नई दिल्ली: देश की राजधानी नई दिल्ली में दो दिवसीय जी20 शिखर सम्मेलन जारी है. दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित इस सम्मेलन में देश-दुनिया के कई दिग्गज हस्तियों का जमावड़ा लगा हुआ है. विश्व के कुल 29 देशों के राजनेता इसमें शामिल हुए हैं. उनके आवभगत के लिए दिल्ली को दुल्हन की तरह सजाया गया. लेकिन क्या आपने सोचा है इस सब में कितना खर्च आया होगा और इसमें शामिल देशों की अर्थव्यवस्था में कितना योगदान है?
10 करोड़ डॉलर खर्च
G20 की अध्यक्षता भारत को पिछले साल ही मिली और तभी से वो इसकी तैयारियों में लग गया था. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इसकी तैयारी को लेकर देश के 50 से अधिक शहरों में लगभग 200 बैठकों का आयोजन किया गया था. रिपोर्ट के मुताबिक दो दिवसीय इस शिखर सम्मेलन के आयोजन में करीब 10 करोड़ डॉलर यानी 4100 करोड़ रुपये का खर्च आया है. इस खर्च को 12 भागों में बांटा गया था. जिसमें सुरक्षा व्यवस्था, सड़कों की सफाई, स्ट्रीट साइनेज, रोशनी का इंतजाम और फुटपाथों का रखरखाव आदि शामिल है.
जी20 बना जी21
G20 बीस देशों का एक समूह है, जिसमें 19 देश और यूरोपीय यूनियन शामिल है. लेकिन अब यह ग्रुप G21 बन गया है. भारत की प्रेसीडेंसी में अफ्रीकी यूनियन को इसका स्थायी सदस्य बनाया गया है. बता दें, जी20 में विश्व के 20 ताकतवर देश शामिल हैं. जो दुनिया की कुल सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 85 फीसदी की हिस्सेदारी निभाते हैं. यानी ये एक ग्लोबल इकोनॉमिक फोरम है. वहीं, दुनिया की दो तिहाई आबादी इसके सदस्य देशों में निवास करती है. साथ ही विश्व व्यापार में भी इसका योगदान 75 फीसदी है. 1997 में आए विश्व आर्थिक संकट के दो साल बाद 1999 में G20 समूह का गठन किया गया था.