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थोक महंगाई मार्च में चार महीने के निचले स्तर 'एक प्रतिशत' पर रही - Wholesale price inflation cools to 1% in March

थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति फरवरी के 2.26 प्रतिशत के मुकाबले मार्च में गिरकर एक प्रतिशत रह गई. इस दौरान देश में खाद्य वस्तुओं की कीमतों में तेजी से कमी आई.

थोक कीमतों पर आधारित महंगाई मार्च में घटकर एक प्रतिशत हुई
थोक कीमतों पर आधारित महंगाई मार्च में घटकर एक प्रतिशत हुई
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Published : Apr 15, 2020, 1:14 PM IST

Updated : Apr 15, 2020, 5:43 PM IST

नई दिल्ली: खाद्य सामग्रियों तथा ईंधनों के सस्ते होने से थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति फरवरी के 2.26 प्रतिशत के मुकाबले कम होकर मार्च में एक प्रतिशत पर आ गयी. यह थोक मुद्रास्फीति का चार महीने का निचला स्तर है. ताजा आधिकारिक आंकड़ों में इसकी जानकारी मिली.

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा बुधवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, इस साल मार्च में थोक मुद्रास्फीति की दर महज एक प्रतिशत रही. इससे पहले यह फरवरी 2020 में 2.26 प्रतिशत और मार्च 2019 में 3.10 प्रतिशत रही थी. यह थोक मुद्रास्फीति का चार महीने का निचला स्तर है. इससे पहले नवंबर 2019 में इसकी दर 0.58 प्रतिशत रही थी.

थोक महंगाई के आंकड़ें
थोक महंगाई के आंकड़ें

आंकड़ों के अनुसार, इस दौरान खाद्य मुद्रास्फीति गिरकर 4.91 प्रतिशत पर आ गयी. फरवरी में इसकी दर 7.79 प्रतिशत थी. इसके अलावा ईंधन एवं बिजली में 1.76 प्रतिशत की अपस्फीति तथा विनिर्मित उत्पादों में 0.34 प्रतिशत की मुद्रास्फीति रही.

ये भी पढ़ें- लॉकडाउन 2.0: गृह मंत्रालय ने जारी की गाइडलाइन, जानिए किन पर रहेगा प्रतिबंध और किसे मिलेगी छूट

कोरोना वायरस महामारी के चलते 25 मार्च से शुरू हुए देशव्यापी लॉकडाउन का असर इस महीने के दौरान आंकड़े जमा करने पर भी पड़ा. सब्जियों की मुद्रास्फीति मार्च में गिरकर 11.90 प्रतिशत रह गई, जबकि इससे पिछले महीने में यह 29.97 प्रतिशत थी.

हालांकि, इस दौरान प्याज महंगा बना रहा. ईंधन और बिजली उत्पादों में 1.76 प्रतिशत की अवस्फीति देखने को मिली, जबकि विनिर्मित वस्तुओं की कीमतों में 0.34 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई. कोरोना वायरस महामारी पर रोकथाम के लिये देश भर में लॉकडाउन (बंद) लागू है. सरकार का कहना है कि इसके कारण मार्च के लिये थोक मुद्रास्फीति की प्राथमिक गणना अपेक्षाकृत कम आंकड़ों के आधार पर की गयी है.

थोक महंगाई के आंकड़ें
थोक महंगाई के आंकड़ें

सरकार ने कहा, "जब अंतिम गणना जारी की जाएगी, आंकड़े बदल सकते हैं. नये आंकड़ों के अनुसार, मार्च के दौरान सब्जियों की थोक मुद्रास्फीति फरवरी के 29.97 प्रतिशत से गिरकर 11.90 प्रतिशत पर आ गयी. प्याज की थोक मुद्रास्फीति अभी भी 112.31 प्रतिशत पर ऊंची बनी हुई है. खाद्य सामग्रियों में सिर्फ दाल में थोक मुद्रास्फीति की दर में तेजी देखी गयी और यह फरवरी के 11.42 प्रतिशत की तुलना में बढ़कर 12.12 प्रतिशत पर पहुंच गयी. खुदरा मुद्रास्फीति भी मार्च में चार महीने के निचले स्तर 5.91 प्रतिशत पर है.

क्या कहते हैं अर्थशास्त्री

इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि यदि खनिज, कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस जैसे जिंसों के दाम में आयी गिरावट को पूरी तरह से गणना में लिया जाता तो थोक मुद्रास्फीति में मार्च में अपस्फीति देखने को मिल सकती थी. उन्होंने कहा, "अप्रैल 2020 में खाद्य मुद्रास्फीति में भले ही तेजी देखने को मिल जाये लेकिन विभिन्न जिंसों के सस्ते होने से कुल मिलाकर अपस्फीति(शून्य से नीचे) देखने को मिलेगी. अभी हम 2019-20 की 1.7 प्रतिशत की मुद्रास्फीति की तुलना में 2020-21 में 1.5 प्रतिशत की अपस्फीति का अनुमान कर रहे हैं."

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: खाद्य सामग्रियों तथा ईंधनों के सस्ते होने से थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति फरवरी के 2.26 प्रतिशत के मुकाबले कम होकर मार्च में एक प्रतिशत पर आ गयी. यह थोक मुद्रास्फीति का चार महीने का निचला स्तर है. ताजा आधिकारिक आंकड़ों में इसकी जानकारी मिली.

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा बुधवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, इस साल मार्च में थोक मुद्रास्फीति की दर महज एक प्रतिशत रही. इससे पहले यह फरवरी 2020 में 2.26 प्रतिशत और मार्च 2019 में 3.10 प्रतिशत रही थी. यह थोक मुद्रास्फीति का चार महीने का निचला स्तर है. इससे पहले नवंबर 2019 में इसकी दर 0.58 प्रतिशत रही थी.

थोक महंगाई के आंकड़ें
थोक महंगाई के आंकड़ें

आंकड़ों के अनुसार, इस दौरान खाद्य मुद्रास्फीति गिरकर 4.91 प्रतिशत पर आ गयी. फरवरी में इसकी दर 7.79 प्रतिशत थी. इसके अलावा ईंधन एवं बिजली में 1.76 प्रतिशत की अपस्फीति तथा विनिर्मित उत्पादों में 0.34 प्रतिशत की मुद्रास्फीति रही.

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कोरोना वायरस महामारी के चलते 25 मार्च से शुरू हुए देशव्यापी लॉकडाउन का असर इस महीने के दौरान आंकड़े जमा करने पर भी पड़ा. सब्जियों की मुद्रास्फीति मार्च में गिरकर 11.90 प्रतिशत रह गई, जबकि इससे पिछले महीने में यह 29.97 प्रतिशत थी.

हालांकि, इस दौरान प्याज महंगा बना रहा. ईंधन और बिजली उत्पादों में 1.76 प्रतिशत की अवस्फीति देखने को मिली, जबकि विनिर्मित वस्तुओं की कीमतों में 0.34 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई. कोरोना वायरस महामारी पर रोकथाम के लिये देश भर में लॉकडाउन (बंद) लागू है. सरकार का कहना है कि इसके कारण मार्च के लिये थोक मुद्रास्फीति की प्राथमिक गणना अपेक्षाकृत कम आंकड़ों के आधार पर की गयी है.

थोक महंगाई के आंकड़ें
थोक महंगाई के आंकड़ें

सरकार ने कहा, "जब अंतिम गणना जारी की जाएगी, आंकड़े बदल सकते हैं. नये आंकड़ों के अनुसार, मार्च के दौरान सब्जियों की थोक मुद्रास्फीति फरवरी के 29.97 प्रतिशत से गिरकर 11.90 प्रतिशत पर आ गयी. प्याज की थोक मुद्रास्फीति अभी भी 112.31 प्रतिशत पर ऊंची बनी हुई है. खाद्य सामग्रियों में सिर्फ दाल में थोक मुद्रास्फीति की दर में तेजी देखी गयी और यह फरवरी के 11.42 प्रतिशत की तुलना में बढ़कर 12.12 प्रतिशत पर पहुंच गयी. खुदरा मुद्रास्फीति भी मार्च में चार महीने के निचले स्तर 5.91 प्रतिशत पर है.

क्या कहते हैं अर्थशास्त्री

इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि यदि खनिज, कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस जैसे जिंसों के दाम में आयी गिरावट को पूरी तरह से गणना में लिया जाता तो थोक मुद्रास्फीति में मार्च में अपस्फीति देखने को मिल सकती थी. उन्होंने कहा, "अप्रैल 2020 में खाद्य मुद्रास्फीति में भले ही तेजी देखने को मिल जाये लेकिन विभिन्न जिंसों के सस्ते होने से कुल मिलाकर अपस्फीति(शून्य से नीचे) देखने को मिलेगी. अभी हम 2019-20 की 1.7 प्रतिशत की मुद्रास्फीति की तुलना में 2020-21 में 1.5 प्रतिशत की अपस्फीति का अनुमान कर रहे हैं."

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Apr 15, 2020, 5:43 PM IST

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