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कोरोना से क्रूड पस्त, जून 2017 के बाद निचले स्तर पर ब्रेंट - कोरोना वायरस

ब्रेंट क्रूड का भाव इस साल के ऊंचे स्तर से अबतक करीब 37 फीसदी टूट चुका है. आठ जनवरी, 2020 को ब्रेट क्रूड का भाव 71.75 डॉलर प्रति बैरल तक उछला था, जबकि शुक्रवार को भाव 45.19 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक गिरा.

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कोरोना से क्रूड पस्त, जून 2017 के बाद निचले स्तर पर ब्रेंट
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Published : Mar 7, 2020, 3:55 PM IST

नई दिल्ली: दुनियाभर में कोरोनावायरस के कहर से क्रूड यानी कच्चा तेल पस्त हो गया है. बेंचमार्क कच्चा तेल ब्रेंट क्रूड का भाव टूटकर जून 2017 के बाद के निचले स्तर पर आ गया है, जबकि अमेरिकी लाइट क्रूड वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) का दाम अगस्त 2016 के बाद के निचले स्तर पर आ गया है.

इस कारोबारी सप्ताह के आखिरी सत्र में शुक्रवार को कच्चे तेल के दाम में करीब नौ फीसदी की गिरावट आई. ब्रेंट क्रूड के दाम में दिसंबर 2008 के बाद सबसे ज्यादा एक दिनी गिरावट आई है, जबकि डब्ल्यूटीआई के दाम में नवंबर 2014 के बाद की सबसे बड़ी एक दिनी गिरावट आई है.

ब्रेंट क्रूड का भाव इस साल के ऊंचे स्तर से अबतक करीब 37 फीसदी टूट चुका है. आठ जनवरी, 2020 को ब्रेट क्रूड का भाव 71.75 डॉलर प्रति बैरल तक उछला था, जबकि शुक्रवार को भाव 45.19 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक गिरा.

ब्रेंट क्रूड के दाम में जनवरी से लेकर अबतक 31 फीसदी, जबकि डब्ल्यूटीआई के दाम में 32 फीसदी की गिरावट आई है. वहीं, भारतीय वायदा बाजार मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर कच्चे तेल के दाम में जनवरी से अब तक 28 फीसदी की गिरावट आई है.

एंजेल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसीडेंट (एनर्जी एवं करेंसी रिसर्च) अनुज गुप्ता ने आईएएनएस को बताया कि कोरोना के कहर से वैश्विक अर्थव्यवस्था चरमरा गई है, जिसके चलते कच्चे तेल की मांग काफी घट गई है. उधर, उत्पादन में कटौती करके कच्चे तेल के दाम में गिरावट को थामने का ओपेक का प्रयास भी विफल हो गया है.

तेल निर्यातक देशों का समूह ओपेक तेल उत्पादन में कटौती करने के लिए रूस को राजी करने में विफल रहा, जिसके कारण शुक्रवार को कच्चे तेल के दाम में अचानक भारी गिरावट आ गई.

ये भी पढ़ें: येस बैंक संकट: क्या इससे बचा जा सकता था?

केडिया एडवायजरी के डायरेक्टर अजय केडिया ने कहा कि कच्चे तेल में इस समय फंडामेंटल्स काफी कमजोर हैं, क्योंकि आपूर्ति के मुकाबले मांग बहुत कम है, इसलिए बहरहाल कीमतों पर दबाव बना रहेगा.

केडिया ने बताया कि अमेरिकी एजेंसी एनर्जी इन्फोरमेशन एडमिनिस्ट्रेशन का अनुमान है कि 2020 की पहली तिमाही में कच्चे तेल की मांग घटकर 10.03 करोड़ बैरल रोजाना रह जाएगी, जोकि एजेंसी द्वारा जनवरी में किए गए अनुमान से एक फीसदी कम है. उधर, अमेरिका में कच्चे तेल का उत्पादन सर्वाधिक ऊंचे स्तर पर है.

अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज (आईसीई) पर ब्रेंट क्रूड का मई डिलीवरी अनुबंध शुक्रवार को पिछले सत्र से 4.45 डॉलर यानी 8.90 फीसदी की गिरावट के साथ 45.54 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ, जबकि कारोबार के दौरान ब्रेंट का भाव 45.19 डॉलर प्रति बैरल तक लुढ़का.

वहीं, न्यूयार्क मर्के टाइल एक्सचेंज (नायमैक्स) पर डब्ल्यूटीआई का अप्रैल डिलीवरी अनुबंध पिछले सत्र के मुकाबले 4.29 डॉलर यानी 9.35 फीसदी की गिरावट के साथ 41.61 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ, जबकि सत्र के दौरान डब्ल्यूटीआई का भाव 41.05 डॉलर प्रति बैरल तक लुढ़का.

चीन से पैदा हुआ कोरोनावायरस का प्रकोप पूर्वी एशिया के देशों के साथ-साथ मध्य-पूर्व, यूरोप और अमेरिका समेत अनेक देशों में फैल चुका है और भारत भी इससे अछूता नहीं रहा. भारत में कोरोनावायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या 30 से अधिक हो चुकी है, जबकि पूरी दुनिया में इससे पीड़ित मरीजों की तादाद एक लाख से अधिक है और इस घातक वायरस की चपेट में आने से पूरी दुनिया में 3,000 से अधिक लोगों की जानें जा चुकी हैं.

(आईएएनएस)

नई दिल्ली: दुनियाभर में कोरोनावायरस के कहर से क्रूड यानी कच्चा तेल पस्त हो गया है. बेंचमार्क कच्चा तेल ब्रेंट क्रूड का भाव टूटकर जून 2017 के बाद के निचले स्तर पर आ गया है, जबकि अमेरिकी लाइट क्रूड वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) का दाम अगस्त 2016 के बाद के निचले स्तर पर आ गया है.

इस कारोबारी सप्ताह के आखिरी सत्र में शुक्रवार को कच्चे तेल के दाम में करीब नौ फीसदी की गिरावट आई. ब्रेंट क्रूड के दाम में दिसंबर 2008 के बाद सबसे ज्यादा एक दिनी गिरावट आई है, जबकि डब्ल्यूटीआई के दाम में नवंबर 2014 के बाद की सबसे बड़ी एक दिनी गिरावट आई है.

ब्रेंट क्रूड का भाव इस साल के ऊंचे स्तर से अबतक करीब 37 फीसदी टूट चुका है. आठ जनवरी, 2020 को ब्रेट क्रूड का भाव 71.75 डॉलर प्रति बैरल तक उछला था, जबकि शुक्रवार को भाव 45.19 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक गिरा.

ब्रेंट क्रूड के दाम में जनवरी से लेकर अबतक 31 फीसदी, जबकि डब्ल्यूटीआई के दाम में 32 फीसदी की गिरावट आई है. वहीं, भारतीय वायदा बाजार मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर कच्चे तेल के दाम में जनवरी से अब तक 28 फीसदी की गिरावट आई है.

एंजेल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसीडेंट (एनर्जी एवं करेंसी रिसर्च) अनुज गुप्ता ने आईएएनएस को बताया कि कोरोना के कहर से वैश्विक अर्थव्यवस्था चरमरा गई है, जिसके चलते कच्चे तेल की मांग काफी घट गई है. उधर, उत्पादन में कटौती करके कच्चे तेल के दाम में गिरावट को थामने का ओपेक का प्रयास भी विफल हो गया है.

तेल निर्यातक देशों का समूह ओपेक तेल उत्पादन में कटौती करने के लिए रूस को राजी करने में विफल रहा, जिसके कारण शुक्रवार को कच्चे तेल के दाम में अचानक भारी गिरावट आ गई.

ये भी पढ़ें: येस बैंक संकट: क्या इससे बचा जा सकता था?

केडिया एडवायजरी के डायरेक्टर अजय केडिया ने कहा कि कच्चे तेल में इस समय फंडामेंटल्स काफी कमजोर हैं, क्योंकि आपूर्ति के मुकाबले मांग बहुत कम है, इसलिए बहरहाल कीमतों पर दबाव बना रहेगा.

केडिया ने बताया कि अमेरिकी एजेंसी एनर्जी इन्फोरमेशन एडमिनिस्ट्रेशन का अनुमान है कि 2020 की पहली तिमाही में कच्चे तेल की मांग घटकर 10.03 करोड़ बैरल रोजाना रह जाएगी, जोकि एजेंसी द्वारा जनवरी में किए गए अनुमान से एक फीसदी कम है. उधर, अमेरिका में कच्चे तेल का उत्पादन सर्वाधिक ऊंचे स्तर पर है.

अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज (आईसीई) पर ब्रेंट क्रूड का मई डिलीवरी अनुबंध शुक्रवार को पिछले सत्र से 4.45 डॉलर यानी 8.90 फीसदी की गिरावट के साथ 45.54 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ, जबकि कारोबार के दौरान ब्रेंट का भाव 45.19 डॉलर प्रति बैरल तक लुढ़का.

वहीं, न्यूयार्क मर्के टाइल एक्सचेंज (नायमैक्स) पर डब्ल्यूटीआई का अप्रैल डिलीवरी अनुबंध पिछले सत्र के मुकाबले 4.29 डॉलर यानी 9.35 फीसदी की गिरावट के साथ 41.61 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ, जबकि सत्र के दौरान डब्ल्यूटीआई का भाव 41.05 डॉलर प्रति बैरल तक लुढ़का.

चीन से पैदा हुआ कोरोनावायरस का प्रकोप पूर्वी एशिया के देशों के साथ-साथ मध्य-पूर्व, यूरोप और अमेरिका समेत अनेक देशों में फैल चुका है और भारत भी इससे अछूता नहीं रहा. भारत में कोरोनावायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या 30 से अधिक हो चुकी है, जबकि पूरी दुनिया में इससे पीड़ित मरीजों की तादाद एक लाख से अधिक है और इस घातक वायरस की चपेट में आने से पूरी दुनिया में 3,000 से अधिक लोगों की जानें जा चुकी हैं.

(आईएएनएस)

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