मुंबई: चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति की औसतन दर चार प्रतिशत के आसपास बनी रह सकती है. हालांकि अगस्त और सितंबर में जरूरत से ज्यादा बारिश होने के चलते खाद्य और सब्जी-फलों की कीमतों में तेजी रहने की संभावना है. भारतीय स्टेट बैंक की एक शोध रिपोर्ट में यह बात कही गयी है.
अक्टूबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति 4.62 प्रतिशत तक चली गयी. इसकी प्रमुख वजह खाद्य कीमतों में तेजी रहना रही. यह पिछले 16 माह का खुदरा मुद्रास्फीति का सबसे उच्च स्तर है.
राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक राज्यों में 2019 में जरूरत से ज्यादा बारिश हुई और इसके चलते कई इलाके भीषण बाढ़ की चपेट में रहे. अगस्त-सितंबर में हुई अधिशेष बारिश से खरीफ की कई फसलें बुरी तरह प्रभावित हुई हैं.
एसबीआई की शोध रिपोर्ट इकोरैप में कहा गया है, "खाद्यान्न और सब्जियों की कीमतों के ऊंचे रहने से नवंबर में भी खुदरा मुद्रास्फीति दर ऊंची रह सकती है. इसकी एक और वजह 2018 में मुद्रास्फीति दर का कम रहना भी है. हमें उम्मीद है कि 2019-20 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति औसतन चार प्रतिशत पर रह सकती है."
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भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी चौथी मौद्रिक नीति समीक्षा रिपोर्ट अक्टूबर में पेश की थी. इसमें रिजर्व बैंक ने 2019-20 की दूसरी छमाही में खुदरा मुद्रास्फीति 3.5 से 3.7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था. जबकि 2020-21 की पहली छमाही में इसके 3.6 प्रतिशत रहने की संभावना जाहिर की थी.
रिपोर्ट के अनुसार आरबीआई दिसंबर में मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में कटौती कर सकता है. हालांकि उसके बाद मुद्रास्फीति की चिंता के कारण नीतिगत दर में कटौती पर रोक लगा सकती है.