नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर व्यवस्था में सुधारों को आगे बढ़ाते हुए बृहस्पतिवार को पारदर्शी कराधान - ईमानदार का सम्मान मंच की शुरूआत करते हुये देशवासियों से स्वप्रेरणा से आगे आकर कर भुगतान का आह्वान किया.
प्रधानमंत्री ने कहा, "इस मंच में करदाताओं और अधिकारियों के बीच बिना आमना सामना (फेसलेस) आकलन, अपील करने और करदाता चार्टर जैसे बड़े सुधारों को आगे बढ़ाया गया है. फेसलेस आकलन और करदाता चार्टर आज से लागू हो गये हैं जबकि फेसलेस अपील की सुविधा 25 सितंबर यानी दीन दयाल उपाध्याय जी के जन्मदिन से देशभर में नागरिकों के लिए उपलब्ध हो जाएगी."
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उन्होंने कहा कि करदाता के लिये कर देना या सरकार के लिये कर लेना, ये कोई हक का अधिकार का विषय नहीं है, बल्कि ये दोनों का दायित्व है. वीडियो कांफ्रेंन्सिंग के जरिये पारदर्शी कराधान- ईमानदार का सम्मान मंच की शुरूआत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते 6-7 साल में आयकर रिटर्न भरने वालों की संख्या में करीब ढाई करोड़ की वृद्धि हुई है. लेकिन ये भी सही है कि 130 करोड़ के देश में ये अभी भी बहुत कम है. इतने बड़े देश में सिर्फ डेढ़ करोड़ साथी ही इन्कम टैक्स जमा करते हैं."
प्रधानमंत्री ने इस बदलाव के चार कारक गिनाए जिनमें से पहला कारक पॉलिसी ड्रिवेन गवर्नेंस बताया. उन्होंने कहा कि जब पॉलिसी स्पष्ट होती है तो ग्रे एरिया कम से कम हो जाते हैं और इस तरह व्यापार में डिस्क्रीशन की गुंजाशन कम हो जाती है. दूसरा कारक उन्होंने सामान्य जन की ईमानदारी पर विश्वास, तीसरा सरकारी सिस्टम में ह्यूमेन इंटरफेस को सीमित करके टेक्नॉलॉजी का व्यापक स्तर पर उपयोग और चौथा सरकारी मशीनरी बताया. उन्होंने कहा कि नौकरशाही में दक्षता, निष्ठा और संवदेनशीलता जैसे गुणों को पुरस्कृत किया जा रहा है.
फेसलेस असेसमेंट, फेसलेस अपीयरेंस
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारतीय कर प्रणाली को एक संरचनात्मक सुधार की आवश्यकता है क्योंकि यह औपनिवेशिक काल के दौरान कल्पना की गई थी और स्वतंत्रता के बाद कुछ परिवर्तनों के बावजूद, यह औपनिवेशिक बनी रही.
उन्होंने कहा कि नई कर प्रणाली पीड़ारहित, निर्बाध और फेसलेस होगी जहां एक करदाता और एक आकलन अधिकारी एक ही शहर में आधारित नहीं होंगे.
इसी तरह नई प्रणाली के तहत अपीलीय अधिकारी भी विभिन्न शहरों में आधारित होंगे. जिन्हें भ्रष्टाचार और उत्पीड़न के दायरे को कम करने के लिए कंप्यूटर प्रोग्राम के माध्यम से यादृच्छिक रूप से सौंपा जाएगा.
अपनी खुद की शक्तियों पर अंकुश लगाने के लिए आयकर अधिकारियों की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह हस्तांतरण और पोस्टिंग के लिए आयकर विभाग में लॉबिंग को समाप्त कर देगा.
कर जांच मामलों में भारी गिरावट दर्ज
प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते छह साल में देश में कर प्रशासन में संचालन का एक नया मॉडल विकसित होते देखा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "देशवासियों पर भरोसा, इस सोच का प्रभाव कैसे जमीन पर नजर आता है, ये समझना भी बहुत जरूरी है. वर्ष 2012-13 में जितने रिटर्न दाखिल होते थे, उसमें से 0.94 प्रतिशत की स्क्रूटनी होती थी. वर्ष 2018-19 में ये आंकड़ा घटकर 0.26 प्रतिशत पर आ गया है. यानि कर मामलों की स्क्रूटनी, करीब-करीब 4 गुना कम हुई है. कर रिटर्न की स्क्रूटनी का 4 गुना कम होना, अपने आप में बता रहा है कि बदलाव कितना व्यापक है."
करदाता आधार का छोटा आकार चिंता का कारण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से अपील की कि वे स्वेच्छा से करों का भुगतान करने के लिए आगे आएं क्योंकि उनका उपयोग राष्ट्र निर्माण में किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि हालांकि आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है क्योंकि पिछले छह-सात वर्षों में 2.5 करोड़ नए आयकर रिटर्न फाइलर प्रणाली में शामिल हुए हैं.
हालांकि, उन्होंने देश में आयकरदाताओं की न्यूनतम संख्या के बारे में चिंता व्यक्त की क्योंकि केवल 1.5 बिलियन लोग 1.3 बिलियन से अधिक लोगों की आबादी में आयकर का भुगतान करते हैं.
(ईटीवी भारत रिपोर्ट)