नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को पनबिजली क्षेत्र को बढ़ावा देने के उपायों को मंजूरी दे दी. इनमें गैर-सोलर अक्षय ऊर्जा क्रय बाध्यता (आरपीओ) के हिस्से के रूप में बड़ी पनबिजली परियोजनाओं की घोषणा शामिल है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई.
सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार बड़ी पनबिजली योजनाओं की घोषणा अक्षय ऊर्जा स्रोत के रूप में की जायेगी. इन उपायों की अधिसूचना के बाद शुरू की गई बड़ी पनबिजली योजनाएं गैर-सोलर अक्षय ऊर्जा क्रय बाध्यता के तहत पनबिजली योजनाएं इन में शामिल होंगी। लघु पनबिजली परियोजनाएं पहले से ही इनमें शामिल हैं.
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पनबिजली क्षेत्र में अतिरिक्त परियोजना क्षमता के आधार पर विद्युत मंत्रालय द्वारा बड़ी पनबिजली परियोजनाओं के वार्षिक लक्ष्यों के बारे में अधिसूचित किया जायेगा. बड़ी पनबिजली परियोजनाओं के संचालन के लिये शुल्क नीति और शुल्क नियमनों में आवश्यक संसोधन किये जायेंगे। सरकार का मानना है कि इससे विद्युत क्षेत्र में प्रत्यक्ष रोजगार मिलने से क्षेत्र का सामाजिक-आर्थिक विकास सुनिश्चित होगा। इससे परिवहन, पर्यटन और अन्य छोटे कारोबारी क्षेत्र में अप्रत्यक्ष रोजगार/उद्यमिता के अवसर भी उपलब्ध होंगे.
(भाषा)