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Crude Oil : सीमा- विवाद के कारण अटकी क्रूड ऑयल के भंडार की खोज, जानें देश के किस राज्य में है संभावना

भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर काफी हद तक निर्भर है. इस निर्भरता को कम किया जा सकता है. देश में तेल के भंडार की खोज करके, लेकिन देश के कुछ राज्यों में सीमा विवाद के कारण यह खोज रूकी हुई है. जानें वह राज्य कौन हैं, पढ़ें पूरी खबर...

OIL CMD Dr Ranjit Rath
ओआईएल के सीएमडी डॉ. रंजीत रथ
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Published : May 28, 2023, 10:48 AM IST

नई दिल्ली: केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के बाद असम और नागालैंड सरकार के बीच चर्चा हुई. दोनों राज्यों के सीमावर्ती क्षेत्रों में तेल की खोज की अपार संभावनाएं हैं. यह कहते हुए ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डॉ रंजीत रथ ने ईटीवी भारत से कहा है कि तेल पीएसयू बहुत जल्द दोनों राज्य सरकारों के बीच एक समझौते की उम्मीद कर रही है. समझौते होने के बाद ओआईएल तेल की खोज का काम आगे बढ़ा सकेगा.

डॉ रंजीत रथ का दिया गया बयान महत्वपूर्ण है क्योंकि नगा विद्रोही संगठन-नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (NSCN-IM) पहले ही असम-नागालैंड सीमा पर इस तरह के संयुक्त खोजों का विरोध कर चुके है. ऐसे में इनके विरोध विवाद समाधान के बिना असम-नागालैंड बॉर्डर पर तेलों की खोज संभव नहीं है. हालांकि असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Minister Himanta Biswa Sarma) और नागालैंड के उनके समकक्ष नीफ्यू रियो (Neiphiu Rio) ने हाल के दिनों में कहा है कि दोनों राज्य सीमावर्ती क्षेत्रों में तेल की खोज के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर साइन करेंगे.

सेसाबिल क्षेत्र में हाइड्रोकार्बन का स्रोत मिला
असम में तेल की क्षमता पर जोर देते हुए रथ ने कहा कि 'कंपनी ने अपनी खोज में पाया है कि असम शेल्फ बेसिन में सेसाबिल क्षेत्र में वर्ष के दौरान एक नई हाइड्रोकार्बन का स्रोत पाया है. हालांकि हम सेसबिल बेसिन में शुरुआती चरण में हैं, लेकिन इसके बावजूद भी यह हमारे लिए बहुत बड़ी संपत्ति है.' तेल दिग्गज ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में अपनी स्थापना के बाद से 6,810.40 करोड़ रुपये का अब तक का सबसे अधिक नेट प्रॉफिट कमाया है. वहीं, गैस उत्पादन और तेल में वृद्धि के कारण कंपनी का साल दर साल परिचालन आय (YoY) 77.20 फीसदी से बढ़ा है.

Crude Oil
देश में क्रूड ऑयल भंडार की संभावना

बागजान की घटना को कंपनी ने किया याद
राज्य की कानून व्यवस्था में सुधार के कारण वित्तीय वर्ष 2022-23 में कंपनी को जीरो लॉस भी हुआ है. इस सवाल पर ओआईएल में निदेशक (संचालन) पंकज कुमार गोस्वामी ने ईटीवी भारत को बताया कि 'हां, बेहतर कानून और व्यवस्था की स्थिति ने हमें शून्य हानि दर्ज करने में मदद की और हमने अपने तेल अन्वेषण कार्य का विस्तार किया है.' उन्होंने बताया कि 2020 में बागजान (Baghjan) की घटना से कंपनी को भारी नुकसान हुआ है. दरअसल 27 मई, 2020 को ऑयल इंडिया लिमिटेड, बागजान में एक कुआं खोद रहा था, जिससे एक बड़ा विस्फोट हुआ. बाघजान में हुई घटना के बाद, OIL ने भविष्य में इस तरह की घटना को रोकने के लिए तेल खोज स्थल पर एक नया SOP और दिशानिर्देश भी लागू किया है.

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पीएनसीपीएल परियोजना का काम जोरों पर
ओआईएल के सीएमडी ने कहा, 'हमने बाघजान जैसी स्थिति से निपटने के लिए अपने उपकरणों को भी बढ़ाया है. साथ ही एक इमरजेंसी टीम भी रखी है. पारादीप नुमालीगढ़ क्रूड पाइपलाइन (पीएनसीपीएल) परियोजना का जिक्र करते हुए रथ ने कहा कि काम जोरों पर चल रहा है और इसके दिसंबर 2024 तक पूरा होने की उम्मीद है. 1630 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन को पारादीप बंदरगाह से चलाने और ओडिशा, पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार के माध्यम से पार करने और असम में नुमालीगढ़ रिफाइनरी में समाप्त करने का प्रस्ताव है. पाइपलाइन नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड (एनआरएल) की एकीकृत रिफाइनरी विस्तार परियोजना का एक अभिन्न हिस्सा है और इसका उद्देश्य 28,000 करोड़ रुपये की लागत से रिफाइनरी की क्षमता को 3 से 9 मिलियन टन प्रति वर्ष तक बढ़ाना है.

नई दिल्ली: केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के बाद असम और नागालैंड सरकार के बीच चर्चा हुई. दोनों राज्यों के सीमावर्ती क्षेत्रों में तेल की खोज की अपार संभावनाएं हैं. यह कहते हुए ऑयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डॉ रंजीत रथ ने ईटीवी भारत से कहा है कि तेल पीएसयू बहुत जल्द दोनों राज्य सरकारों के बीच एक समझौते की उम्मीद कर रही है. समझौते होने के बाद ओआईएल तेल की खोज का काम आगे बढ़ा सकेगा.

डॉ रंजीत रथ का दिया गया बयान महत्वपूर्ण है क्योंकि नगा विद्रोही संगठन-नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (NSCN-IM) पहले ही असम-नागालैंड सीमा पर इस तरह के संयुक्त खोजों का विरोध कर चुके है. ऐसे में इनके विरोध विवाद समाधान के बिना असम-नागालैंड बॉर्डर पर तेलों की खोज संभव नहीं है. हालांकि असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Minister Himanta Biswa Sarma) और नागालैंड के उनके समकक्ष नीफ्यू रियो (Neiphiu Rio) ने हाल के दिनों में कहा है कि दोनों राज्य सीमावर्ती क्षेत्रों में तेल की खोज के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर साइन करेंगे.

सेसाबिल क्षेत्र में हाइड्रोकार्बन का स्रोत मिला
असम में तेल की क्षमता पर जोर देते हुए रथ ने कहा कि 'कंपनी ने अपनी खोज में पाया है कि असम शेल्फ बेसिन में सेसाबिल क्षेत्र में वर्ष के दौरान एक नई हाइड्रोकार्बन का स्रोत पाया है. हालांकि हम सेसबिल बेसिन में शुरुआती चरण में हैं, लेकिन इसके बावजूद भी यह हमारे लिए बहुत बड़ी संपत्ति है.' तेल दिग्गज ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में अपनी स्थापना के बाद से 6,810.40 करोड़ रुपये का अब तक का सबसे अधिक नेट प्रॉफिट कमाया है. वहीं, गैस उत्पादन और तेल में वृद्धि के कारण कंपनी का साल दर साल परिचालन आय (YoY) 77.20 फीसदी से बढ़ा है.

Crude Oil
देश में क्रूड ऑयल भंडार की संभावना

बागजान की घटना को कंपनी ने किया याद
राज्य की कानून व्यवस्था में सुधार के कारण वित्तीय वर्ष 2022-23 में कंपनी को जीरो लॉस भी हुआ है. इस सवाल पर ओआईएल में निदेशक (संचालन) पंकज कुमार गोस्वामी ने ईटीवी भारत को बताया कि 'हां, बेहतर कानून और व्यवस्था की स्थिति ने हमें शून्य हानि दर्ज करने में मदद की और हमने अपने तेल अन्वेषण कार्य का विस्तार किया है.' उन्होंने बताया कि 2020 में बागजान (Baghjan) की घटना से कंपनी को भारी नुकसान हुआ है. दरअसल 27 मई, 2020 को ऑयल इंडिया लिमिटेड, बागजान में एक कुआं खोद रहा था, जिससे एक बड़ा विस्फोट हुआ. बाघजान में हुई घटना के बाद, OIL ने भविष्य में इस तरह की घटना को रोकने के लिए तेल खोज स्थल पर एक नया SOP और दिशानिर्देश भी लागू किया है.

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पीएनसीपीएल परियोजना का काम जोरों पर
ओआईएल के सीएमडी ने कहा, 'हमने बाघजान जैसी स्थिति से निपटने के लिए अपने उपकरणों को भी बढ़ाया है. साथ ही एक इमरजेंसी टीम भी रखी है. पारादीप नुमालीगढ़ क्रूड पाइपलाइन (पीएनसीपीएल) परियोजना का जिक्र करते हुए रथ ने कहा कि काम जोरों पर चल रहा है और इसके दिसंबर 2024 तक पूरा होने की उम्मीद है. 1630 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन को पारादीप बंदरगाह से चलाने और ओडिशा, पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार के माध्यम से पार करने और असम में नुमालीगढ़ रिफाइनरी में समाप्त करने का प्रस्ताव है. पाइपलाइन नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड (एनआरएल) की एकीकृत रिफाइनरी विस्तार परियोजना का एक अभिन्न हिस्सा है और इसका उद्देश्य 28,000 करोड़ रुपये की लागत से रिफाइनरी की क्षमता को 3 से 9 मिलियन टन प्रति वर्ष तक बढ़ाना है.

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