नई दिल्ली : मधुमक्खीपालन विकास समिति की इस माह के अंत में प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति (ईएसी) के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक हो सकती है जिसमें मधुमक्खीपालन विकास के लिए सिफारिशों को अंतिम रूप दिया जायेगा. किसानों की आय वर्ष 2022 तक दोगुना करने के लक्ष्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण इन सिफारिशों बाद में प्रधानमंत्री के समक्ष प्रस्तत किया जाएगा.
मधुमक्खीपालन विकास समिति के सदस्य देवव्रत शर्मा ने पीटीआई-भाषा से कहा, "इस बैठक में मधुमक्खीपालन को बढ़ावा देने और किसानों के बीच इसे लोकप्रिय बनाने के कार्यक्रमों के संदर्भ में चर्चा की जायेगी." उन्होंने कहा, "इस बैठक में मधुमक्खीपालन के बारे में किसानों के बीच जागरुकता पैदा करने के लिए विभिन्न मंत्रालयों और सरकारी संस्थानों के कार्यक्रमों के बीच समन्वय स्थापित करने तथा उनके बीच इस बारे में जागरुकता पैदा करने के विभिन्न उपायों को सुझाया जायेगा."
उन्होंने बताया, "जिन इलाकों में मधुमक्खीपालन हो रहा है वहां फसलों की पैदावार में भी भारी वृद्धि हो रही है, क्योंकि अनाज उत्पादन बढ़ाने के लिहाज से 'पर-परागण' की है. परागण का लगभग 90 प्रतिशत काम मधुमक्खियां करती हैं."
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों की आय दोगुना करने की अपनी प्रतिबद्धता के तहत तमाम अन्य उपायों के अलावा मधुमक्खीपालन की भूमिका को गंभीरता से स्वीकार किया. उसके बाद ईएसी ने खुद के तहत 'बी-कीपिंग डेवलपमेंट कमेटी' का गठन किया, जिसके अध्यक्ष विवेक देबराय। शर्मा ने बताया कि प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी) के साथ साथ बीडीसी के भी सदस्य सचिव रतन पी वाटल ने देश भर का दौरा करके विभिन्न स्थानीय समस्याओं और संभावनाओं की जानकारी ली.
उन्होंने कहा कि ईएसी की बीडीसी के साथ होने वाली इस बैठक में प्रधानमंत्री के समक्ष पेश की जाने वाली सिफारिशें को अंतिम रूप दिया जायेगा. शर्मा ने बताया कि इन सिफारिशों को माने जाने से देश में प्रधानमंत्री के 'स्वीट रिवोल्युशन' का सपना पूरा होने के साथ किसानों की आय में भी भारी वृद्धि हो सकती है। उन्होंने कहा कि पहले मधुमक्खीपालन का काम सिर्फ शहद उत्पादन के संदर्भ में होता था, लेकिन अब किसानों को इस कारोबार से शहद के अलावा प्रोपोलिस, पोलन (परागकण), डंक, शाही जेली जैसे महंगे उत्पाद भी प्राप्त करने की जागरुकता बढ़ी है. जिन उत्पादों की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजारों में काफी महंगी है और इनके निर्यात से किसानों को भारी लाभ हो सकता है.
शर्मा ने बताया कि मौजूदा वक्त में देश से 40 हजार टन शहद का निर्यात होता है और राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड के अनुमान के अनुसार देश में सभी फसलों के पर परागण करने के लिए दो करोड़ 'बी-कॉलोनी' स्थापित किये जाने की आवश्यकता है. इससे छह लाख टन शहद के अलावा कई महंगे उत्पाद प्राप्त होंगे और दो लाख टन शहद का निर्यात भी किया जा सकेगा.
मौजूदा समय में देश में 30 लाख 'बी-कॉलोनी' हैं, जहां से 1.05 लाख टन शहद का उत्पादन हो रहा है. प्रस्तावित बैठक में ग्रामीण विकास, मानव संसाधन विकास, रेल मंत्रालय, खादी ग्रामोद्योग आयोग, बागवानी मिशन जैसे सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हो सकते हैं. इस बैठक में स्कूली पाठ्यक्रम के जरिये मधुमक्खीपालन के प्रति जागरूक पैदा करने तथा रेल एवं सड़क मार्गो पर मधुमक्खियों के अनुकूल पेड़ पौधे लगाने की सिफारिश किए जाने की उम्मीद है.
(भाषा)
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