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अप्रैल-सितंबर में खुदरा मुद्रास्फीति 3.0-3.10 प्रतिशत रहने का अनुमान

रिजर्व बैंक ने दूसरे द्वैमासिक मौद्रिक नीति बयान में कहा, "वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान खुदरा मुद्रास्फीति का रुख कई कारकों से प्रभावित होगा. सबसे पहले, सब्जियों के भाव में गर्मियों के कारण आने वाली तेजी अनुमान से पहले आ गयी, हालांकि सर्दियों में इसमें कमी देखने को मिलेगी."

अप्रैल-सितंबर में खुदरा मुद्रास्फीति 3.0-3.10 प्रतिशत रहने का अनुमान
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Published : Jun 6, 2019, 9:34 PM IST

मुंबई: इस साल मानसून सामान्य रहने के अनुमान के बीच खाद्य पदार्थों विशेषकर सब्जियों की कीमतों में तेजी को देखते हुए रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) के दौरान खुदरा मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान मामूली बढ़ाकर 3.0-3.10 प्रतिशत कर दिया.

इससे पहले अप्रैल की समीक्षा में रिजर्व बैंक ने इस अवधि के लिये खुदरा मुद्रास्फीति 2.90-3.0 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था.

हालांकि दूसरी छमाही यानी अक्टूबर19 से मार्च 20 के दौरान खुदरा मुद्रास्फीति का पुर्वानुमान 3.50-3.80 प्रतिशत से घटाकर 3.40-3.70 प्रतिशत कर दिया गया.

ये भी पढ़ें- आरबीआई ने की ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की कटौती, सस्ते होंगे ईएमआई

रिजर्व बैंक ने दूसरे द्वैमासिक मौद्रिक नीति बयान में कहा, "वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान खुदरा मुद्रास्फीति का रुख कई कारकों से प्रभावित होगा. सबसे पहले, सब्जियों के भाव में गर्मियों के कारण आने वाली तेजी अनुमान से पहले आ गयी, हालांकि सर्दियों में इसमें कमी देखने को मिलेगी."

रिजर्व बैंक ने कहा कि ताजी सूचनाओं से कई खाद्य पदार्थों में व्यापक आधार पर कीमतों में तेजी का पता चलता है. इससे खाद्य मुद्रास्फीति के निकट भविष्य में ऊपर जाने के संकेत मिलते हैं. कच्चा तेल में उथल-पुथल जारी रहने वाला है.

आरबीआई की समीक्षा में कहा गया है, "इन कारकों, नीतिगत दर में हालिया कटौती के प्रभाव तथा 2019 में सामान्य मानसून के पूर्वानुमान पर गौर करें तो खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को संशोधित कर 2019-20 की पहली छमाही के लिये 3.0-3.10 प्रतिशत और दूसरी छमाही के लिये 3.40-3.70 प्रतिशत कर दिया गया है. इसके साथ ही जोखिम व्यापक स्तर पर संतुलित रहने का अनुमान है."

मुद्रास्फीति पर रिवर्ज बैंक का अनुमानद मानसून को लेकर अनिश्चितता, सब्जियों के भाव में बेमौसम तेजी, कच्चा तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें और घरेलू कीमतों पर इसके असर, भू-राजनीतिक तनाव, वित्तीय बाजार का उथल-पुथल और राजकोषीय परिदृश्य पर आधारित है.

रिजर्व बैंक ने कहा कि घरेलू एवं बाह्य मांग परिस्थितियों में उल्लेखनीय नरमी आने से अप्रैल में खाद्य एवं ईंधन को छोड़ मुद्रास्फीति में 0.60 प्रतिशत की कमी देखने को मिली. इससे साल के बचे समय के लिये मुद्रास्फीति के अनुमान को नीचे रखा गया है.

मुंबई: इस साल मानसून सामान्य रहने के अनुमान के बीच खाद्य पदार्थों विशेषकर सब्जियों की कीमतों में तेजी को देखते हुए रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) के दौरान खुदरा मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान मामूली बढ़ाकर 3.0-3.10 प्रतिशत कर दिया.

इससे पहले अप्रैल की समीक्षा में रिजर्व बैंक ने इस अवधि के लिये खुदरा मुद्रास्फीति 2.90-3.0 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था.

हालांकि दूसरी छमाही यानी अक्टूबर19 से मार्च 20 के दौरान खुदरा मुद्रास्फीति का पुर्वानुमान 3.50-3.80 प्रतिशत से घटाकर 3.40-3.70 प्रतिशत कर दिया गया.

ये भी पढ़ें- आरबीआई ने की ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की कटौती, सस्ते होंगे ईएमआई

रिजर्व बैंक ने दूसरे द्वैमासिक मौद्रिक नीति बयान में कहा, "वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान खुदरा मुद्रास्फीति का रुख कई कारकों से प्रभावित होगा. सबसे पहले, सब्जियों के भाव में गर्मियों के कारण आने वाली तेजी अनुमान से पहले आ गयी, हालांकि सर्दियों में इसमें कमी देखने को मिलेगी."

रिजर्व बैंक ने कहा कि ताजी सूचनाओं से कई खाद्य पदार्थों में व्यापक आधार पर कीमतों में तेजी का पता चलता है. इससे खाद्य मुद्रास्फीति के निकट भविष्य में ऊपर जाने के संकेत मिलते हैं. कच्चा तेल में उथल-पुथल जारी रहने वाला है.

आरबीआई की समीक्षा में कहा गया है, "इन कारकों, नीतिगत दर में हालिया कटौती के प्रभाव तथा 2019 में सामान्य मानसून के पूर्वानुमान पर गौर करें तो खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को संशोधित कर 2019-20 की पहली छमाही के लिये 3.0-3.10 प्रतिशत और दूसरी छमाही के लिये 3.40-3.70 प्रतिशत कर दिया गया है. इसके साथ ही जोखिम व्यापक स्तर पर संतुलित रहने का अनुमान है."

मुद्रास्फीति पर रिवर्ज बैंक का अनुमानद मानसून को लेकर अनिश्चितता, सब्जियों के भाव में बेमौसम तेजी, कच्चा तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें और घरेलू कीमतों पर इसके असर, भू-राजनीतिक तनाव, वित्तीय बाजार का उथल-पुथल और राजकोषीय परिदृश्य पर आधारित है.

रिजर्व बैंक ने कहा कि घरेलू एवं बाह्य मांग परिस्थितियों में उल्लेखनीय नरमी आने से अप्रैल में खाद्य एवं ईंधन को छोड़ मुद्रास्फीति में 0.60 प्रतिशत की कमी देखने को मिली. इससे साल के बचे समय के लिये मुद्रास्फीति के अनुमान को नीचे रखा गया है.

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अप्रैल-सितंबर में खुदरा मुद्रास्फीति 3.0-3.10 प्रतिशत रहने का अनुमान

मुंबई: इस साल मानसून सामान्य रहने के अनुमान के बीच खाद्य पदार्थों विशेषकर सब्जियों की कीमतों में तेजी को देखते हुए रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) के दौरान खुदरा मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान मामूली बढ़ाकर 3.0-3.10 प्रतिशत कर दिया.

इससे पहले अप्रैल की समीक्षा में रिजर्व बैंक ने इस अवधि के लिये खुदरा मुद्रास्फीति 2.90-3.0 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था.

हालांकि दूसरी छमाही यानी अक्टूबर19 से मार्च 20 के दौरान खुदरा मुद्रास्फीति का पुर्वानुमान 3.50-3.80 प्रतिशत से घटाकर 3.40-3.70 प्रतिशत कर दिया गया.

रिजर्व बैंक ने दूसरे द्वैमासिक मौद्रिक नीति बयान में कहा, "वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान खुदरा मुद्रास्फीति का रुख कई कारकों से प्रभावित होगा. सबसे पहले, सब्जियों के भाव में गर्मियों के कारण आने वाली तेजी अनुमान से पहले आ गयी, हालांकि सर्दियों में इसमें कमी देखने को मिलेगी." 

रिजर्व बैंक ने कहा कि ताजी सूचनाओं से कई खाद्य पदार्थों में व्यापक आधार पर कीमतों में तेजी का पता चलता है. इससे खाद्य मुद्रास्फीति के निकट भविष्य में ऊपर जाने के संकेत मिलते हैं. कच्चा तेल में उथल-पुथल जारी रहने वाला है.

आरबीआई की समीक्षा में कहा गया है, "इन कारकों, नीतिगत दर में हालिया कटौती के प्रभाव तथा 2019 में सामान्य मानसून के पूर्वानुमान पर गौर करें तो खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को संशोधित कर 2019-20 की पहली छमाही के लिये 3.0-3.10 प्रतिशत और दूसरी छमाही के लिये 3.40-3.70 प्रतिशत कर दिया गया है. इसके साथ ही जोखिम व्यापक स्तर पर संतुलित रहने का अनुमान है." 

मुद्रास्फीति पर रिवर्ज बैंक का अनुमानद मानसून को लेकर अनिश्चितता, सब्जियों के भाव में बेमौसम तेजी, कच्चा तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें और घरेलू कीमतों पर इसके असर, भू-राजनीतिक तनाव, वित्तीय बाजार का उथल-पुथल और राजकोषीय परिदृश्य पर आधारित है. 

रिजर्व बैंक ने कहा कि घरेलू एवं बाह्य मांग परिस्थितियों में उल्लेखनीय नरमी आने से अप्रैल में खाद्य एवं ईंधन को छोड़ मुद्रास्फीति में 0.60 प्रतिशत की कमी देखने को मिली. इससे साल के बचे समय के लिये मुद्रास्फीति के अनुमान को नीचे रखा गया है.


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