वहीं, दूसरी तरफ सैमसंग ने वित्त वर्ष 2018 में अकेले कुल 37,000 करोड़ रुपये का मोबाइल फोन कारोबार किया, जिसके बाद उसकी चिर प्रतिद्वंदी श्याओमी रही, जिसने 23,000 करोड़ रुपये का कारोबार किया.
ओप्पो मोबाइल ने करीब 12,000 करोड़ रुपये का राजस्व दर्ज किया जबकि वीवो का राजस्व वित्त वर्ष 2018 में 11,000 करोड़ रुपये से अधिक रहा.
बड़ा सवाल यह है कि इस अत्यधिक-प्रतिस्पर्धी और कीमत के प्रति अत्यधिक संवेदनशील भारतीय बाजार में इन 88 ब्रांड्स में से कितनी कंपनियां टिक सकेंगी?
मार्केट रिसर्च कंपनी साइबर मीडिया रिसर्च (सीएमआर) के इंडस्ट्री इंटेलीजेंस समूह (आईआईजी) के प्रमुख प्रभु राम ने कहा, "शीर्ष पांच स्मार्टफोन ब्रांड्स में समेकन के कारण अन्य कंपनियों के लिए उपलब्ध क्षेत्र में काफी कमी आई है."
सीएमआर की आईआईजी की विश्लेषक स्वाति कालिया का कहना है, "बाकी कंपनियां बहुत फायदे में नहीं रहेंगी, हालांकि अगर उन्हें थोड़ा भी मुनाफा होता है तो यह उनके लिए बेहतर है. हमारा मानना है कि वे बाजार में प्रतिस्पर्धा करती रहेंगी."
अंतर्राष्ट्रीय डेटा कॉर्पोरेशन (आईडीसी) के अनुसार, भारतीय स्मार्टफोन बाजार में 2018 में 14.5 फीसदी की रफ्तार से वृद्धि हुई और अब तक की सर्वाधिक 14.23 करोड़ मोबाइल फोन्स की बिक्री हुई.
(आईएएनएस)
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