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स्टेनलेस स्टील पर आयात शुल्क हटाने से प्रभावित होंगे घरेलू उद्योग - उद्योग संगठन इंडियन स्टेनलेस स्टील डेवलपमेंट एसोसिएशन

सरकार ने स्टेनलेस स्टील के आयात पर लागू व्यापार सुधारक शुल्क को अस्थायी तौर पर वापस लिए जाने का फैसला किया है. इसडा ने सरकार के इस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की है.

आयात शुल्क हटाने से प्रभावित होगा घरेलू उद्योग
आयात शुल्क हटाने से प्रभावित होगा घरेलू उद्योग
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Published : Feb 26, 2021, 8:52 AM IST

नई दिल्ली : स्टेनलेस स्टील के आयात पर लागू व्यापार सुधारक शुल्क को अस्थायी तौर पर वापस लिए जाने के सरकार के फैसले पर उद्योग संगठन इंडियन स्टेनलेस स्टील डेवलपमेंट एसोसिएशन (इसडा) ने पुनर्विचार करने की मांग की है. इसडा ने कहा कि इस फैसले से चीन और इंडोनेशिया से स्टेनलेस स्टील का आयात बढ़ेगा, जिसका घरेलू उद्योग पर असर पड़ेगा.

उद्योग संगठन ने एक बयान में कहा कि केंद्रीय बजट में स्टेनलेस स्टील के आयात पर लागू व्यापार सुधारक शुल्क के अस्थायी तौर पर वापस लिए जाने से प्रभाव पड़ेगा. इससे चीन और इंडोनेशिया से भारी मात्रा में स्टेनलेस स्टील का आयात होगा, जिससे घरेलू बाजार पर बुरा प्रभाव पड़ेगा और एमएसएमई क्षेत्र के अनेक उद्यमी दिवालिया होने की कगार पर पहुंच जाएंगे.

इसडा के अध्यक्ष के.के. पाहुजा ने कहा, सरकार ने छह व्यापार सुधारक उपायों को रद्द किया है, जिनमें से तीन स्टेनलेस स्टील से संबंधित हैं. भारत के कुल इस्पात उद्योग में स्टेनलेस स्टील की हिस्सेदारी केवल तीन फीसदी है, इसलिए इस निर्णय ने एमएसएमई क्षेत्र सहित स्टेनलेस स्टील उद्योग पर प्रभाव पड़ा है. बाजार में असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है.

उन्होंने कहा, घरेलू स्टेनलेस स्टील उद्योग में एमएसएमई क्षेत्र की 35 फीसदी हिस्सेदारी है और इनकी इकाइयां देशभर में फैली हुई हैं. बर्तन और घरेलू उत्पादों की प्रमुख आपूर्तिकर्ता हैं.

पढ़ें- पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के बीच जोमैटो ने बढ़ाया अपने कर्मचारियों का वेतन

हालांकि, एमएसएमई क्षेत्र में स्टेनलेस स्टील की स्थापित 15 लाख टन उत्पादन क्षमता का 50 फीसदी से भी कम हिस्से का उपयोग हो रहा है. ऐसी स्थिति में अगर बाजार चीन के सस्ते आयातित स्टेनलेस स्टील उत्पादों के से भर जाता है, तो एमएसएमई क्षेत्र के उत्पादक या तो दिवालिया हो जाएंगे या कारोबारी में बदल जाएंगे.

पहुजा ने कहा कि सरकार के विकास-परक बजट से पैदा होने वाली मांग भी पर भी चीन के भीतर और बाहर स्थापित कंपनियों के सस्ते और डंप किए गए उत्पादों का कब्जा रहेगा, जिससे घरेलू उद्योग में संभावित निवेश पर विपरीत असर होगा जो पिछले एक दशक से अधिक समय से वित्तीय दबाव में है.

उन्होंने कहा, यह निर्णय सरकार की 'मेक इन इंडिया' पहल के विपरीत है और घरेलू उद्योग को 'आत्मनिर्भर' बनाने के बजाय विदेशी कंपनियों की रहम पर छोड़ देगा.

नई दिल्ली : स्टेनलेस स्टील के आयात पर लागू व्यापार सुधारक शुल्क को अस्थायी तौर पर वापस लिए जाने के सरकार के फैसले पर उद्योग संगठन इंडियन स्टेनलेस स्टील डेवलपमेंट एसोसिएशन (इसडा) ने पुनर्विचार करने की मांग की है. इसडा ने कहा कि इस फैसले से चीन और इंडोनेशिया से स्टेनलेस स्टील का आयात बढ़ेगा, जिसका घरेलू उद्योग पर असर पड़ेगा.

उद्योग संगठन ने एक बयान में कहा कि केंद्रीय बजट में स्टेनलेस स्टील के आयात पर लागू व्यापार सुधारक शुल्क के अस्थायी तौर पर वापस लिए जाने से प्रभाव पड़ेगा. इससे चीन और इंडोनेशिया से भारी मात्रा में स्टेनलेस स्टील का आयात होगा, जिससे घरेलू बाजार पर बुरा प्रभाव पड़ेगा और एमएसएमई क्षेत्र के अनेक उद्यमी दिवालिया होने की कगार पर पहुंच जाएंगे.

इसडा के अध्यक्ष के.के. पाहुजा ने कहा, सरकार ने छह व्यापार सुधारक उपायों को रद्द किया है, जिनमें से तीन स्टेनलेस स्टील से संबंधित हैं. भारत के कुल इस्पात उद्योग में स्टेनलेस स्टील की हिस्सेदारी केवल तीन फीसदी है, इसलिए इस निर्णय ने एमएसएमई क्षेत्र सहित स्टेनलेस स्टील उद्योग पर प्रभाव पड़ा है. बाजार में असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है.

उन्होंने कहा, घरेलू स्टेनलेस स्टील उद्योग में एमएसएमई क्षेत्र की 35 फीसदी हिस्सेदारी है और इनकी इकाइयां देशभर में फैली हुई हैं. बर्तन और घरेलू उत्पादों की प्रमुख आपूर्तिकर्ता हैं.

पढ़ें- पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के बीच जोमैटो ने बढ़ाया अपने कर्मचारियों का वेतन

हालांकि, एमएसएमई क्षेत्र में स्टेनलेस स्टील की स्थापित 15 लाख टन उत्पादन क्षमता का 50 फीसदी से भी कम हिस्से का उपयोग हो रहा है. ऐसी स्थिति में अगर बाजार चीन के सस्ते आयातित स्टेनलेस स्टील उत्पादों के से भर जाता है, तो एमएसएमई क्षेत्र के उत्पादक या तो दिवालिया हो जाएंगे या कारोबारी में बदल जाएंगे.

पहुजा ने कहा कि सरकार के विकास-परक बजट से पैदा होने वाली मांग भी पर भी चीन के भीतर और बाहर स्थापित कंपनियों के सस्ते और डंप किए गए उत्पादों का कब्जा रहेगा, जिससे घरेलू उद्योग में संभावित निवेश पर विपरीत असर होगा जो पिछले एक दशक से अधिक समय से वित्तीय दबाव में है.

उन्होंने कहा, यह निर्णय सरकार की 'मेक इन इंडिया' पहल के विपरीत है और घरेलू उद्योग को 'आत्मनिर्भर' बनाने के बजाय विदेशी कंपनियों की रहम पर छोड़ देगा.

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