नई दिल्ली : कोविड-19 के नए स्वरूप ओमीक्रोन से जुड़ी खबरों, वृहद आर्थिक आंकड़ों और वैश्विक रुख से नए साल के पहले सप्ताह में शेयर बाजारों की दिशा तय होगी. विश्लेषकों ने यह राय जताई है.
बीता साल 2021 भारतीय शेयर बाजारों के लिए काफी ऐतिहासिक रहा है. इस दौरान बाजार ने कई उपलब्धियां हासिल कीं. बीते साल बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 10,502.49 अंक या 21.99 प्रतिशत चढ़ा.
रेलिगेयर ब्रोकिंग के उपाध्यक्ष (शोध) अजित मिश्रा ने कहा, यह सप्ताह एक नए माह की शुरुआत है. सप्ताह के दौरान निवेशकों की निगाह कई महत्वपूर्ण आंकड़ों मसलन मासिक वाहन बिक्री, भारत के विनिर्माण पीएमआई और सेवा पीएमआई पर रहेगी. इसके अलावा कोविड-19 से जुड़ी खबरें और वैश्विक बाजारों का प्रदर्शन भी बाजार की दृष्टि से महत्वपूर्ण रहेगा.
उन्होंने कहा कि पिछले दो सप्ताह से बाजार में सुधार है, लेकिन अभी यह कहना जल्दबाजी होगा कि हम अनिश्चितता से उबर चुके हैं.
मिश्रा ने कहा कि बाजार में मिलेजुले रुख के बीच भागीदारों को सतर्क रुख अपनाना चाहिए और हेजिंग के लिए तैयार रहना चाहिए. हालांकि, सभी वर्गों के शेयरों में सुधार है, लेकिन हमारा मानना है कि बैंक, फार्मा, आईटी और एफएमसीजी कंपनियों का प्रदर्शन अन्य की तुलना में बेहतर रहेगा.
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के खुदरा शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा कि देश और दुनिया में ओमीक्रोन संक्रमण का तेजी से प्रसार हो रहा है. ऐसे में बाजार की शुरुआत सतर्क रुख के साथ होगी.
खेमका ने कहा, इसके बावजूद हमने आशावादी रुख को कायम रखा है. हमारा अनुमान है कि 2022 में निफ्टी निवेशकों को 12 से 15 प्रतिशत का रिटर्न देगा. इसे अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार और कंपनियों की आमदनी में बढ़ोतरी से समर्थन मिलेगा.
इस सप्ताह विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के लिए पीएमआई के आंकड़े आने है, जिससे कारोबार की धारणा प्रभावित होगी.
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जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ओमीक्रोन के खतरे के बावजूद भारतीय बाजारों से जुझारू प्रदर्शन की उम्मीद है. इसे दीर्घावधि में मजबूत वृद्धि के अनुमान से समर्थन मिलेगा.
वाहन कंपनियों के मासिक बिक्री आंकड़े शनिवार को आ चुके हैं. ऐसे में सोमवार को वाहन कंपनियों के शेयर मुख्य केंद्र में रहेंगे.
बीते साल बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स पहली बार ऐतिहासिक 50,000 अंक के स्तर के पार गया. इसने साल के दौरान 62,000 अंक के उच्चस्तर को भी छुआ. मार्च, 2020 में महामारी की शुरुआत के बाद बाजार काफी तेजी से नीचे आया था.
नायर ने कहा कि 2021 में भारतीय बाजारों ने महामारी की चुनौती के बावजूद अन्य देशों के बाजारों की तुलना में अधिक बेहतर प्रदर्शन किया.
विश्लेषकों ने कहा कि इसके अलावा बाजार की निगाह विदेशी संस्थागत निवेशकों के निवेश के रुख, ब्रेंट कच्चे तेल के दाम और रुपये के उतार-चढ़ाव पर भी रहेगी.
(पीटीआई-भाषा)