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सेबी प्रमुख ने कहा- महामारी के झटके के बाद बड़े शेयरों ही नहीं, मिड कैप, स्मॉल कैप में भी सुधार हुआ

त्यागी ने कहा कि बाजार नियामक ने कोविड-19 महामारी के दौरान जो कदम उठाए हैं, उनसे पूंजी बाजारों को मदद मिली. नियामक आगे भी सतर्क रहेगा और बाजार में अप्रत्याशित उतार-चढ़ाव की स्थिति में कदम उठाएगा.

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Published : Oct 21, 2020, 3:20 PM IST

मुंबई: बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के चेयरमैन अजय त्यागी ने कहा है कि महामारी के झटके के बाद पूंजी बाजारों में व्यापक आधार पर सुधार हुआ है. शेयर बाजारों तथा अर्थव्यवस्था के बीच किसी तरह का तालमेल नहीं होने की आलोचनाओं के बीच सेबी प्रमुख का यह बयान आया है.

त्यागी ने बुधवार को कहा कि इसमें कुछ सकारात्मक पहलू भी हैं, और बाजार में सुधार व्यापक है. त्यागी ने कहा, "हमने देखा है कि बाजार में सुधार व्यापक है. सिर्फ बड़े शेयरों (लार्ज कैप) में ही सुधार नहीं हुआ है, मिड कैप और स्मॉल कैप शेयर भी सुधरे हैं."

ये भी पढ़ें- एसी के आयात पर प्रतिबंध उद्योग के लिए विघटनकारी साबित हो सकता है: विशेषज्ञ

उल्लेखनीय है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा कोविड-19 को महामारी घोषित किए जाने के बाद पूंजी बाजार में भारी गिरावट आई थी. लेकिन अब बाजार इस झटके से उबर चुके हैं और जनवरी, 2020 के अपने सर्वकालिक उच्चस्तर के पास पहुंच चुके हैं. त्यागी ने कहा कि यह सुधार व्यापक है. सिर्फ बड़े शेयरों में ही सुधार नहीं हुआ है.

उन्होंने कहा कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) में 90 प्रतिशत शेयरों ने 2020 में निवेशकों को सकारात्मक रिटर्न दिया है. उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि ऐसी चर्चा है, तरलता की वजह से बाजार आगे बढ़ा है. साथ ही ऐसी भी चर्चा है कि बाजार का अर्थव्यवस्था के साथ जुड़ाव नहीं है.

चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही अप्रैल-सितंबर के दौरान 63 लाख नए डीमैट खाते खोले गए. पिछले साल की समान अवधि में यह आंकड़ा 27.4 लाख रहा था. इस तरह डीमैट खातों की संख्या में 130 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. वहीं इस अवधि में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारतीय बाजार में शुद्ध रूप से 11 अरब डॉलर का निवेश किया है.

वहीं अन्य उभरते बाजारों में एफपीआई का निवेश नकारात्मक रहा है. मार्च में जरूर भारतीय बाजारों से निकासी हुई थी. इस दौरान विशेष रूप से ऋण या बांड बाजार से निकासी देखने को मिली है. चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में निवेश का कुल प्रवाह 1.47 लाख करोड़ रुपये रहा है.

त्यागी ने कहा कि बाजार नियामक ने कोविड-19 महामारी के दौरान जो कदम उठाए हैं, उनसे पूंजी बाजारों को मदद मिली. नियामक आगे भी सतर्क रहेगा और बाजार में अप्रत्याशित उतार-चढ़ाव की स्थिति में कदम उठाएगा.

सेबी प्रमुख ने कहा कि पिछले दो साल के दौरान स्वतंत्र निदेशकों द्वारा इस्तीफा देने के मामले बढ़े हैं. त्यागी ने बताया, "हमने इन लोगों से कहा है कि यदि उन्होंने कंपनी के कामकाज के संचालन की चिंता को लेकर इस्तीफा दिया है, तो वे इसकी जानकारी नियामक को दें."

(पीटीआई-भाषा)

मुंबई: बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के चेयरमैन अजय त्यागी ने कहा है कि महामारी के झटके के बाद पूंजी बाजारों में व्यापक आधार पर सुधार हुआ है. शेयर बाजारों तथा अर्थव्यवस्था के बीच किसी तरह का तालमेल नहीं होने की आलोचनाओं के बीच सेबी प्रमुख का यह बयान आया है.

त्यागी ने बुधवार को कहा कि इसमें कुछ सकारात्मक पहलू भी हैं, और बाजार में सुधार व्यापक है. त्यागी ने कहा, "हमने देखा है कि बाजार में सुधार व्यापक है. सिर्फ बड़े शेयरों (लार्ज कैप) में ही सुधार नहीं हुआ है, मिड कैप और स्मॉल कैप शेयर भी सुधरे हैं."

ये भी पढ़ें- एसी के आयात पर प्रतिबंध उद्योग के लिए विघटनकारी साबित हो सकता है: विशेषज्ञ

उल्लेखनीय है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा कोविड-19 को महामारी घोषित किए जाने के बाद पूंजी बाजार में भारी गिरावट आई थी. लेकिन अब बाजार इस झटके से उबर चुके हैं और जनवरी, 2020 के अपने सर्वकालिक उच्चस्तर के पास पहुंच चुके हैं. त्यागी ने कहा कि यह सुधार व्यापक है. सिर्फ बड़े शेयरों में ही सुधार नहीं हुआ है.

उन्होंने कहा कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) में 90 प्रतिशत शेयरों ने 2020 में निवेशकों को सकारात्मक रिटर्न दिया है. उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि ऐसी चर्चा है, तरलता की वजह से बाजार आगे बढ़ा है. साथ ही ऐसी भी चर्चा है कि बाजार का अर्थव्यवस्था के साथ जुड़ाव नहीं है.

चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही अप्रैल-सितंबर के दौरान 63 लाख नए डीमैट खाते खोले गए. पिछले साल की समान अवधि में यह आंकड़ा 27.4 लाख रहा था. इस तरह डीमैट खातों की संख्या में 130 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. वहीं इस अवधि में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारतीय बाजार में शुद्ध रूप से 11 अरब डॉलर का निवेश किया है.

वहीं अन्य उभरते बाजारों में एफपीआई का निवेश नकारात्मक रहा है. मार्च में जरूर भारतीय बाजारों से निकासी हुई थी. इस दौरान विशेष रूप से ऋण या बांड बाजार से निकासी देखने को मिली है. चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में निवेश का कुल प्रवाह 1.47 लाख करोड़ रुपये रहा है.

त्यागी ने कहा कि बाजार नियामक ने कोविड-19 महामारी के दौरान जो कदम उठाए हैं, उनसे पूंजी बाजारों को मदद मिली. नियामक आगे भी सतर्क रहेगा और बाजार में अप्रत्याशित उतार-चढ़ाव की स्थिति में कदम उठाएगा.

सेबी प्रमुख ने कहा कि पिछले दो साल के दौरान स्वतंत्र निदेशकों द्वारा इस्तीफा देने के मामले बढ़े हैं. त्यागी ने बताया, "हमने इन लोगों से कहा है कि यदि उन्होंने कंपनी के कामकाज के संचालन की चिंता को लेकर इस्तीफा दिया है, तो वे इसकी जानकारी नियामक को दें."

(पीटीआई-भाषा)

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