चेन्नई: पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत की. इस विशेष साक्षात्कार में कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता चिदंबरम ने मोदी सरकार की तीखी आलोचना की.
चिदंबरम ने अर्थव्यवस्था में वर्तमान मंदी पर, कॉरपोरेट टैक्स दर में कटौती पर, एनपीए और बजट 2020 इत्यादि पर बातचीत की. देखिए पूरी रिपोर्ट.
सवाल: आपने कहा कि अर्थव्यवस्था आईसीयू में है, लेकिन सरकार इससे इनकार कर रही है. सरकार का कहना है कि अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. जिससे देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर आ रही है ?
जवाब: मैंने आईसीयू शब्द का इस्तेमाल नहीं किया. ये पूर्व आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने कहा है. सुब्रमण्यम ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था आईसीयू की तरफ जा रही है.
अगर सरकार इस पर जवाब देना चाहती है तो उसे उसी चैनल पर जाकर उसी रिपोर्टर को अपना जवाब देना चाहिए. डॉ सुब्रमण्यम और डॉ जोश फेलमैन ने अर्थव्यवस्था पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार किया है और वह सार्वजनिक है. सरकार को चाहिए कि वह भी एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करें और सुब्रमण्यम के सवालों का जवाब दें.
यह सरकार झांसा देने में माहिर है. सरकार तथ्यों और आंकड़ों को नहीं मानती. इसलिए जब सरकार बोलती है कि अर्थव्यवस्था पटरी पर आ रही है तो इसे कोई नहीं मानता है.
सवाल: हाल में सरकार की ओर से कॉरपोरेट टैक्स में छूट को कैसे देखते हैं?
जवाब: मैं नहीं मानता कि कॉरपोरेट टैक्स में छूट देना एक रिफार्म है. यह एक गलत निर्णय था. जब डिमांड कि कमी है और लोगों की खरीदने की क्षमता घट रही है. ऐसे में सरकार को अगर करों में कटौती करनी ही थी तो उसे अप्रत्यक्ष करों में कटौती करनी चाहिए थी ना कि कॉरपोरेट टैक्स में. यह सिर्फ मैं ही नहीं कह रहा, अरविंद सुब्रमण्यम भी बोल चुकें हैं कि कॉरपोरेट टैक्स में कटौती करना गलत निर्णय था.
सवाल: आपने पहले आलोचना की है कि सरकार द्वारा प्रस्तुत किया गया डेटा सटीक नहीं है और ना ही विश्वसनीय है. सरकार ने हाल ही में इस मुद्दे पर अध्ययन करने के लिए एक पैनल बनाया है. आप इसे कैसे देखते हैं ?
जवाब: कई लोग सरकारी आंकड़ों की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहे हैं. सरकार बेरोजगारी पर एनएसएसओ की रिपोर्ट को नहीं दिखाती है, वे ग्रामीण भारत में खपत में गिरावट पर सर्वेक्षण को छुपाते हैं. इसलिए कई प्रतिष्ठित लोगों ने इस पर सवाल उठाएं है कि आखिर सरकार डेटा छुपाती ही क्यों है?
आखिरकार सरकार ने भी ये माना कि सरकारी आंकड़ों की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में है और उन्होंने डॉ. प्रोनब सेन के नेतृत्व में एक आयोग नियुक्त किया है. मैं इसका स्वागत करता हूं. उन्हें जल्द से जल्द डेटा की विश्वसनीयता को बहाल करना चाहिए. भारतीय डेटा 6 साल पहले तक विश्वसनीय था. इसने पिछले 6 वर्षों में विश्वसनीयता खो दी है.
सवाल: सरकार का कहना है कि एनपीए घट रहें हैं, इस पर आप क्या कहना चाहते हैं और सरकार को क्या सुझाव देना चाहेंगे?
जवाब: मुझे सरकार को कोई सुझाव नहीं देना है. सरकार को रिफार्म सुझाने होंगे और उन्हें हमसे राय लेनी होगी. हम विपक्ष हैं. हम लोगों की ओर से सवाल पूछ रहे हैं और उन्हें सवाल का जवाब देना होगा.
जहां तक एनपीए की बात है तो यह एक कॉस्मेटिक एक्सरसाइज है. उन्होंने बड़े पैमाने पर लोन राइट ऑफ किए. जिससे एनपीए में मामूली कमी दिखाई दी है. यदि आप बैड लोन को राइट ऑफ कर देते हैं तो यह अपने आप कम हो जाता है लेकिन तीन दिन पहले जारी आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि एनपीए फिर से बढ़ने वाले हैं.
सवाल: आप देश में रोजगार की स्थिति को कैसे देखते हैं?
जवाब: रोजगार दर गिर रही है. सीएमआईई के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले कुछ सालों में रोजगार के आंकड़े 3 से 4 करोड़ तक गिर गए हैं और सीएमआईई डेटा के विपरीत हमारे पास कोई अन्य प्रमाणित डेटा नहीं है.
जहां भी हम जाते हैं लोग हमारे पास आते हैं और हमें बताते हैं कि उनके पास कोई काम नहीं है. इसके आलावे निजी क्षेत्र में भी ज्यादा भर्तियां नहीं की गई हैं. मेरा निष्कर्ष यह है कि रोजगार नोटबंदी के बाद से लगातार गिर रहा है और यह आगे भी गिरना जारी रहेगा.
वर्तमान मंदी में यह तर्कसंगत निष्कर्ष है कि रोजगार बढ़ नहीं रहा है, लेकिन सरकार इससे मानने को तैयार नहीं है. हम जानते हैं की नौकरियां कम हुई हैं और कम हो रही हैं.
सवाल: क्या उपभोग को बढ़ावा देने के लिए इनकम टैक्स में कटौती करनी चाहिए?
जवाब: नहीं, इनकम टैक्स कम करने का यह सही समय नहीं है. यदि आप टैक्स कम करना चाहते हैं, तो अप्रत्यक्ष करों को कम करें. आप सीमा शुल्क और जीएसटी को घटाएं.