नई दिल्ली: नई दिल्ली में वर्ल्ड इकोनॉमिक सिचुएशन एंड प्रॉस्पेक्ट्स 2020 रिपोर्ट जारी करते हुए, यूएन ने कहा कि भारत में आर्थिक विकास 2020 में 6.6 प्रतिशत पर लौटने की उम्मीद है.
वैश्विक अर्थव्यवस्था के पूर्वानुमान के बीच, संयुक्त राष्ट्र ने 2020 में भारत के लिए बेहतर आर्थिक विकास की भी भविष्यवाणी की है.
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वहीं, विश्व निकाय ने चेताया कि कुछ जोखिम विकास की संभावनाओं पर गंभीर और लंबे समय तक चलने वाले नुकसान को बढ़ा सकते हैं.
पिछले हफ्ते विश्व बैंक ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट "ग्लोबल इकोनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्स" में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक गंभीर तस्वीर चित्रित की थी. जिसमें जीडीपी वृद्धि केवल 5 प्रतिशत थी और 2020-21 के लिए यह 5.8 प्रतिशत था.
विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा, "विकास के दृष्टिकोण से जोखिम नकारात्मक पक्ष पर झुके हुए हैं और मुख्य रूप से वित्तीय क्षेत्र की कमजोरियों, भू-राजनीतिक तनाव और सुधारों के लिए प्रगति की कमी से संबंधित हैं. यद्यपि भारत और पाकिस्तान के बीच हाल के तनाव समाप्त हो गए हैं.
साल 2020 की संयुक्त राष्ट्र की वृद्धि की भविष्यवाणी अभी भी 2018 में 6.8 प्रतिशत से कम है जो कि 2019 में 5.7 प्रतिशत तक गिर गई. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि सुस्त निवेश, उपभोक्ता भावना और कमजोर विनिर्माण और सेवाओं के विकास के कारण यह हाल हुआ है. रिपोर्ट में नीतिगत अनिश्चितता, ऋण संकट और वैश्विक मंदी के प्रभावों सहित अन्य महत्वपूर्ण कारकों का भी उल्लेख किया गया.
अपनी ओर से भारत सरकार ने राजकोषीय प्रोत्साहन उपायों जैसे कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती, सरकारी खर्च में वृद्धि और संघर्षरत ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए विस्तारित समर्थन सहित कई कदम उठाएं हैं.
भारतीय अर्थव्यवस्था का पूरे दक्षिण एशिया क्षेत्र पर महत्वपूर्ण प्रभाव है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में मंदी ने पूरे क्षेत्र में निर्यात वृद्धि को प्रभावित किया है, लेकिन अफगानिस्तान और नेपाल जैसे देशों पर विशेष रूप से गंभीर प्रभाव पड़ा है. जिनकी अर्थव्यवस्था भारत के साथ व्यापार पर बहुत अधिक निर्भर करती है.
(लेखक-संजीब कुमार बरुआ, वरिष्ठ पत्रकार)
ध्रुवीकरण गहराने से प्रभावित हो सकती है भारतीय अर्थव्यवस्था: संयुक्त राष्ट्र - ध्रुवीकरण गहराने से प्रभावित हो सकती है भारतीय अर्थव्यवस्था
वैश्विक अर्थव्यवस्था के पूर्वानुमान के बीच, संयुक्त राष्ट्र ने 2020 में भारत के लिए बेहतर आर्थिक विकास की भी भविष्यवाणी की है. पिछले हफ्ते विश्व बैंक ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट "ग्लोबल इकोनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्स" में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक गंभीर तस्वीर चित्रित की थी.
नई दिल्ली: नई दिल्ली में वर्ल्ड इकोनॉमिक सिचुएशन एंड प्रॉस्पेक्ट्स 2020 रिपोर्ट जारी करते हुए, यूएन ने कहा कि भारत में आर्थिक विकास 2020 में 6.6 प्रतिशत पर लौटने की उम्मीद है.
वैश्विक अर्थव्यवस्था के पूर्वानुमान के बीच, संयुक्त राष्ट्र ने 2020 में भारत के लिए बेहतर आर्थिक विकास की भी भविष्यवाणी की है.
ये भी पढ़ें-बजट 2020: सस्ते हो सकते हैं खिलौने, फर्नीचर और जूते
वहीं, विश्व निकाय ने चेताया कि कुछ जोखिम विकास की संभावनाओं पर गंभीर और लंबे समय तक चलने वाले नुकसान को बढ़ा सकते हैं.
पिछले हफ्ते विश्व बैंक ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट "ग्लोबल इकोनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्स" में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक गंभीर तस्वीर चित्रित की थी. जिसमें जीडीपी वृद्धि केवल 5 प्रतिशत थी और 2020-21 के लिए यह 5.8 प्रतिशत था.
विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा, "विकास के दृष्टिकोण से जोखिम नकारात्मक पक्ष पर झुके हुए हैं और मुख्य रूप से वित्तीय क्षेत्र की कमजोरियों, भू-राजनीतिक तनाव और सुधारों के लिए प्रगति की कमी से संबंधित हैं. यद्यपि भारत और पाकिस्तान के बीच हाल के तनाव समाप्त हो गए हैं.
साल 2020 की संयुक्त राष्ट्र की वृद्धि की भविष्यवाणी अभी भी 2018 में 6.8 प्रतिशत से कम है जो कि 2019 में 5.7 प्रतिशत तक गिर गई. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि सुस्त निवेश, उपभोक्ता भावना और कमजोर विनिर्माण और सेवाओं के विकास के कारण यह हाल हुआ है. रिपोर्ट में नीतिगत अनिश्चितता, ऋण संकट और वैश्विक मंदी के प्रभावों सहित अन्य महत्वपूर्ण कारकों का भी उल्लेख किया गया.
अपनी ओर से भारत सरकार ने राजकोषीय प्रोत्साहन उपायों जैसे कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती, सरकारी खर्च में वृद्धि और संघर्षरत ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए विस्तारित समर्थन सहित कई कदम उठाएं हैं.
भारतीय अर्थव्यवस्था का पूरे दक्षिण एशिया क्षेत्र पर महत्वपूर्ण प्रभाव है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में मंदी ने पूरे क्षेत्र में निर्यात वृद्धि को प्रभावित किया है, लेकिन अफगानिस्तान और नेपाल जैसे देशों पर विशेष रूप से गंभीर प्रभाव पड़ा है. जिनकी अर्थव्यवस्था भारत के साथ व्यापार पर बहुत अधिक निर्भर करती है.
(लेखक-संजीब कुमार बरुआ, वरिष्ठ पत्रकार)
ध्रुवीकरण गहराने से प्रभावित हो सकती है भारतीय अर्थव्यवस्था: संयुक्त राष्ट्र
नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र संघ ने गुरुवार को कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में 5.7 प्रतिशत रह सकती है. यह वैश्विक निकाय के पूर्व के अनुमान से कम है. संयुक्त राष्ट्र के एक अध्ययन में कहा गया है कि कुछ अन्य उभरते देशों में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर में इस साल कुछ तेजी आ सकती है.
वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक अंधेरे पूर्वानुमान के बीच, संयुक्त राष्ट्र ने 2020 में भारत के लिए बेहतर आर्थिक विकास की भविष्यवाणी की है.
वहीं, शुक्रवार को नई दिल्ली में वर्ल्ड इकोनॉमिक सिचुएशन एंड प्रॉस्पेक्ट्स 2020 रिपोर्ट जारी करते हुए, यूएन ने कहा कि भारत में आर्थिक विकास 2020 में 6.6 प्रतिशत पर लौटने की उम्मीद है.
विश्व निकाय ने बताया कि ये जोखिम विकास की संभावनाओं पर गंभीर और लंबे समय तक चलने वाले नुकसान को बढ़ा सकते हैं.
पिछले हफ्ते विश्व बैंक ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट "ग्लोबल इकोनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्स" में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक गंभीर तस्वीर चित्रित की थी. जिसमें जीडीपी वृद्धि केवल 5 प्रतिशत थी और 2020-21 के लिए यह 5.8 प्रतिशत था.
विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा, "विकास के दृष्टिकोण से जोखिम नकारात्मक पक्ष पर झुके हुए हैं और मुख्य रूप से वित्तीय क्षेत्र की कमजोरियों, भू-राजनीतिक तनाव और सुधारों के लिए प्रगति की कमी से संबंधित हैं. यद्यपि भारत और पाकिस्तान के बीच हाल के तनाव समाप्त हो गए हैं.
साल 2020 की संयुक्त राष्ट्र की वृद्धि की भविष्यवाणी अभी भी 2018 में 6.8 प्रतिशत से कम है जो कि 2019 में 5.7 प्रतिशत तक गिर गई. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि सुस्त निवेश, उपभोक्ता भावना और कमजोर विनिर्माण और सेवाओं के विकास के कारण यह हाल हुआ है. रिपोर्ट में नीतिगत अनिश्चितता, ऋण संकट और वैश्विक मंदी के प्रभावों सहित अन्य महत्वपूर्ण कारकों का भी उल्लेख किया गया.
अपनी ओर से भारत सरकार ने राजकोषीय प्रोत्साहन उपायों जैसे कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती, सरकारी खर्च में वृद्धि और संघर्षरत ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए विस्तारित समर्थन सहित कई कदम उठाएं हैं.
भारतीय अर्थव्यवस्था का पूरे दक्षिण एशिया क्षेत्र पर महत्वपूर्ण प्रभाव है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में मंदी ने पूरे क्षेत्र में निर्यात वृद्धि को प्रभावित किया है, लेकिन अफगानिस्तान और नेपाल जैसे देशों पर विशेष रूप से गंभीर प्रभाव पड़ा है. जिनकी अर्थव्यवस्था भारत के साथ व्यापार पर बहुत अधिक निर्भर करती है.
(लेखक-संजीब कुमार बरुआ, वरिष्ठ पत्रकार)
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