नई दिल्ली: सरकार ने मंगलवार को चयनित बोलीदाताओं को वाणिज्यिक खनन के लिए तीन अतिरिक्त कोयला खदानें आवंटित कीं. इसके साथ ही वाणिज्यिक खनन के तहत सालाना 8.9 करोड़ टन की अधिकतम क्षमता वाली 48 कोयला खदानों को अब तक आवंटन आदेश प्राप्त हुए हैं. कोयला मंत्रालय के बयान के अनुसार, अतिरिक्त सचिव (कोयला) एम नागराजू ने बोलीदाताओं के प्रतिनिधियों को आवंटन आदेश दिए और ऊर्जा सुरक्षा को आगे बढ़ाने में निजी क्षेत्र की भागीदारी के महत्व पर जोर दिया.
तीन खदानों की संयुक्त उत्पादन क्षमता सालाना 37 लाख टन है और इसके भूगर्भीय भंडार कुल 15.65 करोड़ टन है. इन खानों से वार्षिक राजस्व के रूप में 408 करोड़ रुपये और 550 करोड़ रुपये पूंजी निवेश आने का अनुमान है. इसके अलावा इससे पांच हजार लोगों को रोजगार मिलेगा. सरकार ने नवंबर, 2022 में वाणिज्यिक कोयला खदानों की नीलामी का छठा दौर शुरू किया था और 141 खदानों को नीलामी के लिए रखा था.
इससे पहले कोयला मंत्रालय ने बोलीदाताओं पर वित्तीय बोझ को कम करने के लिए यह तय किया है कि नीलाम की गई कोयला खदान को खोलने की अनुमति मिलने पर प्रदर्शन बैंक गारंटी (पीबीजी) में पहला संशोधन किया जाएगा. पीबीजी किसी बोलीकर्ता की तरफ से उधार देने वाले संगठन को दी जाने वाली एक तरह की गारंटी होती है.
कोयला मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि निविदा दस्तावेज के प्रावधानों के अनुसार सफलतापूर्वक नीलाम की गई प्रत्येक कोयला खदान के लिए पेश किए जाने वाले पीबीजी को साल की शुरुआत में अप्रैल महीने के राष्ट्रीय कोयला सूचकांक (एनसीआई) के आधार पर संशोधित किया जाएगा. वर्ष 2020 में कोयला खदान की वाणिज्यिक नीलामी शुरू होने के बाद से एनसीआई दोगुना हो गया है लिहाजा पीबीजी संशोधन प्रावधानों में छूट के लिए कोयला उद्योग से मंत्रालय को कई अनुरोध मिले थे. मंत्रालय के इस कदम से कोयला खदानों के परिचालन के दौरान बोलीदाताओं पर वित्तीय बोझ कम होने की उम्मीद है और वाणिज्यिक कोयला ब्लॉकों की बिक्री में बोली लगाने वालों की भागीदारी भी बढ़ने की संभावना है.
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(पीटीआई-भाषा)