नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने शुक्रवार को कहा कि भारत को राजकोषीय घाटा को सीमित करने के अपने लक्ष्य पर टिके रहने की जरूरत है. इसके लिये व्यय को युक्तिसंगत बनाने और राजस्व संग्रह बढ़ाने की जरूरत है. उद्योग मंडल फिक्की के 92वें सालाना सम्मेलन में उन्होंने कहा कि पिछली कुछ तिमाहियों में निजी क्षेत्र की मांग में काफी नरमी है और अब निवेश भी कमजोर दिख रहा है.
गोपीनाथ ने कहा कि अगर निवेश में नरमी लंबे समय तक रहती है, इससे देश की संभावित वृद्धि प्रभावित होगी. उन्होंने कहा, "भारत के लिये वृहत आर्थिक स्थिरता काफी महत्वपूर्ण है. इसका मतलब है कि राजकोषीय मोर्चे पर स्थिरता. राजकोषीय मजबूती के लक्ष्य पर टिके रहना महत्वपूर्ण है. इसके लिये व्यय को युक्तिसंगत बनाने और राजस्व संग्रह बढ़ाने की जरूरत होगी."
अर्थव्यवस्था में नरमी के साथ कर राजस्व में कमी के साथ कुछ राज्यों ने बुधवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को राजकोषीय घाटे का लक्ष्य बढ़ाकर जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का 4 प्रतिशत करने का सुझाव दिया. वित्त मंत्री ने 2019-20 के अपने पूर्ण बजट में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 3.4 प्रतिशत से घटाकर 3.3 प्रतिशत कर दिया.
राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को ध्यान में रखकर सरकार ने बजट में वित्त वर्ष के लिये घोषित कर्ज योजना पर रोक लगायी है. यह स्थिति तब है जब सरकार ने कंपनी कर में कटौती की है. इससे 1.45 लाख करोड़ का बोझ पड़ने की आशंका है. गोपीनाथ ने कहा कि जब वह राजकोषीय मजबूती की बात करती हैं, उसका मतलब मध्यम अवधि का लक्ष्य है. यानी इसका समाधान एक निश्चित अवधि में करना है न कि एक दिन में.
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उन्होंने यह भी कहा कि भारत का केंद्र एवं राज्यों को मिलाकर एकीकृत घाटा जी 20 देशों में सबसे कम है. इसे सावधानीपूर्वक प्रबंधित करने की जरूरत है. आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री ने यह भी कहा कि भारत के लिये सुधारों को आगे बढ़ाना जरूरी है.
विनिर्माण क्षेत्र में हिस्सेदारी बढ़ाने के बारे में गोपीनाथ ने कहा कि विनिर्माण को गति देने और तथा निर्यात मोर्चे पर मजबूत उपस्थिति के लिये बड़े स्तर पर सुधारों की जरूरत है. भूमि अधिग्रहण और श्रम कानूनों के संदर्भ में महत्वपूर्ण सुधारों की आवश्यकता है.