नई दिल्ली: मोदी सरकार ने गन्ना किसानों के हित में एक बड़ी घोषणा करते हुए चीनी के निर्यात पर 10.45 रुपये प्रति किलो अनुदान का प्रावधान किया है. आर्थिक मामलों पर कैबिनेट कमिटी की बैठक में ये फैसला लिया गया है. इस पैकेज पर सरकार को 6268 करोड़ रुपये का खर्च आएगा.
कृषि और किसान संगठनों ने सरकार के इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा है कि सरकार को अब ये भी सुनिश्चित करना चाहिये कि चीनी मिलों को निर्यात के बाद जो आमदनी होगी उससे वो किसानों का बकाया सबसे पहले भुगतान करें.
गौरतलब है कि देश भर में गन्ना किसानों की चीनी मिलों पर कुल बकाया राशि 17500 करोड़ रुपये से ज्यादा है, जिसमें से 10,000 करोड़ रुपये के आस पास की राशी तो केवल उत्तर प्रदेश के किसानों की है.
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए किसान शक्ति संघ के अध्यक्ष चौधरी पुष्पेन्द्र सिंह ने सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि ये किसानों के हित में लिया गया फैसला है.
किसान नेता ने कहा कि इस निर्णय के बाद कुल साठ लाख टन का निर्यात अक्टूबर माह से शुरू हो पाएगा जिससे कि गन्ना किसानों को सीधे सीधे लाभ मिलेगा. इस निर्णय से चीनी मिलों को अतिरिक्त स्टॉक को कम करने में भी मदद मिलेगी.
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किसान शक्ति संघ के अध्यक्ष ने साथ ही ये भी मांग रखी है कि चीनी निर्यात से होने वाली अतिरिक्त आमदनी को चीनी मिल किसानों की बकाया राशी का भुगतान करने के लिए खर्च करे.
इसी मामले पर बातचीत करते हुए इंडियन कॉउन्सिल फॉर फूड एंड एग्रीकल्चर के चेयरमैन एम जे खान ने भी सरकार के इस कदम की सराहना की.
उन्होंने बताया कि रिकॉर्ड उत्पाद की वजह से लगातार अतिरिक्त स्टॉक बढ़ता जा रहा है जिसकी वजह से चीनी के उठाव की गति धीमी होती है और किसानों को कम कीमत पर गन्ना बेचना पड़ता है. निर्यात बढ़ाने से और उस पर सब्सिडी देने से किसानों को इसका लाभ मिलेगा. इसके साथ ही आइसीएफए के चेयरमैन ने कहा कि गन्ने की कीमत भी बढ़ाई जानी चाहिये.