वॉशिंगटन: अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) की प्रमुख क्रिस्टलीना जॉर्जिवा ने आगाह किया है कि मौजूदा संकट ने कई उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के नीति निर्माताओं के लिए 'कठिन चुनौती' पेश की है. मुद्राकोष का कहना है कि कोरोना वायरस महामारी फैलने से पहले ही वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती थी पर अब इस महामारी की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था की हालत अधिक खस्ता हो गई है तथा 2020 में गंभीर आर्थिक संकुचन तय है.
विश्वबैंक और आईएमएफ की सालाना बैठक के दौरान विकास समिति बैठक को संबोधित करते हुए जॉर्जिवा ने कहा कि इस साल ही पहली छमाही में वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट से बचा नहीं जा सकता. आईएमएफ की प्रबंध निदेशक ने कहा कि कोविड-19 ने वैश्विक अर्थव्यवस्था पर ऐसे समय चोट की है जबकि वह पहले से ही व्यापार विवादों, नीतिगत मोर्च पर अनिश्चितता और भू राजनैतिक तनाव की वजह से काफी सुस्त रफ्तार से आगे बढ़ रही थी.
जॉर्जिवा ने कहा, "वैश्विक स्तर पर कोरोना वायरस जैसा संकट पहले कभी देखने को नहीं मिला है. इससे कई उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (ईएमडीई) के नीति निर्माताओं के लिए कठिन चुनौती पैदा की है."
उन्होंने कहा कि विशेषरूप से ऐसी अर्थव्यवस्थाओं के लिए यह महामारी बड़ी चुनौती है जहां सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली कमजोर है, क्षमता में कमी और इस महामारी के प्रभावों को कम करने लिए नीतिगत मोर्चे पर कदम बढ़ाने की गुंजाइश भी कम बची है.
जॉर्जिवा ने कहा कि कोरोना वायरस से पहले ही वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार की रफ्तार काफी धीमी थी. अब 2020 में वैश्विक अर्थव्यवस्था को गंभीर मंदी का झटका लगने वाला है. उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था का मध्यम अवधि का परिदृश्य अनिश्चितता के बादलों से घिरा है.
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जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के आंकड़ों के अनुसार दुनिया भर में कोविड-19 संक्रमित लोगों का आंकड़ा 20 लाख को पार कर गया है. अभी तक यह महामारी दुनियाभर में 1,44,000 लोगों की जान ले चुकी है. अमेरिका इससे सबसे अधिक प्रभावित है. अमेरिका में इससे 35,000 लोगों की मौत हो चुकी है और 7,00,000 से अधिक लोग इससे संक्रमित हैं.
(पीटीआई-भाषा)