नई दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय बाजार में खुदरा खाद्य तेल की कीमतों में संभावित गिरावट के साथ देश में दिसम्बर से इसकी कीमत नरम होनी शुरू हो जाएगी. खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने आज यह उम्मीद जताते हुए कहा कि भारत अपनी जरूरत के 60 फीसदी खाद्य तेलों का आयात करता है. वैश्विक घटनाक्रम के चलते देश में खाद्य तेलों की खुदरा कीमतें पिछले एक साल में 20-50 फीसदी बढ़ गई.
उन्होंने कहा कि पाम ऑयल और सोयाबीन तेल की कीमतें दिसंबर से घटने की संभावना है. इसका कारण सरसों की नई फसल आने और अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेल की कीमत में गिरावट है.
उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोयाबीन व पाम ऑयल की कीमत में क्रमशः 22 फीसदी और 18 फीसदी वृद्धि हुई है, जिसका भारतीय बाजार में दो फीसदी से कम प्रभाव पड़ा है. कर में कमी और बंदरगाह पर सहूलियत बढ़ने से खाद्य तेल की कीमत नियंत्रित हो पाई है. उन्होंने कहा कि कृषि उपकर में कमी नहीं की जा सकती है, क्योंकि लंबे समय के अंतराल में यह कृषि उपकर देश में खाद्य तेल के उत्पादन में मदद करेगा.
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सचिव ने घरेलु बाजारों में खाद्य तेल की कीमतों में वृद्धि की वजह बताई. उन्होंने कहा कि इसका प्रमुख कारण कई देशों में जैव ईंधन पॉलिसी को बढ़ावा दिया जा रहा है. मसलन, मलेशिया और इंडोनेशिया, जो भारत के लिए पाम ऑयल का आपूर्तिकर्ता है, जैव ईंधन पॉलिसी के लिए पाम ऑयल का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसी तरह अमेरिका भी सोयाबीन से जैव ईंधन बना रहा है. जबकि भारत में पाम ऑयल का मार्केट 30 से 31 फीसदी और सोया तेल का मार्केट शेयर 22 फीसदी है.
बता दें कि पाम ऑयल की खुदरा कीमत 139 रुपये हो गई है. यह साल भर पहले 85 रुपये प्रति किलो था. सोयाबीन तेल की खुदरा कीमत 51.21 फीसदी बढ़कर 155 रुपये प्रति किलो हो गई है. पहले यह 102.5 रुपये प्रति किलो थी. इसी तरह, सूरजमुखी तेल की खुदरा कीमत 46 फीसदी बढ़कर 175 रुपये प्रति किलो हो गई है, जो साल भर पहले 120 रुपये किलो थी. वहीं, सरसों तेल की खुदरा कीमत 175 रुपये प्रति किलो है, जो पिछले साल 120 रुपये प्रति किलो थी. मूंगफली तेल 180 रुपये प्रति किलो है, जो एक साल पहले 142.6 रुपये प्रति किलो थी.