मुंबई: सरकार का कर संग्रह उसके तय लक्ष्य से काफी पीछे चल रहा है. चालू वित्त वर्ष की अप्रैल से 17 सितंबर की अवधि में सरकार का प्रत्यक्ष कर संग्रह 4.7 प्रतिशत बढ़कर 5.50 लाख करोड़ रुपये रहा है जो इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 5.25 लाख करोड़ रुपये रहा था.
हालांकि, पूरे वित्त वर्ष के लिये सरकार ने कर संग्रह में 17.5 प्रतिशत वृद्धि का लक्ष्य रखा है. कर संग्रह उम्मीद से कम रहने की वजह मांग में गिरावट और कुल वृद्धि में कमी है. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर घटकर पांच प्रतिशत पर आ गई है जो इसका छह साल का निचला स्तर है.
कर विभाग के सूत्रों ने बताया कि 5.50 लाख करोड़ रुपये के कर संग्रह में से अग्रिम कर संग्रह 7.3 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 2.20 लाख करोड़ रुपये रहा है जो इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 2.05 लाख करोड़ रुपये रहा था. उल्लेखनीय है कि बजट में पूरे वित्त वर्ष के लिए प्रत्यक्ष कर संग्रह में 17.5 प्रतिशत और अप्रत्यक्ष कर के लिए 15 प्रतिशत वृद्धि का लक्ष्य रखा गया है.
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एक वरिष्ठ कर अधिकारी ने पीटीआई-भाषा से कहा, "आज की तारीख तक कुल कर संग्रह 5.5 लाख करोड़ रुपये रहा है जो इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 5.25 लाख करोड़ रुपये था. शुद्ध कर संग्रह 4.5 लाख करोड़ रुपये रहा है जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 4.25 लाख करोड़ रुपये रहा था.
इस दौरान सरकार का राजकोषीय घाटा उसके पूरे वर्ष के बजट अनुमान का 77 प्रतिशत से आगे निकल चुका है. जुलाई में यह 5,47,605 करोड़ रुपये पर पहुंच गया जबकि पूरे वर्ष के लिये बजट में 7,03,760 करोड़ रुपये रखा गया है.