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इस साल राज्यों का कर्ज बढ़कर 68 लाख करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान: रिपोर्ट

क्रिसिल की मंगलवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में राज्यों की आय में 15 प्रतिशत की गिरावट आयी है. जबकि उनकी उधारी 36 प्रतिशत बढ़कर 68 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है जो दशक का उच्च स्तर है.

इस साल राज्यों का कर्ज बढ़कर 68 लाख करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान: रिपोर्ट
इस साल राज्यों का कर्ज बढ़कर 68 लाख करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान: रिपोर्ट
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Published : Dec 1, 2020, 7:39 PM IST

मुंबई: कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन के चलते राजस्व संग्रह कमी का सामना कर रहे राज्यों की उधारी चालू वित्त वर्ष में रिकॉर्ड 36 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 68 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की संभावना है.

क्रिसिल की मंगलवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में राज्यों की आय में 15 प्रतिशत की गिरावट आयी है. जबकि उनकी उधारी 36 प्रतिशत बढ़कर 68 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है जो दशक का उच्च स्तर है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे राज्यों का आर्थिक प्रदर्शन करीब दो-चार प्रतिशत गिर सकता है. राज्यों के राजस्व में गिरावट की मुख्य वजह माल एवं सेवाकर (जीएसटी) संग्रह में कमी होना और लॉकडाउन के बाद खर्च में वृद्धि होना है.

ये भी पढ़ें: नवंबर में डीजल की बिक्री सात प्रतिशत गिरी, पेट्रोल की बिक्री पांच प्रतिशत बढ़ी

क्रिसिल की यह रिपोर्ट देश के शीर्ष 18 राज्यों के वित्तीय हालात पर आधारित है. इसमें दिल्ली और गोवा भी शामिल हैं. ये सभी राज्य मिलकर सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का करीब 90 प्रतिशत हिस्सा रखते हैं.

रिपोर्ट में राज्यों का राजस्व घाटा चालू वित्त वर्ष में छह प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है जो पिछले साल के 1.5 प्रतिशत से कम है. वहीं राज्यों का सकल राजकोषीय घाटा बढ़कर 8.7 प्रतिशत पहुंचने का अनुमान है जो 2019-20 में 5.3 प्रतिशत था.

इसके अलावा उनका कर्ज पिछले साल के 58 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 68 लाख करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान भी रिपोर्ट में जताया गया है.

(पीटीआई-भाषा)

मुंबई: कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन के चलते राजस्व संग्रह कमी का सामना कर रहे राज्यों की उधारी चालू वित्त वर्ष में रिकॉर्ड 36 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 68 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की संभावना है.

क्रिसिल की मंगलवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में राज्यों की आय में 15 प्रतिशत की गिरावट आयी है. जबकि उनकी उधारी 36 प्रतिशत बढ़कर 68 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है जो दशक का उच्च स्तर है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे राज्यों का आर्थिक प्रदर्शन करीब दो-चार प्रतिशत गिर सकता है. राज्यों के राजस्व में गिरावट की मुख्य वजह माल एवं सेवाकर (जीएसटी) संग्रह में कमी होना और लॉकडाउन के बाद खर्च में वृद्धि होना है.

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क्रिसिल की यह रिपोर्ट देश के शीर्ष 18 राज्यों के वित्तीय हालात पर आधारित है. इसमें दिल्ली और गोवा भी शामिल हैं. ये सभी राज्य मिलकर सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का करीब 90 प्रतिशत हिस्सा रखते हैं.

रिपोर्ट में राज्यों का राजस्व घाटा चालू वित्त वर्ष में छह प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है जो पिछले साल के 1.5 प्रतिशत से कम है. वहीं राज्यों का सकल राजकोषीय घाटा बढ़कर 8.7 प्रतिशत पहुंचने का अनुमान है जो 2019-20 में 5.3 प्रतिशत था.

इसके अलावा उनका कर्ज पिछले साल के 58 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 68 लाख करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान भी रिपोर्ट में जताया गया है.

(पीटीआई-भाषा)

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