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प. बंगाल के वित्त मंत्री ने कहा- एक्ट ऑफ फ्रॉड है केंद्र सरकार का राज्यों को कर्ज लेने का सुझाव देना - एक्ट ऑफ फ्रॉड है केंद्र सरकार का राज्यों को कर्ज लेने का सुझाव देना

पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री ने कहा, "ऐसे में यह दैवीय घटना है या फिर धोखाधड़ी." मित्रा ने कहा कि सीतारमण ने कोविड-19 महामारी से पहले 14 मार्च को कहा था कि राज्यों को क्षतिपूर्ति करने के लिये केंद्र बाध्य हैं उन्होंने कहा, "अब वे इसके उलट कह रही हैं. यह पूरी तरह से चालबाजी है."

प. बंगाल के वित्त मंत्री ने कहा- एक्ट ऑफ फ्रॉड है केंद्र सरकार का राज्यों को कर्ज लेने का सुझाव देना
प. बंगाल के वित्त मंत्री ने कहा- एक्ट ऑफ फ्रॉड है केंद्र सरकार का राज्यों को कर्ज लेने का सुझाव देना
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Published : Aug 30, 2020, 7:55 PM IST

कोलकाता: पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने रविवार को कहा कि राज्यों को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) से राजस्व में कमी को पूरा करने के लिये केंद्र का राज्यों को कर्ज लेने का सुझाव हमें स्वीकार्य नहीं है क्योंकि इससे प्रदेश की वित्तीय सेहत को नुकसान पहुंचेगा और दूसरी तरफ केंद्र के पास शक्तियां बढ़ेंगी.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 27 अगस्त को जीएसटी परिषद की 41वीं बैठक में कहा था कि कोविड-19 महामारी दैवीय घटना है जिससे जीएसटी संग्रह पर असर पड़ा है. उन्होंने इसका हवाला देते हुए राज्यों को केंद्र के संसाधनों से क्षतिपूर्ति के भुगतान से इनकार किया.

ये भी पढ़ें- कोविड-19: उपभोक्ता अब लक्जरी की जगह जरूरी चीजों को तरजीह दे रहे हैं

मित्रा ने कहा कि दैवीय घटना के नाम पर राज्यों पर बड़े कर्ज का बोझ डाला जा रहा है जिससे उनकी वित्तीय सेहत पर बुरा असर पड़ेगा और दूसरी तरफ केंद्र के पास असीम शक्तियां बढ़ेंगी जिससे संघवाद समाप्त हो जाएगा."

उन्होंने डिजिटल तरीके से आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा, "हमें यह बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है." उन्होंने दावा किया कि कुछ भाजपा शसित राज्यों समेत 15 बड़े प्रदेशों ने सीतारमण के सुझाव पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि राज्यों के बजाय केंद्र को कर्ज लेना चाहिए.

मित्रा ने कहा कि जीएसटी नेटवर्क के संस्थापक नंदन निलेकणि ने पूर्व में जीएसटी परिषद के समक्ष एक बयान में कहा था कि धोखाधड़ी वाले लेन-देन के जरिये 70,000 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान हुआ है.

पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री ने कहा, "ऐसे में यह दैवीय घटना है या फिर धोखाधड़ी." मित्रा ने कहा कि सीतारमण ने कोविड-19 महामारी से पहले 14 मार्च को कहा था कि राज्यों को क्षतिपूर्ति करने के लिये केंद्र बाध्य हैं उन्होंने कहा, "अब वे इसके उलट कह रही हैं. यह पूरी तरह से चालबाजी है."

मित्रा ने कहा कि अगर राज्य कर्ज लेते हैं, इससे बांड के रिटर्न पर फर्क पड़ेगा. उन्होंने सवालिया लहजे में पूछा, "केंद्र सीधे क्यों नहीं कर्ज ले रहा? केंद्र नोटों की छपाई कर अधिक मात्रा में रुपये को चलन में लाकर कर्ज की भरपाई कर सकता है जबकि राज्य ऐसा नहीं कर सकते."

मित्रा ने कहा कि आरबीआई ने भी कहा था कि केंद्र सरकार विशेष उपाय के तहत सीधे शीर्ष बैंक से कर्ज ले सकती है. केंद्र ने चालू वित्त वर्ष में राज्यों के राजस्व में कमी की भरपाई के लिये 3 लाख करोड़ रुपये की जरूरत का आकलन किया है. इसमें से 65,000 करोड़ रुपये उपकर के जरिये आएंगे.

आकलन के अनुसार कुल 2.35 लाख रुपये की कमी में से जीएसटी के क्रियान्वयन के कारण नुकसान 97,000 करोड़ रुपये है और शेष का कारण कोविड-19 है. केंद्र ने राज्यों को दो विकल्प दिये हैं. वे या तो पूरी राशि 2.35 लाख करोड़ रुपये कर्ज ले सकते हैं या फिर 97,000 करोड़ रुपये. वे ये कर्ज रिजर्व बैंक में किये गये विशेष उपाय के जरिये ले सकते हैं.

मित्रा ने कहा कि राजकोषीय जवाबदेही और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) सीमा में छूट नहीं दी गयी है और इस प्रकार केंद्र के उलट राज्यों के पास कर्ज लेने की गुजांइश नहीं है. उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल के पास 15,000 करोड़ रुपये की राजस्व कमी है और उसकी एफआरबीएम सीमा समाप्त हो चुकी है. मित्रा ने कह, "हम उम्मीद करते हैं कि जल्दी ही इस मामले में सामूहिक निर्णय किया जाएगा. हम केंद्र से मामले में और स्पष्टता की मांग करते हैं."

(पीटीआई-भाषा)

कोलकाता: पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने रविवार को कहा कि राज्यों को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) से राजस्व में कमी को पूरा करने के लिये केंद्र का राज्यों को कर्ज लेने का सुझाव हमें स्वीकार्य नहीं है क्योंकि इससे प्रदेश की वित्तीय सेहत को नुकसान पहुंचेगा और दूसरी तरफ केंद्र के पास शक्तियां बढ़ेंगी.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 27 अगस्त को जीएसटी परिषद की 41वीं बैठक में कहा था कि कोविड-19 महामारी दैवीय घटना है जिससे जीएसटी संग्रह पर असर पड़ा है. उन्होंने इसका हवाला देते हुए राज्यों को केंद्र के संसाधनों से क्षतिपूर्ति के भुगतान से इनकार किया.

ये भी पढ़ें- कोविड-19: उपभोक्ता अब लक्जरी की जगह जरूरी चीजों को तरजीह दे रहे हैं

मित्रा ने कहा कि दैवीय घटना के नाम पर राज्यों पर बड़े कर्ज का बोझ डाला जा रहा है जिससे उनकी वित्तीय सेहत पर बुरा असर पड़ेगा और दूसरी तरफ केंद्र के पास असीम शक्तियां बढ़ेंगी जिससे संघवाद समाप्त हो जाएगा."

उन्होंने डिजिटल तरीके से आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा, "हमें यह बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है." उन्होंने दावा किया कि कुछ भाजपा शसित राज्यों समेत 15 बड़े प्रदेशों ने सीतारमण के सुझाव पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि राज्यों के बजाय केंद्र को कर्ज लेना चाहिए.

मित्रा ने कहा कि जीएसटी नेटवर्क के संस्थापक नंदन निलेकणि ने पूर्व में जीएसटी परिषद के समक्ष एक बयान में कहा था कि धोखाधड़ी वाले लेन-देन के जरिये 70,000 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान हुआ है.

पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री ने कहा, "ऐसे में यह दैवीय घटना है या फिर धोखाधड़ी." मित्रा ने कहा कि सीतारमण ने कोविड-19 महामारी से पहले 14 मार्च को कहा था कि राज्यों को क्षतिपूर्ति करने के लिये केंद्र बाध्य हैं उन्होंने कहा, "अब वे इसके उलट कह रही हैं. यह पूरी तरह से चालबाजी है."

मित्रा ने कहा कि अगर राज्य कर्ज लेते हैं, इससे बांड के रिटर्न पर फर्क पड़ेगा. उन्होंने सवालिया लहजे में पूछा, "केंद्र सीधे क्यों नहीं कर्ज ले रहा? केंद्र नोटों की छपाई कर अधिक मात्रा में रुपये को चलन में लाकर कर्ज की भरपाई कर सकता है जबकि राज्य ऐसा नहीं कर सकते."

मित्रा ने कहा कि आरबीआई ने भी कहा था कि केंद्र सरकार विशेष उपाय के तहत सीधे शीर्ष बैंक से कर्ज ले सकती है. केंद्र ने चालू वित्त वर्ष में राज्यों के राजस्व में कमी की भरपाई के लिये 3 लाख करोड़ रुपये की जरूरत का आकलन किया है. इसमें से 65,000 करोड़ रुपये उपकर के जरिये आएंगे.

आकलन के अनुसार कुल 2.35 लाख रुपये की कमी में से जीएसटी के क्रियान्वयन के कारण नुकसान 97,000 करोड़ रुपये है और शेष का कारण कोविड-19 है. केंद्र ने राज्यों को दो विकल्प दिये हैं. वे या तो पूरी राशि 2.35 लाख करोड़ रुपये कर्ज ले सकते हैं या फिर 97,000 करोड़ रुपये. वे ये कर्ज रिजर्व बैंक में किये गये विशेष उपाय के जरिये ले सकते हैं.

मित्रा ने कहा कि राजकोषीय जवाबदेही और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) सीमा में छूट नहीं दी गयी है और इस प्रकार केंद्र के उलट राज्यों के पास कर्ज लेने की गुजांइश नहीं है. उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल के पास 15,000 करोड़ रुपये की राजस्व कमी है और उसकी एफआरबीएम सीमा समाप्त हो चुकी है. मित्रा ने कह, "हम उम्मीद करते हैं कि जल्दी ही इस मामले में सामूहिक निर्णय किया जाएगा. हम केंद्र से मामले में और स्पष्टता की मांग करते हैं."

(पीटीआई-भाषा)

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