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प्रस्तावित आरसीईपी व्यापार समझौता-वार्ता की सफलता की घोषणा कर सकते हैं भारत, अन्य देश - आरसीईपी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित इन देशों के नेता यहां तीन दिवसीय आसियान सम्मेलन, पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन और आरसीईपी व्यापार वार्ता के सिलसिले में यहां मौजूद हैं.

आरसीईपी पर आज 16 देशों के प्रमुख दे सकते हैं संयुक्त बयान
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Published : Nov 4, 2019, 12:43 PM IST

Updated : Nov 4, 2019, 1:39 PM IST

बैंकॉक: भारत और आसियान सदस्यों समेत 16 देशों के नेता आपस में दुनिया का सबसे बड़ा मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने को लेकर चल रही बातचीत के सफलतापूर्वक सफल होने की सोमवार को यहां घोषणा कर सकते हैं. पर राजनयिक सूत्रों का कहना है इस समझौते पर कुछ नए उभरे मुद्दों को लेकर इस पर औपचारिक रूप से हस्ताक्षर की तारीख अगले साल फरवरी तक टल सकती है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित इन देशों के नेता यहां तीन दिवसीय आसियान सम्मेलन, पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन और आरसीईपी व्यापार वार्ता के सिलसिले में यहां मौजूद हैं.

आरसीईपी को लेकर बातचीत सात साल से चल रही है लेकिन बाजार खोलन और कुछ वस्तुओं पर प्रशुल्क से जुड़ी भारत की "कुछ नई मांगों" के कारण आरसीईपी समझौते को अंतिम रूप देने में थोड़ी देरी होने के आसर हैं.

क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) समझौते के लिए चल रही वार्ता में आसियान के दस सदस्यों के अलावा भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं.

ये भी पढ़ें: आरसीईपी: मेगा ट्रेड डील को लेकर भारत की चिंताएं

सूत्रों के अनुसार, चीन इस बात पर जोर दे रहा है कि इस समझौते पर सोमवार को ही हस्ताक्षर हो जाए ताकि वह अमेरिका के साथ अपने व्यापार टकराव के प्रभाव को कुछ कम कर सके. चीन की सोच यह भी है कि इससे क्षेत्रीय आर्थिक शक्ति के रूप में उसका दावा और मजबूत होगा.

आरसीईपी समझौता यदि हो जाता है तो यह दुनिया का सबसे बड़ा मुक्त व्यापार क्षेत्र होगा. इसमें शामिल 16 देशों में दुनिया की कुल आबादी में से 3.6 अरब लोग हैं. यह संख्या दुनिया की कुल आबादी का करीब आधा है. इसकी वैश्विक वाणिज्य में करीब 40 प्रतिशत और वैश्विक जीडीपी में 35 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी.

थाइलैंड के वाणिज्य मंत्री जूरिन लकसानाविसित ने संवाददाताओं को बताया, "बातचीत निर्णायक दौर में है." उन्होंने कहा कि आरसीईपी शिखर बैठक में इन सभी देशों के नेताओं की ओर से एक संयुक्त बयान जारी किया जाएगा. आरसीईपी को उसके मुकाम तक पहुंचाने के लिये यहां रविवार को गहन बातचीत का दौर जारी रहा.

भारत इसमें बाजार प्रवेश और कुछ वस्तुओं पर प्रशुल्क संबंधी मुद्दों को लेकर अपनी मांग पर अड़ा है. आरसीईपी के 16 देशों के व्यापार मंत्री शनिवार को भारत द्वारा उठाये गये मुद्दों का समाधान करने में असफल रहे. हालांकि, इस मामले में आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान अलग अलग जगहों पर विभिन्न स्तरों पर बातचीत जारी है.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और आरसीईपी के अन्य 15 सदस्य देशों के नेता सोमवार को यहां समझौते को लेकर बातचीत करेंगे और उम्मीद की जा रही है कि इसमें सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे. सूत्रों के अनुसार भारत को छोड़ कर बाकी 15 देश करार के अंतिम मसौदे को लेकर सहमत लगते हैं. आरसीईपी वार्ता नवंबर 2012 में कंबोडिया में नॉमपेन्ह में आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान शुरू हुई थी.

मोदी ने थाईलैंड के समाचार पत्र बैंकॉक पोस्ट के साथ बातचीत में कहा था कि भारत आसीईपी वार्ता में पूरी "गंभीरता के साथ" जुड़ा है और अपने ओर से "तर्कसंगत प्रस्ताव" रखे हैं.

मोदी ने कहा कि भारत चाहता है कि सदस्य देश इसमें वस्तुओं के व्यापार के संबंध में जो आकांक्षा रखते हैं, सेवा व्यापार के मामले में भी उसी तरह की आंकाक्षाएं दिखनी चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत उन देशों की 'संवेदनशीलताओं' का समाधान करने को तैयार है.

बैंकॉक: भारत और आसियान सदस्यों समेत 16 देशों के नेता आपस में दुनिया का सबसे बड़ा मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने को लेकर चल रही बातचीत के सफलतापूर्वक सफल होने की सोमवार को यहां घोषणा कर सकते हैं. पर राजनयिक सूत्रों का कहना है इस समझौते पर कुछ नए उभरे मुद्दों को लेकर इस पर औपचारिक रूप से हस्ताक्षर की तारीख अगले साल फरवरी तक टल सकती है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित इन देशों के नेता यहां तीन दिवसीय आसियान सम्मेलन, पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन और आरसीईपी व्यापार वार्ता के सिलसिले में यहां मौजूद हैं.

आरसीईपी को लेकर बातचीत सात साल से चल रही है लेकिन बाजार खोलन और कुछ वस्तुओं पर प्रशुल्क से जुड़ी भारत की "कुछ नई मांगों" के कारण आरसीईपी समझौते को अंतिम रूप देने में थोड़ी देरी होने के आसर हैं.

क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) समझौते के लिए चल रही वार्ता में आसियान के दस सदस्यों के अलावा भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं.

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सूत्रों के अनुसार, चीन इस बात पर जोर दे रहा है कि इस समझौते पर सोमवार को ही हस्ताक्षर हो जाए ताकि वह अमेरिका के साथ अपने व्यापार टकराव के प्रभाव को कुछ कम कर सके. चीन की सोच यह भी है कि इससे क्षेत्रीय आर्थिक शक्ति के रूप में उसका दावा और मजबूत होगा.

आरसीईपी समझौता यदि हो जाता है तो यह दुनिया का सबसे बड़ा मुक्त व्यापार क्षेत्र होगा. इसमें शामिल 16 देशों में दुनिया की कुल आबादी में से 3.6 अरब लोग हैं. यह संख्या दुनिया की कुल आबादी का करीब आधा है. इसकी वैश्विक वाणिज्य में करीब 40 प्रतिशत और वैश्विक जीडीपी में 35 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी.

थाइलैंड के वाणिज्य मंत्री जूरिन लकसानाविसित ने संवाददाताओं को बताया, "बातचीत निर्णायक दौर में है." उन्होंने कहा कि आरसीईपी शिखर बैठक में इन सभी देशों के नेताओं की ओर से एक संयुक्त बयान जारी किया जाएगा. आरसीईपी को उसके मुकाम तक पहुंचाने के लिये यहां रविवार को गहन बातचीत का दौर जारी रहा.

भारत इसमें बाजार प्रवेश और कुछ वस्तुओं पर प्रशुल्क संबंधी मुद्दों को लेकर अपनी मांग पर अड़ा है. आरसीईपी के 16 देशों के व्यापार मंत्री शनिवार को भारत द्वारा उठाये गये मुद्दों का समाधान करने में असफल रहे. हालांकि, इस मामले में आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान अलग अलग जगहों पर विभिन्न स्तरों पर बातचीत जारी है.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और आरसीईपी के अन्य 15 सदस्य देशों के नेता सोमवार को यहां समझौते को लेकर बातचीत करेंगे और उम्मीद की जा रही है कि इसमें सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे. सूत्रों के अनुसार भारत को छोड़ कर बाकी 15 देश करार के अंतिम मसौदे को लेकर सहमत लगते हैं. आरसीईपी वार्ता नवंबर 2012 में कंबोडिया में नॉमपेन्ह में आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान शुरू हुई थी.

मोदी ने थाईलैंड के समाचार पत्र बैंकॉक पोस्ट के साथ बातचीत में कहा था कि भारत आसीईपी वार्ता में पूरी "गंभीरता के साथ" जुड़ा है और अपने ओर से "तर्कसंगत प्रस्ताव" रखे हैं.

मोदी ने कहा कि भारत चाहता है कि सदस्य देश इसमें वस्तुओं के व्यापार के संबंध में जो आकांक्षा रखते हैं, सेवा व्यापार के मामले में भी उसी तरह की आंकाक्षाएं दिखनी चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत उन देशों की 'संवेदनशीलताओं' का समाधान करने को तैयार है.

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बैंकॉक: भारत और 15 एशिया-प्रशांत देशों के नेताओं द्वारा दुनिया के सबसे बड़े मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने के लिए सात साल की बातचीत के सफल समापन के बाद सोमवार को घोषणा करने की उम्मीद है. हालांकि इसपर औपचारिक हस्ताक्षर अगले साल फरवरी में किए जाएंगे.

बैंकाक में 3 दिवसीय आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) को मजबूत करने में संभावित देरी को बाजार पहुंच और शुल्क संबंधी मुद्दों पर भारत की "नई मांगों" के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है.

सूत्रों ने कहा कि चीन जबरदस्ती आरसीईपी शिखर सम्मेलन के दौरान इस सौदे को आगे बढ़ाने के लिए जोर दे रहा था, जिसे अमेरिका के साथ अपने व्यापार युद्ध के प्रभाव का मुकाबला करने के साथ-साथ क्षेत्र के आर्थिक को प्रभावित करने के प्रयास के रूप में देखा गया.

प्रस्तावित मुक्त-व्यापार समझौते में दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के 10 सदस्य देश और ब्लॉक के छह संवाद सहयोगी - चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, भारत, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं.

अंतिम रूप देने के बाद पर, आरसीईपी दुनिया का सबसे बड़ा मुक्त व्यापार क्षेत्र बन जाएगा, जिसमें दुनिया की आधी आबादी शामिल होगी और वैश्विक वाणिज्य का लगभग 40 प्रतिशत और जीडीपी का 35 प्रतिशत हिस्सा होगा.

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Last Updated : Nov 4, 2019, 1:39 PM IST
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