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धीमी पड़ती आर्थिक वृद्धि को देखते हुये रेपो दर में एक और कटौती की गई: एमपीसी ब्योरा

दास की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति ने जनवरी के बाद से लगातार पांचवीं बार नीतिगत दरों में कटौती की है. इस तरह उस समय से अब तक रेपो दर को 1.35 प्रतिशत घटाया जा चुका है. बैठक के ब्योरे के अनुसार दास ने कहा कि कुल घरेलू मांग में उल्लेखनीय कमी आई है. साथ ही निजी उपभोग भी कम हुआ है. यह चिंता की बात है.

धीमी पड़ती आर्थिक वृद्धि को देखते हुये रेपो दर में एक और कटौती की गई: एमपीसी ब्योरा
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Published : Oct 18, 2019, 9:48 PM IST

मुंबई: अर्थव्यवस्था में सुस्ती तथा निजी निवेश में कमी को देखते हुये रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकान्त दास ने इस महीने की गई मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दरों में 0.25 प्रतिशत और कटौती करने का फैसला किया. मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक का ब्योरा शुक्रवार को जारी किया गया. इसमें यह जानकारी सामने आई है.

दास की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति ने जनवरी के बाद से लगातार पांचवीं बार नीतिगत दरों में कटौती की है. इस तरह उस समय से अब तक रेपो दर को 1.35 प्रतिशत घटाया जा चुका है. बैठक के ब्योरे के अनुसार दास ने कहा कि कुल घरेलू मांग में उल्लेखनीय कमी आई है. साथ ही निजी उपभोग भी कम हुआ है. यह चिंता की बात है.

एमपीसी की बैठक चार अक्टूबर को संपन्न हुई थी. बैठक के ब्योरे में कहा गया है कि निजी निवेश भी कम हो रहा है. कॉरपोरेट क्षेत्र नया निवेश करने से कतरा रहा है. हालांकि, विनिर्माण क्षेत्र की क्षमता का इस्तेमाल हालिया समय में दीर्घावधि के औसत के करीब पहुंच गया है.

ये भी पढ़ें: मैग्नीफिसेंट एमपी: सीएम कमलनाथ ने कहा- मध्य प्रदेश को उद्योग हब बनाने का है लक्ष्य

गवर्नर ने कहा कि सरकार ने भी हाल के महीनों में कई कदम उठाए हैं. सरकार के कदमों तथा रिजर्व बैंक द्वारा मौद्रिक रुख को नरम करने से धीरे-धीरे अर्थव्यवस्था में सुधार होगा. दास ने कहा कि इसके साथ ही अर्थव्यवस्था में लगातार जारी सुस्ती से निपटने को निजी उपभोग और निवेश को बेहतर करने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति का परिदृश्य अनुकूल है. मुख्य मुद्रास्फीति के 2019-20 की शेष अवधि और 2020-21 की पहली तिमाही में तय लक्ष्य से नीचे रहने की संभावना है. ऐसे में वृद्धि की चिंता को दूर करने के लिए नीतिगत मोर्चे पर गुंजाइश बनती है.

गवर्नर ने कहा, "ऐसे में मैं रेपो दर में 0.25 प्रतिशत कटौती के पक्ष में मतदान करता हूं."

मुंबई: अर्थव्यवस्था में सुस्ती तथा निजी निवेश में कमी को देखते हुये रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकान्त दास ने इस महीने की गई मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दरों में 0.25 प्रतिशत और कटौती करने का फैसला किया. मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक का ब्योरा शुक्रवार को जारी किया गया. इसमें यह जानकारी सामने आई है.

दास की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति ने जनवरी के बाद से लगातार पांचवीं बार नीतिगत दरों में कटौती की है. इस तरह उस समय से अब तक रेपो दर को 1.35 प्रतिशत घटाया जा चुका है. बैठक के ब्योरे के अनुसार दास ने कहा कि कुल घरेलू मांग में उल्लेखनीय कमी आई है. साथ ही निजी उपभोग भी कम हुआ है. यह चिंता की बात है.

एमपीसी की बैठक चार अक्टूबर को संपन्न हुई थी. बैठक के ब्योरे में कहा गया है कि निजी निवेश भी कम हो रहा है. कॉरपोरेट क्षेत्र नया निवेश करने से कतरा रहा है. हालांकि, विनिर्माण क्षेत्र की क्षमता का इस्तेमाल हालिया समय में दीर्घावधि के औसत के करीब पहुंच गया है.

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गवर्नर ने कहा कि सरकार ने भी हाल के महीनों में कई कदम उठाए हैं. सरकार के कदमों तथा रिजर्व बैंक द्वारा मौद्रिक रुख को नरम करने से धीरे-धीरे अर्थव्यवस्था में सुधार होगा. दास ने कहा कि इसके साथ ही अर्थव्यवस्था में लगातार जारी सुस्ती से निपटने को निजी उपभोग और निवेश को बेहतर करने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति का परिदृश्य अनुकूल है. मुख्य मुद्रास्फीति के 2019-20 की शेष अवधि और 2020-21 की पहली तिमाही में तय लक्ष्य से नीचे रहने की संभावना है. ऐसे में वृद्धि की चिंता को दूर करने के लिए नीतिगत मोर्चे पर गुंजाइश बनती है.

गवर्नर ने कहा, "ऐसे में मैं रेपो दर में 0.25 प्रतिशत कटौती के पक्ष में मतदान करता हूं."

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मुंबई: अर्थव्यवस्था में सुस्ती तथा निजी निवेश में कमी को देखते हुये रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकान्त दास ने इस महीने की गई मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दरों में 0.25 प्रतिशत और कटौती करने का फैसला किया. मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक का ब्योरा शुक्रवार को जारी किया गया. इसमें यह जानकारी सामने आई है.

दास की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति ने जनवरी के बाद से लगातार पांचवीं बार नीतिगत दरों में कटौती की है. इस तरह उस समय से अब तक रेपो दर को 1.35 प्रतिशत घटाया जा चुका है. बैठक के ब्योरे के अनुसार दास ने कहा कि कुल घरेलू मांग में उल्लेखनीय कमी आई है. साथ ही निजी उपभोग भी कम हुआ है. यह चिंता की बात है.

एमपीसी की बैठक चार अक्टूबर को संपन्न हुई थी. बैठक के ब्योरे में कहा गया है कि निजी निवेश भी कम हो रहा है. कॉरपोरेट क्षेत्र नया निवेश करने से कतरा रहा है. हालांकि, विनिर्माण क्षेत्र की क्षमता का इस्तेमाल हालिया समय में दीर्घावधि के औसत के करीब पहुंच गया है.

गवर्नर ने कहा कि सरकार ने भी हाल के महीनों में कई कदम उठाए हैं. सरकार के कदमों तथा रिजर्व बैंक द्वारा मौद्रिक रुख को नरम करने से धीरे-धीरे अर्थव्यवस्था में सुधार होगा. दास ने कहा कि इसके साथ ही अर्थव्यवस्था में लगातार जारी सुस्ती से निपटने को निजी उपभोग और निवेश को बेहतर करने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति का परिदृश्य अनुकूल है. मुख्य मुद्रास्फीति के 2019-20 की शेष अवधि और 2020-21 की पहली तिमाही में तय लक्ष्य से नीचे रहने की संभावना है. ऐसे में वृद्धि की चिंता को दूर करने के लिए नीतिगत मोर्चे पर गुंजाइश बनती है.

गवर्नर ने कहा, "ऐसे में मैं रेपो दर में 0.25 प्रतिशत कटौती के पक्ष में मतदान करता हूं."

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