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भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2019-20 में पांच प्रतिशत रहने का अनुमान: विश्वबैंक - आर्थिक विकास दर

सरकार ने मंगलवार को जारी आंकड़ों में 2019-20 में आर्थिक वृद्धि दर के पांच प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया है. सरकार ने विनिर्माण और निर्माण क्षेत्र के खराब प्रदर्शन को इसका कारण माना है. यह 11 साल की सबसे धीमी वृद्धि दर होगी.

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भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2019-20 में पांच प्रतिशत रहने का अनुमान: विश्वबैंक
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Published : Jan 9, 2020, 3:57 PM IST

Updated : Jan 9, 2020, 5:04 PM IST

वॉशिंगटन: विश्वबैंक ने 2019-20 में भारत की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार कम होकर पांच प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया है. हालांकि, उसने कहा है कि अगले साल 2020- 21 में आर्थिक वृद्धि दर सुधरकर 5.8 प्रतिशत पर पहुंच सकती है.

विश्वबैंक की बुधवार को जारी हालिया 'वैश्विक आर्थिक संभावनाएं' रिपोर्ट में कहा गया है, "भारत में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के ऋण वितरण में नरमी जारी रहने का अनुमान है, इसके चलते भारत की वृद्धि दर 2019-20 में पांच प्रतिशत तथा 2020-21 में सुधरकर 5.8 प्रतिशत रह सकती है."

उसने कहा कि गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र के ऋण वितरण में नरमी से भारत में घरेलू मांग पर पर काफी असर पड़ रहा है.

रिपोर्ट में कहा गया, "भारत में ऋण की अपर्याप्त उपलब्धता तथा निजी उपभोग में नरमी से गतिविधियां संकुचित हुई हैं."

उल्लेखनीय है कि सरकार को मंगलवार को जारी आंकड़ों में 2019-20 में आर्थिक वृद्धि दर के पांच प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया है. सरकार ने विनिर्माण और निर्माण क्षेत्र के खराब प्रदर्शन को इसका कारण माना है. यह 11 साल की सबसे धीमी वृद्धि दर होगी.

ये भी पढ़ें: अवसरों में चूक का परिणाम है 5 फीसदी आर्थिक विकास दर: योगिंदर के अलघ

रिपोर्ट में भारत के बारे में कहा गया कि 2019 में आर्थिक गतिविधियों में खासी गिरावट आयी. विनिर्माण और कृषि क्षेत्र में गिरावट अधिक रही जबकि सरकारी खर्च से सरकार संबंधी सेवाओं के उप क्षेत्रों को ठीक-ठाक समर्थन मिला. उसने कहा कि 2019 की जून तिमाही और सितंबर तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर क्रमश: पांच प्रतिशत और 4.5 प्रतिशत रही, जो 2013 के बाद सबसे निम्न स्तर है.

विश्वबैंक के अनुसार, लोगों के उपभोग तथा निवेश में नरमी ने सरकारी खर्च के प्रभाव को नगण्य बना दिया. आंकड़ों से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष के शेष समय में भी गतिविधियों के कमजोर बने रहने की आशंका है.

हालांकि, विश्वबैंक ने रसोई गैस पर सब्सिडी को क्रमिक तौर पर समाप्त करने के भारत के प्रयासों की सराहना की है. उसने कहा कि एलपीजी पर सब्सिडी से काला बाजार तैयार हो रहा था और घरेलू इस्तेमाल का एलपीजी व्यावसायिक क्षेत्रों में पहुंच रहा था. सब्सिडी हटाने के कार्यक्रम से काला बाजार समाप्त हुआ.

विश्वबैंक ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के 2020 में 2.5 प्रतिशत की दर से वृद्धि करने का अनुमान व्यक्त किया. उसने कहा, "2020 में शुल्क वृद्धि तथा अनिश्चितता बढ़ने से अमेरिका की आर्थिक वृद्धि दर कम होकर 1.8 प्रतिशत पर आ सकती है. इस दौरान यूरोप की वृद्धि दर उद्योग जगत की नरम गतिविधियों के कारण कम होकर एक प्रतिशत पर आ सकती है."

विश्वबैंक के अनुसार, 2019-20 में पाकिस्तान की आर्थिक वृद्धि दर 2.4 प्रतिशत तथा बांग्लादेश की आर्थिक वृद्धि दर सात प्रतिशत से कुछ ऊपर रह सकती है.

विश्वबैंक ने रिपोर्ट में कहा कि दक्षिण एशिया की क्षेत्रीय वृद्धि दर में क्रमिक सुधार होने का अनुमान है और घरेलू मांग में धीमे सुधार से यह 2022 में छह प्रतिशत पर पहुंच सकता है.

वॉशिंगटन: विश्वबैंक ने 2019-20 में भारत की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार कम होकर पांच प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया है. हालांकि, उसने कहा है कि अगले साल 2020- 21 में आर्थिक वृद्धि दर सुधरकर 5.8 प्रतिशत पर पहुंच सकती है.

विश्वबैंक की बुधवार को जारी हालिया 'वैश्विक आर्थिक संभावनाएं' रिपोर्ट में कहा गया है, "भारत में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के ऋण वितरण में नरमी जारी रहने का अनुमान है, इसके चलते भारत की वृद्धि दर 2019-20 में पांच प्रतिशत तथा 2020-21 में सुधरकर 5.8 प्रतिशत रह सकती है."

उसने कहा कि गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र के ऋण वितरण में नरमी से भारत में घरेलू मांग पर पर काफी असर पड़ रहा है.

रिपोर्ट में कहा गया, "भारत में ऋण की अपर्याप्त उपलब्धता तथा निजी उपभोग में नरमी से गतिविधियां संकुचित हुई हैं."

उल्लेखनीय है कि सरकार को मंगलवार को जारी आंकड़ों में 2019-20 में आर्थिक वृद्धि दर के पांच प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया है. सरकार ने विनिर्माण और निर्माण क्षेत्र के खराब प्रदर्शन को इसका कारण माना है. यह 11 साल की सबसे धीमी वृद्धि दर होगी.

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रिपोर्ट में भारत के बारे में कहा गया कि 2019 में आर्थिक गतिविधियों में खासी गिरावट आयी. विनिर्माण और कृषि क्षेत्र में गिरावट अधिक रही जबकि सरकारी खर्च से सरकार संबंधी सेवाओं के उप क्षेत्रों को ठीक-ठाक समर्थन मिला. उसने कहा कि 2019 की जून तिमाही और सितंबर तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर क्रमश: पांच प्रतिशत और 4.5 प्रतिशत रही, जो 2013 के बाद सबसे निम्न स्तर है.

विश्वबैंक के अनुसार, लोगों के उपभोग तथा निवेश में नरमी ने सरकारी खर्च के प्रभाव को नगण्य बना दिया. आंकड़ों से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष के शेष समय में भी गतिविधियों के कमजोर बने रहने की आशंका है.

हालांकि, विश्वबैंक ने रसोई गैस पर सब्सिडी को क्रमिक तौर पर समाप्त करने के भारत के प्रयासों की सराहना की है. उसने कहा कि एलपीजी पर सब्सिडी से काला बाजार तैयार हो रहा था और घरेलू इस्तेमाल का एलपीजी व्यावसायिक क्षेत्रों में पहुंच रहा था. सब्सिडी हटाने के कार्यक्रम से काला बाजार समाप्त हुआ.

विश्वबैंक ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के 2020 में 2.5 प्रतिशत की दर से वृद्धि करने का अनुमान व्यक्त किया. उसने कहा, "2020 में शुल्क वृद्धि तथा अनिश्चितता बढ़ने से अमेरिका की आर्थिक वृद्धि दर कम होकर 1.8 प्रतिशत पर आ सकती है. इस दौरान यूरोप की वृद्धि दर उद्योग जगत की नरम गतिविधियों के कारण कम होकर एक प्रतिशत पर आ सकती है."

विश्वबैंक के अनुसार, 2019-20 में पाकिस्तान की आर्थिक वृद्धि दर 2.4 प्रतिशत तथा बांग्लादेश की आर्थिक वृद्धि दर सात प्रतिशत से कुछ ऊपर रह सकती है.

विश्वबैंक ने रिपोर्ट में कहा कि दक्षिण एशिया की क्षेत्रीय वृद्धि दर में क्रमिक सुधार होने का अनुमान है और घरेलू मांग में धीमे सुधार से यह 2022 में छह प्रतिशत पर पहुंच सकता है.

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वॉशिंगटन: विश्व बैंक ने 2019-2020 के वित्तीय वर्ष में भारत के लिए पांच प्रतिशत की विकास दर का अनुमान लगाया है, लेकिन कहा कि यह अगले वित्तीय वर्ष में 5.8 प्रतिशत तक होने की संभावना है.

विश्व बैंक ने बुधवार को कहा, "भारत में, जहां गैर-बैंक वित्तीय कंपनियों से ऋण में कमजोरी की आशंका है, वित्त वर्ष 2019-20 में विकास दर पांच प्रतिशत तक धीमी रहने का अनुमान है, जो 31 मार्च को समाप्त होता है, और अगले वित्त वर्ष में 5.8 प्रतिशत तक सुधरेगी."

वैश्विक आर्थिक वृद्धि 2020 में 2.5 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है क्योंकि निवेश और व्यापार धीरे-धीरे पिछले साल की महत्वपूर्ण कमजोरी से उबरते हैं, लेकिन नीचे जोखिम जारी है.

विश्व बैंक समूह के उपाध्यक्ष फॉर इक्विटेबल ग्रोथ, फाइनेंस एंड इंस्टीट्यूशंस, सीला पजारबासोग्लू, ने कहा कि उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में वृद्धि धीमी रहने की संभावना के साथ, नीति निर्माताओं को व्यापक सुधारों को बढ़ावा देने वाले संरचनात्मक सुधारों को करने का अवसर जब्त करना चाहिए, जो कि गरीबी में कमी लाने के लिए आवश्यक है.

रिपोर्ट के भारत खंड में, विश्व बैंक ने कहा कि गैर-बैंकिंग क्षेत्र में सख्त ऋण की स्थिति देश में घरेलू मांग के काफी कमजोर होने में योगदान दे रही है.

रिपोर्ट में कहा गया है, "भारत में, गतिविधि अपर्याप्त ऋण उपलब्धता के साथ-साथ निजी खपत के कारण बाधित थी."

बैंक ने कहा कि दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय वृद्धि 2022 में धीरे-धीरे छह प्रतिशत तक पहुंचने की उम्मीद है, घरेलू मांग में मामूली गिरावट का अनुमान है।

बैंक ने कहा कि भारत में 2019 में विनिर्माण और कृषि क्षेत्रों में मंदी के साथ आर्थिक गतिविधियां काफी धीमी हो गईं, जबकि सरकार से संबंधित सेवाओं के उप-क्षेत्रों को सार्वजनिक खर्च से महत्वपूर्ण समर्थन मिला.

जीडीपी की वृद्धि 2019 के अप्रैल-जून और जुलाई-सितंबर तिमाही में क्रमश: पांच प्रतिशत और 4.5 प्रतिशत रही, जो 2013 के बाद से सबसे कम रीडिंग है.

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Last Updated : Jan 9, 2020, 5:04 PM IST
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