नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार ने बासमती चावल के निर्यातकों (exporters of basmati rice) को बड़ी राहत देने का एलान किया है. सरकार और उद्योग मिनिस्ट्री के सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि भारत को बासमती चावल के निर्यात के लिए निर्धारित न्यूनतम मूल्य में कटौती की उम्मीद है. सूत्रों ने कहा कि सरकार बासमती चावल के लिए फ्लोर प्राइस या न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP-Minimum Export Price) को 1,200 डॉलर प्रति मीट्रिक टन से घटाकर 950 डॉलर प्रति मीट्रिक टन कर सकती है.
बता दें, 22 अक्टूबर को बासमती चावल एक्सपोर्टरों और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के बीच एक वर्चुअल बैठक हुई. इस बैठक में सभी लोगों ने अपने-अपने तर्क रखे. वहीं, बासमती चावल एक्पोर्टरों का कहना है कि इतना ज्यादा (MEP) लगाने से भारत का बासमती चावल एक्पोर्ट कम हो गया है. जिससे किसानों का काफी नुकसान हो रहा है. जिसके बाद ये फैसला लिया गया.
दरअसल, भारत ने प्रमुख राज्य चुनावों से पहले स्थानीय कीमतों पर नियंत्रण रखने के लिए अगस्त में बासमती चावल शिपमेंट पर 1,200 डॉलर प्रति टन एमईपी लगाया था. जिसकी वजह से एक्पोर्टरों में निराशा थी. क्योंकि इसकी वजह से बासमती चावल के निर्यात पर बुरा असर पड़ रहा था. जिसके बाद केंद्र सरकार की तरफ से कई बार किसानों को (MEP-Minimum Export Price) कम करने का भरोसा दिया गया था. लेकिन हर बार किसानों को निराशा ही हाथ लगी.
किसानों को नए सीजन की फसल के आगमन के साथ एमईपी में कटौती की उम्मीद थी, लेकिन सरकार ने 14 अक्टूबर को कहा कि वह अगली सूचना तक इसे बनाए रखेगी, जिससे नाराज किसानों और निर्यातकों ने कहा कि नई फसल के कारण घरेलू कीमतों में गिरावट आई है. अधिकारियों ने बाद में कहा कि वे सक्रिय रूप से एमईपी की समीक्षा कर रहे थे. जिसके बाद सरकार की तरफ से बासमती चावल के निर्यातकों को बड़ी राहत देने का एलान किया गया है.
बता दें, भारत और पाकिस्तान बासमती चावल के एकमात्र उत्पादक हैं. नई दिल्ली, ईरान, इराक, यमन, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों को 4 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक बासमती चावल अपनी सुगंध के लिए प्रसिद्ध लंबे अनाज वाली प्रीमियम किस्म का निर्यात करती है. भारतीय चावल निर्यातक महासंघ सरकार के इस फैसले से काफी खुश है और कहा है कि एमईपी कम करने के फैसले से किसानों और निर्यातकों दोनों को मदद मिलेगी, जिन्हें 1,200 डॉलर एमईपी के कारण नुकसान उठाना पड़ा था.