 247 माह का विलंब है. इसके अलावा बेलापुर-सीवुड शहरी विद्युतीकरण दोहरी लाइन परियोजना अपने निर्धारित समय से 228 महीने पीछे है. मार्च, 2023 की रिपोर्ट में 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक की लागत वाली केंद्रीय क्षेत्र की 1,449 परियोजनाओं का ब्योरा है.

पढ़ें : Urban Extension Road: तीसरी रिंग रोड से लोगों को मिलेगी प्रदूषण-जाम से राहत, नितिन गडकरी ने बताई वजह

354 परियोजनाओं की लागत बढ़ी : रिपोर्ट के अनुसार, 821 परियोजनाएं अपने मूल समय से पीछे हैं. वहीं 354 परियोजनाएं ऐसी हैं जिनकी लागत बढ़ चुकी है. 247 परियोजनाएं देरी से भी चल रही हैं और इनकी लागत भी बढ़ी है. कुल 821 परियोजनाएं अपनी मूल निर्धारित समयसीमा से पीछे हैं और 165 परियोजनाएं ऐसी हैं जिनमें पिछले माह की तुलना में विलंब और बढ़ा है. इन 165 परियोजनाओं में से 52 बड़ी यानी 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाएं हैं.

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग क्षेत्र के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि 749 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल लागत 4,32,893.85 करोड़ रुपये थी, जिसके अब बढ़कर 4,51,168.46 करोड़ रुपये होने का अनुमान है. इस तरह इन परियोजनाओं की लागत 4.2 प्रतिशत बढ़ी है. मार्च, 2023 तक इन परियोजनाओं पर 2,31,620.94 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं, जो मूल लागत का 51.3 प्रतिशत है.

इसी तरह रेलवे क्षेत्र में 173 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल लागत 3,72,761.45 करोड़ रुपये थी, जिसे बाद में संशोधित कर 6,27,160.59 करोड़ रुपये कर दिया गया. इस तरह इनकी लागत में 68.2 फीसदी की वृद्धि हुई है. इन परियोजनाओं पर मार्च, 2023 तक 3,84,947.64 करोड़ रुपये या परियोजनाओं की अनुमानित लागत का 61.4 फीसदी खर्च किया जा चुका है.

पेट्रोलियम क्षेत्र की 145 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल लागत 3,63,608.84 करोड़ रुपये थी, लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 3,84,082.25 करोड़ रुपये कर दिया गया. इन परियोजनाओं की लागत में 5.6 फीसदी की वृद्धि हुई है. इन परियोजनाओं पर मार्च, 2023 तक 1,52,566.01 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं, जो कुल लागत का 39.7 प्रतिशत बैठता है.

(पीटीआई-भाषा)

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