नई दिल्ली : केंद्र सरकार भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को अनुमति देने पर विचार कर रही है. यदि ऐसा होता है तो कोई विदेशी निवेशक एलआईसी में हिस्सेदारी खरीद सकता है.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार यदि ऐसा करती है तो कोई भी विदेशी कंपनी एलआईसी में बड़ी हिस्सेदारी खरीद सकती है. जिसके चालू वित्त वर्ष में शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने की उम्मीद है.
रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा कोई भी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की एक सीमा होगी, जो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर लागू FDI सीमा के समान हो सकता है, जिसमें FDI की सीमा 20 फीसदी निर्धारित है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में एलआईसी में आईपीओ लाने का एलान किया था. उन्होंने कहा था कि सरकार 2021-22 में एलआईसी का आईपीओ को लेकर आएगी. इसके लिए इसी सत्र में जरूरी संसोधन किए जाएंगे.
उन्होंने कहा था कि विनिवेश नीति को गति देने के लिए नीति आयोग ऐसी केन्द्रीय सार्वजनिक कंपनियों की सूची तैयार करेगा, जिनका रणनीतिक विनिवेश किया जाएगा.
सीतारमण ने चालू वित्त वर्ष में आईडीबीआई बैंक के अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के दो अन्य बैंकों और एक साधारण बीमा कंपनी का निजीकरण के सरकार के फैसले की भी घोषणा की थी.
जैफरीज इंडिया द्वारा इस साल फरवरी में बजट की घोषणा के बाद तैयार एक नोट के मुताबिक, शेयर बाजार में लिस्टिंग के बाद एलआईसी की वैल्यू 261 अरब डॉलर तक पहुंच सकती है. 20 फीसदी सीमा का मतलब होगा कि सरकार एलआईसी में प्रत्यक्ष एफडीआई निवेश से $50 बिलियन से अधिक प्राप्त करने में सक्षम हो सकती है.
पिछले साल घोषित अपनी आत्मनिर्भर भारत नीति के तहत, मोदी सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया कि सरकार गैर-रणनीतिक क्षेत्रों में सभी सार्वजनिक कंपनियों का निजीकरण करेगी और केवल चार रणनीतिक क्षेत्रों में न्यूनतम उपस्थिति बनाए रखेगी. इनमें परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष और रक्षा; परिवहन और दूरसंचार; बिजली, पेट्रोलियम, कोयला और अन्य खनिज; और बैंकिंग, बीमा और वित्तीय सेवाएं शामिल हैं.
सरकार ने बजट अनुमान 2020-21 में विनिवेश से 1,75,000 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद जताई है.