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आईएल एंड एफएस बांड से 47 लाख डाक जीवन बीमा प्रभावित

इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशिययल सर्विसेज लिमिटेड (आईएल एंड एफएस) बांड का जहर छूत की बीमारी की तरह तेजी से फैल रहा है. इसका वायरस बचतकर्ताओं के अपेक्षाकृत बड़े निकाय तक फैल चुका है और यह आगामी आम चुनाव से पहले सरकार के लिए अच्छी खबर नहीं है.

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Published : Feb 25, 2019, 9:36 AM IST

Updated : Feb 25, 2019, 10:22 AM IST

नई दिल्ली : तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता बृंदा करात ने आईएल एंड एफएस के इन अत्यंत खराब बांड में 15 लाख वेतनभोगियों के फंसने पर चिंता जाहिर की है.

अब इस बांड में डाक जीवन बीमा (पीएलआई)पॉलिसी धारकों के फंसने से सीधे तौर पर सरकार के लिए गंभीर चिंता पैदा होगी. सरकार के लिए यह जरूरी है कि इन बांडों में आई भारी गिरावट को संज्ञान में ले और बढ़ती घबराहट को कम करने के लिए तत्काल सुधारपक रणनीति अपनाए.

चिंता का विषय यह है कि पीएलआई पॉलिसी धारकों की सूची में 2016-17 के आखिर में 2,13,323 नई पॉलिसी जुड़ी जिसकी बीमा रकम 11,096.67 करोड़ रुपये है.

वित्त वर्ष 2016-17 के आखिर में कुल पॉलिसी की संख्या 46.8 लाख थी और कुल रकम 1,13,084.31 करोड़ रुपये थी, जोकि अपने आप में बड़ी राशि है. वित्त वर्ष 2016-17 के अंत में शेष निधि 55,058.61 करोड़ रुपये थी जबकि किस्त से प्राप्त आय 7,233.89 करोड़ रुपये थी.

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मालूम हो कि यह जीवन बीमा का कारोबार है और यह सीधे तौर पर खराब बांड में फंसा है जबकि निजी व पीएसयू (सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम) कंपनियों के वेतनभोगी अप्रत्यक्ष रूप से ईपीएफओ और पेंशन निधि के जरिए फंसे हैं.

आईएएनएस के खुलासे में शामिल शीर्ष स्तर की निजी व सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां इस विशाल सूची का हिस्सा हैं.

वेतनभोगी कर्मचारियों का समुदाय कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) में जमा अपने धन को लेकर चिंतित हैं. आईएल एंड एफएस के अब तक के बड़े संकट के चलते ये कर्मचारी खराब निवेश में फंस गए हैं. इनमें से अधिकांश कर्मचारी भविष्य निधियों और कर्मचारी पेंशन निधियों ने पहले ही कहा है कि आईएल और एफएस समाधान योजना में सेक्योर्ड क्रेडिटर्स के समक्ष भुगतान किया जाना चाहिए क्योंकि कंपनी की प्रस्तावित समाधान रूपरेखा में सिक्योर्ड क्रेडिटर्स को किसी प्रकार का भुगतान करने की बात नहीं कही गई है.

पीएलआई भारत में सबसे पुरानी बीमा कंपनी है जिसका गठन ब्रिटिश शासन काल में एक फरवरी 1884 में किया गया था. शुरुआत में बीमा कंपनी का गठन डाक कर्मचारियों के कल्याण के लिए किया गया था. उनकी योजनाएं खासतौर से सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए हैं.

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यह 1894 में डाक एवं संचार विभाग की महिला कर्मचारियों को कवर करने वाली पहली बीमा कंपनी बन गई. यह काफी लोकप्रिय है क्योंकि भारतीय जीवन बीमा बाजार में आज एकमात्र कंपनी है जो बाजार में मौजूद किसी उत्पाद पर सबसे कम प्रीमियम के साथ सबसे ज्यादा रिटर्न देती है. पीआईएल के पास 1884 में कुछेक सौ पॉलिसी थीं जो 31 मार्च 2017 को बढ़कर 46 लाख हो गई.
(आईएएनएस)
पढ़ें : जीएसटी परिषद ने दी बड़ी राहत, किफायती और अंडर-कंस्ट्रक्शन हाउसिंग प्रॉपर्टीज पर घटाई दरें

नई दिल्ली : तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता बृंदा करात ने आईएल एंड एफएस के इन अत्यंत खराब बांड में 15 लाख वेतनभोगियों के फंसने पर चिंता जाहिर की है.

अब इस बांड में डाक जीवन बीमा (पीएलआई)पॉलिसी धारकों के फंसने से सीधे तौर पर सरकार के लिए गंभीर चिंता पैदा होगी. सरकार के लिए यह जरूरी है कि इन बांडों में आई भारी गिरावट को संज्ञान में ले और बढ़ती घबराहट को कम करने के लिए तत्काल सुधारपक रणनीति अपनाए.

चिंता का विषय यह है कि पीएलआई पॉलिसी धारकों की सूची में 2016-17 के आखिर में 2,13,323 नई पॉलिसी जुड़ी जिसकी बीमा रकम 11,096.67 करोड़ रुपये है.

वित्त वर्ष 2016-17 के आखिर में कुल पॉलिसी की संख्या 46.8 लाख थी और कुल रकम 1,13,084.31 करोड़ रुपये थी, जोकि अपने आप में बड़ी राशि है. वित्त वर्ष 2016-17 के अंत में शेष निधि 55,058.61 करोड़ रुपये थी जबकि किस्त से प्राप्त आय 7,233.89 करोड़ रुपये थी.

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मालूम हो कि यह जीवन बीमा का कारोबार है और यह सीधे तौर पर खराब बांड में फंसा है जबकि निजी व पीएसयू (सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम) कंपनियों के वेतनभोगी अप्रत्यक्ष रूप से ईपीएफओ और पेंशन निधि के जरिए फंसे हैं.

आईएएनएस के खुलासे में शामिल शीर्ष स्तर की निजी व सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां इस विशाल सूची का हिस्सा हैं.

वेतनभोगी कर्मचारियों का समुदाय कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) में जमा अपने धन को लेकर चिंतित हैं. आईएल एंड एफएस के अब तक के बड़े संकट के चलते ये कर्मचारी खराब निवेश में फंस गए हैं. इनमें से अधिकांश कर्मचारी भविष्य निधियों और कर्मचारी पेंशन निधियों ने पहले ही कहा है कि आईएल और एफएस समाधान योजना में सेक्योर्ड क्रेडिटर्स के समक्ष भुगतान किया जाना चाहिए क्योंकि कंपनी की प्रस्तावित समाधान रूपरेखा में सिक्योर्ड क्रेडिटर्स को किसी प्रकार का भुगतान करने की बात नहीं कही गई है.

पीएलआई भारत में सबसे पुरानी बीमा कंपनी है जिसका गठन ब्रिटिश शासन काल में एक फरवरी 1884 में किया गया था. शुरुआत में बीमा कंपनी का गठन डाक कर्मचारियों के कल्याण के लिए किया गया था. उनकी योजनाएं खासतौर से सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए हैं.

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यह 1894 में डाक एवं संचार विभाग की महिला कर्मचारियों को कवर करने वाली पहली बीमा कंपनी बन गई. यह काफी लोकप्रिय है क्योंकि भारतीय जीवन बीमा बाजार में आज एकमात्र कंपनी है जो बाजार में मौजूद किसी उत्पाद पर सबसे कम प्रीमियम के साथ सबसे ज्यादा रिटर्न देती है. पीआईएल के पास 1884 में कुछेक सौ पॉलिसी थीं जो 31 मार्च 2017 को बढ़कर 46 लाख हो गई.
(आईएएनएस)
पढ़ें : जीएसटी परिषद ने दी बड़ी राहत, किफायती और अंडर-कंस्ट्रक्शन हाउसिंग प्रॉपर्टीज पर घटाई दरें

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इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशिययल सर्विसेज लिमिटेड (आईएल एंड एफएस) बांड का जहर छूत की बीमारी की तरह तेजी से फैल रहा है. इसका वायरस बचतकर्ताओं के अपेक्षाकृत बड़े निकाय तक फैल चुका है और यह आगामी आम चुनाव से पहले सरकार के लिए अच्छी खबर नहीं है.

नई दिल्ली : तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता बृंदा करात ने आईएल एंड एफएस के इन अत्यंत खराब बांड में 15 लाख वेतनभोगियों के फंसने पर चिंता जाहिर की है.

अब इस बांड में डाक जीवन बीमा (पीएलआई)पॉलिसी धारकों के फंसने से सीधे तौर पर सरकार के लिए गंभीर चिंता पैदा होगी. सरकार के लिए यह जरूरी है कि इन बांडों में आई भारी गिरावट को संज्ञान में ले और बढ़ती घबराहट को कम करने के लिए तत्काल सुधारपक रणनीति अपनाए.

चिंता का विषय यह है कि पीएलआई पॉलिसी धारकों की सूची में 2016-17 के आखिर में 2,13,323 नई पॉलिसी जुड़ी जिसकी बीमा रकम 11,096.67 करोड़ रुपये है.

वित्त वर्ष 2016-17 के आखिर में कुल पॉलिसी की संख्या 46.8 लाख थी और कुल रकम 1,13,084.31 करोड़ रुपये थी, जोकि अपने आप में बड़ी राशि है. वित्त वर्ष 2016-17 के अंत में शेष निधि 55,058.61 करोड़ रुपये थी जबकि किस्त से प्राप्त आय 7,233.89 करोड़ रुपये थी.

मालूम हो कि यह जीवन बीमा का कारोबार है और यह सीधे तौर पर खराब बांड में फंसा है जबकि निजी व पीएसयू (सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम) कंपनियों के वेतनभोगी अप्रत्यक्ष रूप से ईपीएफओ और पेंशन निधि के जरिए फंसे हैं.

आईएएनएस के खुलासे में शामिल शीर्ष स्तर की निजी व सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां इस विशाल सूची का हिस्सा हैं.

वेतनभोगी कर्मचारियों का समुदाय कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) में जमा अपने धन को लेकर चिंतित हैं. आईएल एंड एफएस के अब तक के बड़े संकट के चलते ये कर्मचारी खराब निवेश में फंस गए हैं. इनमें से अधिकांश कर्मचारी भविष्य निधियों और कर्मचारी पेंशन निधियों ने पहले ही कहा है कि आईएल और एफएस समाधान योजना में सेक्योर्ड क्रेडिटर्स के समक्ष भुगतान किया जाना चाहिए क्योंकि कंपनी की प्रस्तावित समाधान रूपरेखा में सिक्योर्ड क्रेडिटर्स को किसी प्रकार का भुगतान करने की बात नहीं कही गई है.

पीएलआई भारत में सबसे पुरानी बीमा कंपनी है जिसका गठन ब्रिटिश शासन काल में एक फरवरी 1884 में किया गया था. शुरुआत में बीमा कंपनी का गठन डाक कर्मचारियों के कल्याण के लिए किया गया था. उनकी योजनाएं खासतौर से सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए हैं.

यह 1894 में डाक एवं संचार विभाग की महिला कर्मचारियों को कवर करने वाली पहली बीमा कंपनी बन गई. यह काफी लोकप्रिय है क्योंकि भारतीय जीवन बीमा बाजार में आज एकमात्र कंपनी है जो बाजार में मौजूद किसी उत्पाद पर सबसे कम प्रीमियम के साथ सबसे ज्यादा रिटर्न देती है. पीआईएल के पास 1884 में कुछेक सौ पॉलिसी थीं जो 31 मार्च 2017 को बढ़कर 46 लाख हो गई.

(आईएएनएस)


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Last Updated : Feb 25, 2019, 10:22 AM IST
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