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रिजर्व बैंक ने कोरोना के प्रकोप से लड़ने के लिए सही उपायों को चुना - RBI rightly mining arms to fight Covid 19

आरबीआई ने रेपो रेट में 75 आधार अंकों की कमी करके इसे 5.15 प्रतिशत से घटाकर 4.4 प्रतिशत कर दिया है. आरबीआई के इस कदम से कर्ज लेने वालों को राहत मिलेगी.

RBI rightly mining arms to fight Covid 19
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Published : Mar 27, 2020, 3:55 PM IST

Updated : Mar 27, 2020, 5:06 PM IST

हैदराबाद: कोरोना वायरस से उत्पन्न आपदा के बीच रिजर्व बैंक ने भी मोर्चो संभाला है. केन्द्रीय बैंक ने शुक्रवार को अर्थव्यवस्था में नकदी की तंगी दूर करने और कर्ज सस्ता करने के लिए अपनी फौरी नकदी दर रेपो और बैंकों के आरक्षित नकदी अनुपात (सीआरआर) में बड़ी कटौती जैसे कई उपायों की घोषणा की.

आरबीआई ने रेपो रेट में 75 आधार अंकों की कमी करके इसे 5.15 प्रतिशत से घटाकर 4.4 प्रतिशत कर दिया है. आरबीआई के इस कदम से कर्ज लेने वालों को राहत मिलेगी.

ये भी पढ़ें-बड़ा फैसला! कोरोना से लड़ते देश को आरबीआई ने दी ईएमआई, ब्याज भुगतान में राहत

वहीं, रिवर्स रेपो दर में 0.90 प्रतिश्त की कमी कर इसे 4 प्रतिशत पर ला दिया. इसके अलावा केंद्रीय बैंक ने सीमांत कर्ज सुविधा दर (एमएसएफ) और बैंक दर को 5.40 प्रतिश्त से कम कर 4.65 प्रतिशत कर दिया है. इससे भी बाजार में नकदी बढ़ेगी. इस कदम से बैंकों की ऋण जोखिम की भूख बढ़ सकती है.

तरलता समर्थन उपाय:

17 फरवरी से 18 मार्च, 2020 के बीच एक साल और तीन साल के कार्यकाल के लिए किए गए पांच दीर्घकालिक रेपो परिचालन (एलटीआरओ) के अलावा, उचित लागत (निश्चित रेपो दर) पर बैंकों को टिकाऊ तरलता प्रदान करने के लिए 1,25,000 करोड़ रुपये की राशि दी जाएगी. आरबीआई ने निर्बाध भुगतान और निपटान प्रणाली सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप के अपने मिशन मोड को जारी रखा.

सीआरआर में कटौती और नकद धन का प्रवाह बढ़ाने के अन्य उपायों से बैंकिंग जगत में 3.74 लाख करोड़ रुपये की नकदी उपलब्ध होगी. यह 28 मार्च से एक साल के लिये प्रभाव में रहेगा. इससे बाजार में 1.37 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी आने की उम्मीद है.

बता दें कि बैंकों के पास अधिक नकदी उपलब्ध हो इसके लिये उनके नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को एक प्रतिशत घटाकर तीन प्रतिशत पर ला दिया गया.

बैंक के कर्जदारों को राहत:

फिलहाल चल रहे संकट के बारे में यथार्थवादी और व्यावहारिक दृष्टिकोण लेते हुए रिजर्व बैंक ने कर्ज देने वाले सभी वित्तीय संस्थानों से ग्राहकों को कर्ज की मासिक किस्त यानी ईएमआई के भुगतान में तीन महीने की छूट देने को कहा है. इस फैसले से महामारी से पीड़ित उधारकर्ता समान मासिक किश्तों (ईएमआई) के भुगतान के दबाव से मुक्त होंगे.

इसी तरह एक मार्च, 2020 को बकाया ऐसी सुविधाओं पर कार्यशील पूंजी सीमा पर ब्याज तीन महीने के लिए टाल दिया जा सकता है. इससे उद्योग को ब्याज सेवा के दबाव से राहत मिलनी चाहिए. ऐसी ऋण सुविधाओं में बकाया राशि और अनुसूचित किश्तों के स्थगन के बाद बैंकों को राहत देने वाली गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जाएगा.

इन उपायों से उन लोगों और इकाइयों को राहत मिलेगी जो आर्थिक गतिविधियां ठप होने से प्रभावित हैं तथा ऋण की किस्त देने की स्थिति में नहीं हैं.

बैंकों को राहत:

ऋण के पुनर्भुगतान में छूट और सुविधाओं के पुनर्विकास से उत्पन्न होने वाले परिसंपत्ति वर्गीकरण मानदंडों में राहत के अलावा बैंकों को एक अप्रैल, 2020 से एक अक्टूबर, 2020 तक प्रभावी प्रूडेंशियल मानदंडों के अनुपालन को स्थगित करने की अनुमति है.

कोरोना से उत्पन्न परिस्थितियों के बीच आरबीआई के उपायों को अच्छी तरह से जमीनी स्तर पर लागू करना बैंकों के लिए कई बड़ी चुनौती होगी. बैंक अपनी निगरानी में वित्तीय प्रणाली को बनाए रखने के लिए अपनी बीसीपी पर काम करने के लिए तैयार हैं.

बैंक आरबीआई टीम के सहयोग से उन्हें कार्यान्वित करने के लिए आवश्यक होमवर्क करने के लिए अपनी व्यावसायिक निरंतरता योजनाओं को भी सक्रिय कर सकते हैं.

बैंकों की भूमिका:

भारतीय रिजर्व बैंक के आदेशनुसार काम करते समय बैंकों को राहत पैकेज में डिज़ाइन किए गए वित्तीय लाभों के प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) की सुविधा के लिए पर्याप्त संसाधनों का उपयोग करना होगा.

बता दें कि 26 मार्च को सामाजिक रूप से वंचित और कमजोर वर्ग को वायरस के तत्काल प्रभाव से बचाने के लिए 1.7 लाख करोड़ की आवंटित की गई थी. आरबीआई और बैंकों के लिए यह चुनौती होगा कि वे अन्य संसाधनों को जुटाने और डीबीटी के माध्य्म से पैसों को वंचितों तक सही समय में पहुंचा सकें.

(लेखक - डॉ के श्रीनिवास राव, एडजंक्ट प्रोफेसर, इंस्टीट्यूट ऑफ इंश्योरेंस एंड रिस्क मैनेजमेंट, हैदराबाद. उपर्युक्त दिए विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं.)

हैदराबाद: कोरोना वायरस से उत्पन्न आपदा के बीच रिजर्व बैंक ने भी मोर्चो संभाला है. केन्द्रीय बैंक ने शुक्रवार को अर्थव्यवस्था में नकदी की तंगी दूर करने और कर्ज सस्ता करने के लिए अपनी फौरी नकदी दर रेपो और बैंकों के आरक्षित नकदी अनुपात (सीआरआर) में बड़ी कटौती जैसे कई उपायों की घोषणा की.

आरबीआई ने रेपो रेट में 75 आधार अंकों की कमी करके इसे 5.15 प्रतिशत से घटाकर 4.4 प्रतिशत कर दिया है. आरबीआई के इस कदम से कर्ज लेने वालों को राहत मिलेगी.

ये भी पढ़ें-बड़ा फैसला! कोरोना से लड़ते देश को आरबीआई ने दी ईएमआई, ब्याज भुगतान में राहत

वहीं, रिवर्स रेपो दर में 0.90 प्रतिश्त की कमी कर इसे 4 प्रतिशत पर ला दिया. इसके अलावा केंद्रीय बैंक ने सीमांत कर्ज सुविधा दर (एमएसएफ) और बैंक दर को 5.40 प्रतिश्त से कम कर 4.65 प्रतिशत कर दिया है. इससे भी बाजार में नकदी बढ़ेगी. इस कदम से बैंकों की ऋण जोखिम की भूख बढ़ सकती है.

तरलता समर्थन उपाय:

17 फरवरी से 18 मार्च, 2020 के बीच एक साल और तीन साल के कार्यकाल के लिए किए गए पांच दीर्घकालिक रेपो परिचालन (एलटीआरओ) के अलावा, उचित लागत (निश्चित रेपो दर) पर बैंकों को टिकाऊ तरलता प्रदान करने के लिए 1,25,000 करोड़ रुपये की राशि दी जाएगी. आरबीआई ने निर्बाध भुगतान और निपटान प्रणाली सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप के अपने मिशन मोड को जारी रखा.

सीआरआर में कटौती और नकद धन का प्रवाह बढ़ाने के अन्य उपायों से बैंकिंग जगत में 3.74 लाख करोड़ रुपये की नकदी उपलब्ध होगी. यह 28 मार्च से एक साल के लिये प्रभाव में रहेगा. इससे बाजार में 1.37 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी आने की उम्मीद है.

बता दें कि बैंकों के पास अधिक नकदी उपलब्ध हो इसके लिये उनके नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को एक प्रतिशत घटाकर तीन प्रतिशत पर ला दिया गया.

बैंक के कर्जदारों को राहत:

फिलहाल चल रहे संकट के बारे में यथार्थवादी और व्यावहारिक दृष्टिकोण लेते हुए रिजर्व बैंक ने कर्ज देने वाले सभी वित्तीय संस्थानों से ग्राहकों को कर्ज की मासिक किस्त यानी ईएमआई के भुगतान में तीन महीने की छूट देने को कहा है. इस फैसले से महामारी से पीड़ित उधारकर्ता समान मासिक किश्तों (ईएमआई) के भुगतान के दबाव से मुक्त होंगे.

इसी तरह एक मार्च, 2020 को बकाया ऐसी सुविधाओं पर कार्यशील पूंजी सीमा पर ब्याज तीन महीने के लिए टाल दिया जा सकता है. इससे उद्योग को ब्याज सेवा के दबाव से राहत मिलनी चाहिए. ऐसी ऋण सुविधाओं में बकाया राशि और अनुसूचित किश्तों के स्थगन के बाद बैंकों को राहत देने वाली गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जाएगा.

इन उपायों से उन लोगों और इकाइयों को राहत मिलेगी जो आर्थिक गतिविधियां ठप होने से प्रभावित हैं तथा ऋण की किस्त देने की स्थिति में नहीं हैं.

बैंकों को राहत:

ऋण के पुनर्भुगतान में छूट और सुविधाओं के पुनर्विकास से उत्पन्न होने वाले परिसंपत्ति वर्गीकरण मानदंडों में राहत के अलावा बैंकों को एक अप्रैल, 2020 से एक अक्टूबर, 2020 तक प्रभावी प्रूडेंशियल मानदंडों के अनुपालन को स्थगित करने की अनुमति है.

कोरोना से उत्पन्न परिस्थितियों के बीच आरबीआई के उपायों को अच्छी तरह से जमीनी स्तर पर लागू करना बैंकों के लिए कई बड़ी चुनौती होगी. बैंक अपनी निगरानी में वित्तीय प्रणाली को बनाए रखने के लिए अपनी बीसीपी पर काम करने के लिए तैयार हैं.

बैंक आरबीआई टीम के सहयोग से उन्हें कार्यान्वित करने के लिए आवश्यक होमवर्क करने के लिए अपनी व्यावसायिक निरंतरता योजनाओं को भी सक्रिय कर सकते हैं.

बैंकों की भूमिका:

भारतीय रिजर्व बैंक के आदेशनुसार काम करते समय बैंकों को राहत पैकेज में डिज़ाइन किए गए वित्तीय लाभों के प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) की सुविधा के लिए पर्याप्त संसाधनों का उपयोग करना होगा.

बता दें कि 26 मार्च को सामाजिक रूप से वंचित और कमजोर वर्ग को वायरस के तत्काल प्रभाव से बचाने के लिए 1.7 लाख करोड़ की आवंटित की गई थी. आरबीआई और बैंकों के लिए यह चुनौती होगा कि वे अन्य संसाधनों को जुटाने और डीबीटी के माध्य्म से पैसों को वंचितों तक सही समय में पहुंचा सकें.

(लेखक - डॉ के श्रीनिवास राव, एडजंक्ट प्रोफेसर, इंस्टीट्यूट ऑफ इंश्योरेंस एंड रिस्क मैनेजमेंट, हैदराबाद. उपर्युक्त दिए विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं.)

Last Updated : Mar 27, 2020, 5:06 PM IST

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