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टाइम: आर्थिक सुधार के लिए नरेंद्र मोदी भारत की आशा, लेकिन वादे निभाने में फेल - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

टाइम मैगजीन ने अपने इस अंक में मोदी सरकार के पांच साल के कार्यकाल का लेखा-जोखा देते हुए कवर स्टोरी प्रकाशित की है. टाइम के इस इंटरनेशनल कवर, क्या दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र मोदी सरकार को आने वाले और पांच साल बर्दाश्त कर सकता है? और 'मोदी इज इंडियाज बेस्ट होप फॉर इकॉनोमिक रिफॉर्म' शीर्षक से दो लेख छापे हैं.

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Published : May 11, 2019, 12:44 AM IST

Updated : May 11, 2019, 2:42 PM IST

हैदराबाद: देश में लोकसभा चुनाव के अंतिम पड़ाव पर पहुंचने के बीच टाइम पत्रिका ने अपने अंतरराष्ट्रीय संस्करण के कवर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर के साथ एक विवादास्पद शीर्षक छापा है, लेकिन इसके नीचे ही एक अन्य शीर्षक में मोदी की प्रशंसा की गई है.

टाइम पत्रिका के एशिया संस्करण ने लोकसभा चुनाव 2019 और पिछले पांच सालों के दौरान मोदी सरकार के कामकाज पर विस्तृत खबर प्रकाशित की है. टाइम का नया इंटरनेशनल कवर, क्या दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र मोदी सरकार को आने वाले और पांच साल बर्दाश्त कर सकता है?" और 'मोदी इज इंडियाज बेस्ट होप फॉर इकॉनोमिक रिफॉर्म' शीर्षक से दो लेख छापा है.

ये भी पढ़ें- ट्रेड वार: अमेरिका ने चीनी उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाया, चीन ने दी जवाबी कार्रवाई की धमकी

टाइम मैगजीन ने अपने इस अंक में मोदी सरकार के 5 साल के कार्यकाल का लेखा-जोखा देते हुए कवर स्टोरी प्रकाशित की है. टाइम के 20 मई, 2019 का यह अंतरराष्ट्रीय संस्करण एशिया, यूरोप, मध्य पूर्व, अफ्रीका और दक्षिणी प्रशांत में भेजा जाएगा.

वादे निभाने में फेल हो गए पीएम मोदी
कवर स्टोरी में कहा गया है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने साल 2014 में लोगों के गुस्से के देखते हुए कई आर्थिक वादे किए थे. उन्होंने नौकरी और विकास की बात की थी. लेकिन कार्यकाल के अंत में अब ये विश्वास करना मुश्किल हो गया है कि वह उम्मीदों का चुनाव था. स्टोरी में लेखक तासीर ने कहा है कि मोदी की और से किए गए आर्थिक चमत्कार लाने के वादे फेल हो गए हैं.

गुरुमूर्ति ने ही कालेधन से लड़ने के लिए नोटबंदी का सुझाव दिया
टाइम ने लिखा है कि मोदी ने लगभग हर क्षेत्र में अपने मन मुताबिक फैसले लेने के लिए जाने जाते हैं. पीएम ने स्वामीनाथन गुरुमूर्ति को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में शामिल किया. गुरुमूर्ति के बारे में कोलंबिया के अर्थशास्त्री ने कहा था कि अगर गुरुमूर्ति अर्थशास्त्री हैं तो वे भरतनाट्यम डांसर. टाइम का कहना है कि गुरुमूर्ति ने ही कालेधन से लड़ने के लिए नोटबंदी का सुझाव दिया था.

नोटबंदी की मार से अबतक नहीं उबरा सका है भारत
टाइम ने लिखा है कि नोटबंदी की मार से भारत आज भी उबर नहीं सका है. पत्रिका का मानना है कि मोदी सत्ता में बने रहने के लिए राष्ट्रवाद को ही बेहतर विकल्प मानते हैं. इसीलिए आर्थिक विकास पर वह राष्ट्रवाद को तरजीह दे रहते हैं.

मोदी की आर्थिक नीतियों की प्रशंसा
वहीं, टाइम पत्रिका के इस अंक के एक दूसरे आलेख में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक नीतियों की खूब प्रशंसा की गई है. पत्रकार इयान ब्रेमर ने लिखा है कि मोदी जो आर्थिक सुधार के लिए भारत की आशा हैं. 'मोदी इज इंडियाज बेस्ट होप फॉर इकॉनोमिक रिफॉर्म' शीर्षक के लेख में लिखा है कि भारत को बदलाव की आवश्यकता है और मोदी अब भी वह व्यक्ति है जो ऐसा कर सकते हैं. उन्होंने चीन, अमेरिका और जापान के साथ संबंधों में सुधार किया है.

जीएसटी के फैसले को सराहा
पत्रकार इयान ब्रेमर ने जीएसटी लागू करने के लिए प्रधानमंत्री की सराहना की है. अपने लेख में उन्होंने लिखा कि नरेंद्र मोदी ने भारत की टैक्स प्रणाली को आसान और सहज किया है. मोदी के नेतृत्व में देश में नई सड़कों का निर्माण, हाईवे, पब्लिक ट्रांसपोर्ट और एयरपोर्ट की वजह से देश की आर्थिक रफ्तार तेजी हुई है. कई ऐसे गांवों में बिजली पहुंची हैं जहां कई सालों से अंधेरा था. नरेंद्र मोदी के ये काम आर्थिक विकास के लिए वरदान साबित हुए हैं.

पीएम मोदी ने लाए कई महत्वपूर्ण बदलाव
टाइम पत्रिका में इयान ब्रेमर ने अपने लेख के जरिए स्वच्छता अभियान, उज्जवला योजना, जनधन योजना, जीएसटी लागू करने के लिए मोदी की तारीफ की है. लेख में इस बात का भी जिक्र है कि भारत में बदलाव लाने के लिए जिन चीजों की जरूरत है उसके लिए पीएम मोदी फिट हैं. उन्होंने कहा कि उनके घरेलू विकास एजेंडे ने करोड़ों लोगों के जीवन में सुधार किया है.

हैदराबाद: देश में लोकसभा चुनाव के अंतिम पड़ाव पर पहुंचने के बीच टाइम पत्रिका ने अपने अंतरराष्ट्रीय संस्करण के कवर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर के साथ एक विवादास्पद शीर्षक छापा है, लेकिन इसके नीचे ही एक अन्य शीर्षक में मोदी की प्रशंसा की गई है.

टाइम पत्रिका के एशिया संस्करण ने लोकसभा चुनाव 2019 और पिछले पांच सालों के दौरान मोदी सरकार के कामकाज पर विस्तृत खबर प्रकाशित की है. टाइम का नया इंटरनेशनल कवर, क्या दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र मोदी सरकार को आने वाले और पांच साल बर्दाश्त कर सकता है?" और 'मोदी इज इंडियाज बेस्ट होप फॉर इकॉनोमिक रिफॉर्म' शीर्षक से दो लेख छापा है.

ये भी पढ़ें- ट्रेड वार: अमेरिका ने चीनी उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाया, चीन ने दी जवाबी कार्रवाई की धमकी

टाइम मैगजीन ने अपने इस अंक में मोदी सरकार के 5 साल के कार्यकाल का लेखा-जोखा देते हुए कवर स्टोरी प्रकाशित की है. टाइम के 20 मई, 2019 का यह अंतरराष्ट्रीय संस्करण एशिया, यूरोप, मध्य पूर्व, अफ्रीका और दक्षिणी प्रशांत में भेजा जाएगा.

वादे निभाने में फेल हो गए पीएम मोदी
कवर स्टोरी में कहा गया है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने साल 2014 में लोगों के गुस्से के देखते हुए कई आर्थिक वादे किए थे. उन्होंने नौकरी और विकास की बात की थी. लेकिन कार्यकाल के अंत में अब ये विश्वास करना मुश्किल हो गया है कि वह उम्मीदों का चुनाव था. स्टोरी में लेखक तासीर ने कहा है कि मोदी की और से किए गए आर्थिक चमत्कार लाने के वादे फेल हो गए हैं.

गुरुमूर्ति ने ही कालेधन से लड़ने के लिए नोटबंदी का सुझाव दिया
टाइम ने लिखा है कि मोदी ने लगभग हर क्षेत्र में अपने मन मुताबिक फैसले लेने के लिए जाने जाते हैं. पीएम ने स्वामीनाथन गुरुमूर्ति को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में शामिल किया. गुरुमूर्ति के बारे में कोलंबिया के अर्थशास्त्री ने कहा था कि अगर गुरुमूर्ति अर्थशास्त्री हैं तो वे भरतनाट्यम डांसर. टाइम का कहना है कि गुरुमूर्ति ने ही कालेधन से लड़ने के लिए नोटबंदी का सुझाव दिया था.

नोटबंदी की मार से अबतक नहीं उबरा सका है भारत
टाइम ने लिखा है कि नोटबंदी की मार से भारत आज भी उबर नहीं सका है. पत्रिका का मानना है कि मोदी सत्ता में बने रहने के लिए राष्ट्रवाद को ही बेहतर विकल्प मानते हैं. इसीलिए आर्थिक विकास पर वह राष्ट्रवाद को तरजीह दे रहते हैं.

मोदी की आर्थिक नीतियों की प्रशंसा
वहीं, टाइम पत्रिका के इस अंक के एक दूसरे आलेख में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक नीतियों की खूब प्रशंसा की गई है. पत्रकार इयान ब्रेमर ने लिखा है कि मोदी जो आर्थिक सुधार के लिए भारत की आशा हैं. 'मोदी इज इंडियाज बेस्ट होप फॉर इकॉनोमिक रिफॉर्म' शीर्षक के लेख में लिखा है कि भारत को बदलाव की आवश्यकता है और मोदी अब भी वह व्यक्ति है जो ऐसा कर सकते हैं. उन्होंने चीन, अमेरिका और जापान के साथ संबंधों में सुधार किया है.

जीएसटी के फैसले को सराहा
पत्रकार इयान ब्रेमर ने जीएसटी लागू करने के लिए प्रधानमंत्री की सराहना की है. अपने लेख में उन्होंने लिखा कि नरेंद्र मोदी ने भारत की टैक्स प्रणाली को आसान और सहज किया है. मोदी के नेतृत्व में देश में नई सड़कों का निर्माण, हाईवे, पब्लिक ट्रांसपोर्ट और एयरपोर्ट की वजह से देश की आर्थिक रफ्तार तेजी हुई है. कई ऐसे गांवों में बिजली पहुंची हैं जहां कई सालों से अंधेरा था. नरेंद्र मोदी के ये काम आर्थिक विकास के लिए वरदान साबित हुए हैं.

पीएम मोदी ने लाए कई महत्वपूर्ण बदलाव
टाइम पत्रिका में इयान ब्रेमर ने अपने लेख के जरिए स्वच्छता अभियान, उज्जवला योजना, जनधन योजना, जीएसटी लागू करने के लिए मोदी की तारीफ की है. लेख में इस बात का भी जिक्र है कि भारत में बदलाव लाने के लिए जिन चीजों की जरूरत है उसके लिए पीएम मोदी फिट हैं. उन्होंने कहा कि उनके घरेलू विकास एजेंडे ने करोड़ों लोगों के जीवन में सुधार किया है.

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टाइम: मोदी आर्थिक सुधार के लिए भारत के लिए आशा, लेकिन वादे निभाने में फेल 

हैदराबाद: देश में लोकसभा चुनाव के अंतिम पड़ाव पर पहुंचने के बीच टाइम पत्रिका ने अपने अंतरराष्ट्रीय संस्करण के कवर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर के साथ एक विवादास्पद शीर्षक छापा है, लेकिन इसके नीचे ही एक अन्य शीर्षक में मोदी की प्रशंसा की गई है.

टाइम पत्रिका के एशिया संस्करण ने लोकसभा चुनाव 2019 और पिछले पांच सालों के दौरान मोदी सरकार के कामकाज पर विस्तृत खबर प्रकाशित की है. टाइम का नया इंटरनेशनल कवर, क्या दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र मोदी सरकार को आने वाले और पांच साल बर्दाश्त कर सकता है?" और 'मोदी इज इंडियाज बेस्ट होप फॉर इकॉनोमिक रिफॉर्म' शीर्षक से दो लेख छापा है.

टाइम मैगजीन ने अपने इस अंक में मोदी सरकार के 5 साल के कार्यकाल का लेखा-जोखा देते हुए कवर स्टोरी प्रकाशित की है. टाइम का 20 मई, 2019 का यह अंतरराष्ट्रीय संस्करण यूरोप, मध्य पूर्व, अफ्रीका, एशिया और दक्षिणी प्रशांत में मुहैया करवाया जाता है.



वादे निभाने में फेल हो गए पीएम मोदी

कवर स्टोरी में कहा गया है कि नरेंद्र मोदी ने साल 2014 में लोगों के गुस्से के देखते हुए आर्थिक वादे किए. उन्होंने नौकरी और विकास की बात की. लेकिन अब ये विश्वास करना मुश्किल लगता है कि वह उम्मीदों का चुनाव था. आलेख में कहा गया है कि मोदी द्वारा आर्थिक चमत्कार लाने के वादे फेल हो गए. 

गुरुमूर्ति ने ही कालेधन से लड़ने के लिए नोटबंदी का सुझाव दिया

टाइम ने लिखा है कि मोदी ने लगभग हर क्षेत्र में अपने मन मुताबिक फैसले लिए. हिंदुत्व के प्रबल समर्थक स्वामीनाथन गुरुमूर्ति को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के बोर्ड में शामिल किया. उनके बारे में कोलंबिया के अर्थशास्त्री ने कहा था- अगर वह अर्थशास्त्री हैं तो मैं भरतनाट्यम डांसर. मैगजीन का कहना है कि गुरुमूर्ति ने ही कालेधन से लड़ने के लिए नोटबंदी का सुझाव दिया था. 



नोटबंदी की मार से अबतक नहीं उबरा भारत 

नोटबंदी की मार से भारत आज भी नहीं उबर सका है. मोदी को लगता है कि सत्ता में बने रहने के लिए राष्ट्रवाद ही बेहतर विकल्प है. इसीलिए आर्थिक विकास पर वह राष्ट्रवाद को तरजीह दे रहे हैं. 



मोदी की आर्थिक नीतियों की प्रशंसा

वहीं, टाइम पत्रिका के इस अंक के एक दूसरे आलेख में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक नीतियों की खूब प्रशंसा की गई है. पत्रकार इयान ब्रेमर ने लिखा है कि मोदी ही वो शख्स है जो भारत के लिए डिलीवर कर सकते हैं. 'मोदी इज इंडियाज बेस्ट होप फॉर इकॉनोमिक रिफॉर्म' शीर्षक के लेख में लिखा है कि भारत ने मोदी के नेतृत्व में चीन, अमेरिका और जापान से अपने रिश्ते तो सुधारे ही हैं, लेकिन उनकी घरेलू नीतियों की वजह से करोड़ों लोगों की जिंदगी में सुधार आया है. 



जीएसटी के फैसले को सराहा

पत्रकार इयान ब्रेमर ने जीएसटी लागू करने के लिए प्रधानमंत्री की सराहना की है. इसमें लिखा गया है कि नरेंद्र मोदी ने भारत की टैक्स प्रणाली को सरल और सहज किया है. नई सड़कों का निर्माण, हाईवे, पब्लिक ट्रांसपोर्ट और एयरपोर्ट ने देश की दीर्घकालीन आर्थिक संभावनाओं में आशा का संचार कर दिया है. कई ऐसे गांवों में बिजली पहुंची हैं जहां 70 सालों से अंधेरा था. नरेंद्र मोदी ये काम आर्थिक विकास के लिए वरदान साबित हुए हैं.



पीएम मोदी ने लाए कई महत्वपूर्ण बदलाव

टाइम पत्रिका में इयान ब्रेमर ने अपने लेख के जरिए उज्जवला योजना, स्वच्छता अभियान, जीएसटी, जनधन योजना लागू करने के लिए पीएम की तारीफ की है. लेख में इस बात का भी जिक्र है कि भारत में बदलाव लाने के लिए जिन चीजों की जरूरत है उसके लिए पीएम मोदी फिट हैं. उन्होंने कहा कि उनके घरेलू विकास एजेंडे ने करोड़ों लोगों के जीवन में सुधार किया है.





 


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Last Updated : May 11, 2019, 2:42 PM IST
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