थोक मूल्य सूचकांक(डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति दिसंबर 2018 में 3.8 प्रतिशत और जनवरी 2018 में 3.02 प्रतिशत थी. इससे कम मुद्रास्फीति पिछली बार मार्च 2018 में 2.74 प्रतिशत थी.
पिछले महीने की तुलना में जनवरी में रसोई में जरूरी चीजें जैसे आलू, प्याज, फल और दूध में नरमी आई.
हालांकि पूरे खाद्य टोकरी में मुद्रास्फीति की दर बढ़कर 2.34 प्रतिशत हो गई, जो पिछले महीने -0.07 प्रतिशत अपस्फीति पर थी.
इस हफ्ते की शुरुआत में जारी खुदरा महंगाई दर में भी पिछले महीने की तुलना में जनवरी में सब्जियों और अंडों सहित खाद्य पदार्थों की कीमतों में लगातार गिरावट के साथ 2.05 दर्ज की गई.
डब्ल्यूपीआई के आंकड़ों ने आगे बताया कि 'ईंधन और बिजली' खंड के लिए थोक आधारित मूल्य मुद्रास्फीति मोटर ईंधन और एलपीजी की कीमतों में ढील के कारण दिसंबर 2018 में 8.38 प्रतिशत के मुकाबले 1.85 प्रतिशत तक गिर गई.
इसके अलावा, चीनी और परिधान जैसी कुछ वस्तुओं में अधिक होने के बावजूद विनिर्मित उत्पादों की टोकरी के मुद्रास्फीति में कमी आई.
डब्ल्यूपीआई के आधार पर मुद्रास्फीति की गणना की जाती है. डब्ल्यूपीआई कुछ चुनी हुई वस्तुओं के सामूहिक औसत मूल्य का प्रतिनिधित्व करता है. डब्ल्यूपीआई कुल तीन मुख्य भागों (प्राथमिक वस्तुएं, विनिर्मित उत्पाद और ईंधन व बिजली) के तहत 697 वस्तुओं के मूल्यों को गिना जाता है.
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) जो कि मुख्य रूप से मौद्रिक नीति बनाते समय खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों को ध्यान में रखता है, ने इस महीने में प्रमुख उधार दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की है.
विशेषज्ञों ने कहा कि मुद्रास्फीति में गिरावट केंद्रीय बैंक को आने वाले महीनों में ब्याज दर (रेपो) में कटौती करने के लिए प्रेरित कर सकती है.
(पीटीआई से इनपुट)
पढ़ें : अप्रैल-जनवरी के दौरान प्रमुख बंदरगाहों के कार्गों ट्रैफिक में 3.11 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई