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निर्यातकों के संगठन ने रुपये की मजबूती पर चिंता जताई

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया सोमवार को 57 पैसे के उछाल के साथ सात महीने के उच्च स्तर 68.53 रुपये पर पहुंच गया, जो रुपये में लगातार छठे दिन की तेजी को दर्शाता है. इस तेजी का कारण विदेशी निधियों की ओर से देश में मुद्रा प्रवाह बढ़ना और व्यापार घाटा कम होना था.

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Published : Mar 19, 2019, 8:38 AM IST

Updated : Mar 19, 2019, 8:35 PM IST

नई दिल्ली : भारतीय निर्यातक संगठनों के महासंघ (फियो) ने सोमवार को कहा कि रुपये में आई मजबूती चिंता का विषय है और घरेलू मुद्रा में आ रहे उतार- चढाव का बेहतर प्रबंधन करने के लिए हस्तक्षेप किया जाना चाहिये.

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया सोमवार को 57 पैसे के उछाल के साथ सात महीने के उच्च स्तर 68.53 रुपये पर पहुंच गया, जो रुपये में लगातार छठे दिन की तेजी को दर्शाता है. इस तेजी का कारण विदेशी निधियों की ओर से देश में मुद्रा प्रवाह बढ़ना और व्यापार घाटा कम होना था.

फियो के अध्यक्ष गणेश गुप्ता ने कहा, "इस तरह की भारी तेजी (रुपये में) निर्यातकों और आयातकों दोनों के बीच चिंता पैदा करती है, क्योंकि विनिमय दर में अनिश्चितता के कारण उतार चढ़ाव की स्थिति पैदा हो रही है." उन्होंने कहा, "जिन निर्यातकों ने एक डॉलर के लिए 74 रुपये का अनुबंध किया है, लेकिन बैंकों द्वारा सीमा की अनुपलब्धता के कारण इसे हेज नहीं कर सकते हैं, उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है."

उन्होंने सुझाव दिया कि अत्यधिक अस्थिरता को हस्तक्षेप के माध्यम से व्यवस्थित किया जाना चाहिए ताकि विनिमय दर भारतीय निर्यातकों को अपेक्षित प्रतिस्पर्धा प्रदान करता रहे. गुप्ता ने कहा कि रुपये में आगे और तेजी आने की संभावना है जिससे निर्यात बढ़ाने के प्रयासों को झटका लगेगा.

इसलिए यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि रुपया, एक डॉलर के मुकाबले 70 रुपये के आसपास रहे. उन्होंने रुपये में आई तेजी को निर्यातकों के लिए एक और चुनौती करार दिया, जो पहले से ही वैश्विक मांग घटने की स्थिति से जूझ रहे हैं.
(भाषा)
पढ़ें : शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 200 अंक से ज्यादा चढ़ा, निफ्टी 11,400 अंक के पार

नई दिल्ली : भारतीय निर्यातक संगठनों के महासंघ (फियो) ने सोमवार को कहा कि रुपये में आई मजबूती चिंता का विषय है और घरेलू मुद्रा में आ रहे उतार- चढाव का बेहतर प्रबंधन करने के लिए हस्तक्षेप किया जाना चाहिये.

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया सोमवार को 57 पैसे के उछाल के साथ सात महीने के उच्च स्तर 68.53 रुपये पर पहुंच गया, जो रुपये में लगातार छठे दिन की तेजी को दर्शाता है. इस तेजी का कारण विदेशी निधियों की ओर से देश में मुद्रा प्रवाह बढ़ना और व्यापार घाटा कम होना था.

फियो के अध्यक्ष गणेश गुप्ता ने कहा, "इस तरह की भारी तेजी (रुपये में) निर्यातकों और आयातकों दोनों के बीच चिंता पैदा करती है, क्योंकि विनिमय दर में अनिश्चितता के कारण उतार चढ़ाव की स्थिति पैदा हो रही है." उन्होंने कहा, "जिन निर्यातकों ने एक डॉलर के लिए 74 रुपये का अनुबंध किया है, लेकिन बैंकों द्वारा सीमा की अनुपलब्धता के कारण इसे हेज नहीं कर सकते हैं, उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है."

उन्होंने सुझाव दिया कि अत्यधिक अस्थिरता को हस्तक्षेप के माध्यम से व्यवस्थित किया जाना चाहिए ताकि विनिमय दर भारतीय निर्यातकों को अपेक्षित प्रतिस्पर्धा प्रदान करता रहे. गुप्ता ने कहा कि रुपये में आगे और तेजी आने की संभावना है जिससे निर्यात बढ़ाने के प्रयासों को झटका लगेगा.

इसलिए यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि रुपया, एक डॉलर के मुकाबले 70 रुपये के आसपास रहे. उन्होंने रुपये में आई तेजी को निर्यातकों के लिए एक और चुनौती करार दिया, जो पहले से ही वैश्विक मांग घटने की स्थिति से जूझ रहे हैं.
(भाषा)
पढ़ें : शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 200 अंक से ज्यादा चढ़ा, निफ्टी 11,400 अंक के पार

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नई दिल्ली : भारतीय निर्यातक संगठनों के महासंघ (फियो) ने सोमवार को कहा कि रुपये में आई मजबूती चिंता का विषय है और घरेलू मुद्रा में आ रहे उतार- चढाव का बेहतर प्रबंधन करने के लिए हस्तक्षेप किया जाना चाहिये.

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया सोमवार को 57 पैसे के उछाल के साथ सात महीने के उच्च स्तर 68.53 रुपये पर पहुंच गया, जो रुपये में लगातार छठे दिन की तेजी को दर्शाता है. इस तेजी का कारण विदेशी निधियों की ओर से देश में मुद्रा प्रवाह बढ़ना और व्यापार घाटा कम होना था.

फियो के अध्यक्ष गणेश गुप्ता ने कहा, "इस तरह की भारी तेजी (रुपये में) निर्यातकों और आयातकों दोनों के बीच चिंता पैदा करती है, क्योंकि विनिमय दर में अनिश्चितता के कारण उतार चढ़ाव की स्थिति पैदा हो रही है." उन्होंने कहा, "जिन निर्यातकों ने एक डॉलर के लिए 74 रुपये का अनुबंध किया है, लेकिन बैंकों द्वारा सीमा की अनुपलब्धता के कारण इसे हेज नहीं कर सकते हैं, उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है."

उन्होंने सुझाव दिया कि अत्यधिक अस्थिरता को हस्तक्षेप के माध्यम से व्यवस्थित किया जाना चाहिए ताकि विनिमय दर भारतीय निर्यातकों को अपेक्षित प्रतिस्पर्धा प्रदान करता रहे. गुप्ता ने कहा कि रुपये में आगे और तेजी आने की संभावना है जिससे निर्यात बढ़ाने के प्रयासों को झटका लगेगा.

इसलिए यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि रुपया, एक डॉलर के मुकाबले 70 रुपये के आसपास रहे. उन्होंने रुपये में आई तेजी को निर्यातकों के लिए एक और चुनौती करार दिया, जो पहले से ही वैश्विक मांग घटने की स्थिति से जूझ रहे हैं.

(भाषा)


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Last Updated : Mar 19, 2019, 8:35 PM IST
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