नयी दिल्ली : पूंजी बाजार नियामक सेबी ने अडाणी मामले में सोमवार को उच्चतम न्यायालय के समक्ष कहा कि 2019 में उसके नियम में किए गए बदलाव से विदेशों से प्राप्त कोष के लाभार्थियों की पहचान करना कठिन नहीं है और इसका कोई भी उल्लंघन पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड- SEBI ने कहा कि उसने लाभकारी स्वामित्व और संबंधित-पक्ष लेनदेन से जुड़े नियमों को लगातार कड़ा किया है. यह अडाणी समूह की कंपनियों के शेयर मूल्य में हेराफेरी के आरोपों में एक प्रमुख पहलू है.
न्यायालय की तरफ से नियुक्त विशेषज्ञ समिति ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में कहा था कि उसे उद्योगपति गौतम अडाणी की कंपनियों में गड़बड़ी का कोई सबूत नहीं मिला और साथ ही नियामकीय स्तर पर भी कोई विफलता नजर नहीं आई. हालांकि समिति ने 2014 से 2019 के बीच सेबी के नियमों में हुए कई संशोधनों का जिक्र करते हुए कहा था कि इनसे नियामकों की जांच करने की क्षमता बाधित हुई और विदेशी संस्थानों से धन प्रवाह में कथित उल्लंघन की जांच में भी कुछ नहीं निकला है.
अडाणी समूह के खिलाफ लगे आरोपों पर अपनी जांच की स्थिति रिपोर्ट का कोई उल्लेख किये बगैर सेबी ने न्यायालय में पेश अपने नवीनतम हलफनामे में कहा कि वह विशेषज्ञ समिति से विदेशी कोष के पीछे आर्थिक हित रखने वाले की पहचान में कठिनाई की बात से सहमत नहीं है. Securities and Exchange Board of India- SEBI ने कहा, ‘‘सेबी पर किसी भी प्रतिभूति कानून के उल्लंघन की जांच करने को लेकर कोई रोक नहीं है…’’
अडाणी समूह पर धोखाधड़ी, शेयरों के भाव में गड़बड़ी का आरोप
नियामक ने कहा कि वह विशेषज्ञ समिति के विचारों से सहमत नहीं है और यदि कोई उल्लंघन हुआ है तो कार्रवाई की जाएगी. मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ अडाणी-हिंडनबर्ग मामले में मंगलवार को सुनवाई करेगी. अमेरिकी वित्तीय शोध एवं निवेश कंपनी हिंडनबर्ग ने जनवरी में अडाणी समूह पर बही-खातों में धोखाधड़ी और शेयरों के भाव में गड़बड़ी के साथ विदेशी इकाइयों के अनुचित उपयोग का आरोप लगाया था. इन आरोपों के बाद समूह के शेयरों में बड़ी गिरावट आई थी.
उसके बाद उच्चतम न्यायालय ने संबद्ध पक्षों के बीच लेन-देन के खुलासे और शेयरों के दाम में गड़बड़ी के बारे में जांच को लेकर दो मार्च को विशेषज्ञ समिति बनाई थी. समिति को सेबी की अडाणी समूह में निवेश करने वाली विदेशी संस्थाओं की जांच के साथ काम करना था. नियामक को पहले दो महीने में जांच पूरी करने को कहा गया और फिर इसे तीन महीने बढ़ाकर 14 अगस्त तक कर दिया गया. बाजार नियामक ने अपने हलफनामे में कहा कि वास्तव में 2019 के नियम में बदलाव से लाभकारी स्वामित्व से संबंधित खुलासा आवश्यकता को और सख्त किया गया है.
(भाषा)